Tomato Farming Tips: टमाटर की खेती को आसान और मुनाफे वाला बनाने के लिए इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (IPM) तकनीक आज किसानों के बीच चर्चा में है। ये तकनीक बिना रासायनिक कीटनाशकों के कीड़े-मकोड़ों से फसल को बचाती है और पैदावार बढ़ाती है। पिछले कुछ सालों में इस तरीके से टमाटर की खेती करने वाले किसानों ने लागत घटाकर लाखों रुपये की कमाई की है। ये तकनीक न सिर्फ खेती को सस्ता बनाती है, बल्कि मिट्टी और सेहत को भी नुकसान से बचाती है। आइए जानते हैं कि IPM तकनीक से टमाटर की खेती कैसे फायदेमंद हो सकती है।
रासायनिक दवाओं से मुक्ति, मुनाफा बढ़ा
रासायनिक दवाएँ फसलों के लिए नुकसानदायक होती हैं। ये न सिर्फ महँगी पड़ती हैं, बल्कि मिट्टी की सेहत बिगाड़ती हैं और इंसानों के लिए भी खतरनाक हैं। लेकिन IPM तकनीक इन सब समस्याओं का हल है। इसमें बिना कीटनाशकों के खेती होती है, जिससे लागत कम होती है और फसल शुद्ध रहती है। 2024 में इस तकनीक से टमाटर की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि 1 एकड़ में लागत निकालने के बाद 7-8 लाख रुपये की बचत हुई। अगर 4 एकड़ में खेती करें, तो 22-25 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है। टमाटर की खेती में ज्यादा मेहनत या देखभाल की जरूरत नहीं। समय पर खाद, बीज और पानी देने से फसल तैयार हो जाती है।
कीटों की समस्या कम, पैदावार में इजाफा
IPM तकनीक से टमाटर की खेती में कीटों का प्रकोप कम हो जाता है। ये तरीका कई तरह की मिट्टी में काम करता है, जैसे रेतीली दोमट, चिकनी, लाल और काली मिट्टी। बस खेत में पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए। इस तकनीक से 500 क्विंटल तक टमाटर की पैदावार हो सकती है। नीले और पीले ट्रैप कीड़े-मकोड़ों को फँसा लेते हैं, जिससे फसल को नुकसान नहीं होता। साथ ही, कीटनाशकों पर होने वाला खर्च भी बच जाता है। इससे न सिर्फ पैदावार बढ़ती है, बल्कि फसल की क्वालिटी भी बेहतर रहती है।
टमाटर की डिमांड
IPM तकनीक से उगाए गए टमाटर की माँग बाजार में खूब है। इनकी सप्लाई नेपाल तक जाती है, साथ ही गोरखपुर और लखनऊ की मंडियों में भी अच्छा रेट मिलता है। व्यापारी 1800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदते हैं, यानी 18 रुपये प्रति किलो। इस तरह एक सीजन में लाखों रुपये की कमाई हो सकती है। चूँकि ये टमाटर रासायनिक दवाओं से मुक्त होते हैं, इसलिए ग्राहक इन्हें ज्यादा पसंद करते हैं। ये तकनीक न सिर्फ किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि खाने वालों की सेहत का भी ख्याल रखती है।
IPM तकनीक के यांत्रिक उपाय
उप कृषि निदेशक बाराबंकी श्रवण कुमार बताते हैं कि IPM में कई यांत्रिक उपाय हैं, जो कीटों को कंट्रोल करते हैं। इसमें स्टिकी स्ट्रिप सबसे खास है। ये चिपचिपी पन्नियाँ नीले, पीले, काले और सफेद रंग में आती हैं। इन रंगों से कीट आकर्षित होकर चिपक जाते हैं और फसल बच जाती है। दूसरा तरीका है फेरोमोन ट्रैप। इसमें रबर के ढक्कन में मादा कीट की खुशबू वाला केमिकल डाला जाता है। ये खुशबू नर कीटों को अपनी ओर खींचती है और वो ट्रैप में फँस जाते हैं। इन उपायों से कीटों का खात्मा होता है और फसल को कोई नुकसान नहीं पहुँचता।
IPM तकनीक: खेती का नया भविष्य
IPM तकनीक टमाटर की खेती को आसान, सस्ता और मुनाफे वाला बना रही है। ये तरीका रासायनिक दवाओं से दूर रखकर मिट्टी की उर्वरता बचाता है और किसानों की जेब भरता है। 4 एकड़ में 22-25 लाख रुपये की कमाई का मौका हर किसान के लिए प्रेरणा है। ये तकनीक न सिर्फ टमाटर, बल्कि दूसरी फसलों के लिए भी कारगर हो सकती है। पर्यावरण को सहारा देने वाला ये तरीका आने वाले दिनों में खेती का भविष्य बन सकता है। किसानों को चाहिए कि वो इसे अपनाएँ और अपनी मेहनत का पूरा फल पाएँ।
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