Apple Ber Farming से 6-8 महीने में बंपर पैदावार, कम लागत में 10 लाख तक कमाई

Apple Ber Farming यानी थाई बेर की खेती आजकल भारत में तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। ये फल स्वाद में लाजवाब है और कम पानी व मेहनत में अच्छी पैदावार देता है। इसे “गरीब का सेब” कहते हैं, क्योंकि ये सस्ता और पौष्टिक होता है। इसकी खेती से किसान 1 एकड़ में 5 से 10 लाख रुपये तक कमा सकते हैं, वो भी 6-8 महीने में फल शुरू होने के बाद। ये फल गर्म और सूखे इलाकों में भी आसानी से उगता है, जो इसे छोटे और मझोले किसानों के लिए खास बनाता है। आइए, थाई बेर की खेती के देसी तरीके को विस्तार से समझें।

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एप्पल बेर क्या है?

एप्पल बेर थाईलैंड से आई बेर की एक खास किस्म है। इसका स्वाद सेब जैसा मीठा और हल्का खट्टा होता है, और दिखने में ये हरे सेब जैसा लगता है। इसका वजन 150-200 ग्राम तक होता है। इसकी खेती की खासियत है कि ये कम पानी, कम देखभाल और हर तरह की मिट्टी में उग सकता है। पौधा 20-25 साल तक फल देता है और 6-8 महीने में फल शुरू कर देता है। ये एक बार लगाने पर सालों तक कमाई का जरिया बनता है।

खेत की तैयारी और मिट्टी

Apple Ber Farming के लिए खेत को तैयार करना आसान है। खेत को हल से 2-3 बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा करें। ये पौधा रेतीली, दोमट या काली मिट्टी में उग जाता है, बस पानी का जमाव न हो। मिट्टी का pH 5-9 के बीच होना चाहिए। खेत में 20-25 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर डालें। गड्ढे 60x60x60 सेमी के बनाएँ और 15 दिन धूप में रखें। फिर इन्हें मिट्टी और खाद के मिश्रण से भर दें। सही तैयारी से फसल की नींव मज़बूत होती है।

सही किस्मों का चुनाव

थाई बेर की खेती में सही किस्म चुनना ज़रूरी है। कुछ लोकप्रिय किस्में हैं:

  • VNR Bihari: बड़े फल, अच्छी पैदावार, 100-150 किलो प्रति पेड़।
  • Thai Apple Ber: मीठा और रसीला, 80-120 किलो प्रति पेड़।
  • Umran: चमकदार भूरा फल, 90-100 किलो प्रति पेड़।
  • Gola: गोल और स्वादिष्ट, सूखे इलाकों के लिए बढ़िया।
    अपने इलाके के मौसम के हिसाब से किस्म चुनें। सही बीज से फल की चमक और पैदावार दोनों बढ़ती है।

बुवाई और दूरी

एप्पल बेर की बुवाई फरवरी-मार्च या जुलाई-अगस्त में करें। सूखे इलाकों में 6×6 मीटर की दूरी रखें, जिसमें 111 पौधे प्रति एकड़ लगते हैं। सिंचाई वाले क्षेत्रों में 5×5 मीटर पर 160 पौधे लगाएँ। हाई-टेक विधि से 3.6×2.4 मीटर पर 450-500 पौधे भी लग सकते हैं। गड्ढों में ग्राफ्टेड पौधे लगाएँ और 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा से बीजोपचार करें। सही दूरी से हर पौधा फल से लद जाता है।

पानी और खाद का प्रबंधन

Apple Ber Farming में पानी की कम ज़रूरत होती है। शुरू में 4-5 दिन में 2-3 सेमी पानी दें। बढ़त के समय 8-10 दिन में एक बार सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम सबसे अच्छा है, इससे पानी की बचत होती है। खाद के लिए 20 किलो गोबर प्रति पेड़ (1 साल पुराने पौधे के लिए) और 200 ग्राम यूरिया डालें। हर साल गोबर 20 किलो और यूरिया 200 ग्राम बढ़ाएँ। गोमूत्र और गुड़ का घोल हर 20 दिन में छिड़कें। पानी और खाद का सही हिसाब पौधों को तगड़ा बनाता है।

छंटाई और देखभाल

थाई बेर की खेती में छंटाई ज़रूरी है, क्योंकि फल नए अंकुरों पर लगते हैं। अप्रैल-मई में छंटाई करें, जब पौधा निष्क्रिय हो। पानी के अंकुर और टूटी टहनियाँ हटाएँ। पेड़ को पिरामिड आकार में रखें, ऊँचाई 10-12 फीट तक सीमित करें। सितंबर में फूल शुरू होते हैं और नवंबर-फरवरी में फल आते हैं। सही छंटाई से फल की भरमार होती है।

कीट और रोग नियंत्रण

एप्पल बेर में फल मक्खी और पत्ती खाने वाले कीट परेशान करते हैं। नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर) या गोमूत्र का छिड़काव करें। फेरोमोन ट्रैप 10 प्रति हेक्टेयर लगाएँ। फफूंद से बचने के लिए ट्राइकोडर्मा 5 किलो प्रति हेक्टेयर मिट्टी में मिलाएँ। प्रकृति के साथ तालमेल से कीट काबू में रहते हैं।

पैदावार और कमाई

Apple Ber Farming में पैदावार पहले साल 25-40 किलो प्रति पेड़ से शुरू होती है, जो 10-20 साल में 80-200 किलो तक पहुँचती है। सूखे इलाकों में 50-80 किलो प्रति पेड़ मिलता है। 1 एकड़ में 160 पौधों से 12-15 टन फल हो सकता है। बाजार में 50-70 रुपये प्रति किलो भाव मिलता है, यानी 7.5-10 लाख रुपये की कमाई। लागत 1-1.5 लाख रुपये आती है, तो 6-8 लाख मुनाफा बचता है। मेहनत का फल मीठा और मुनाफा बढ़िया मिलता है।

फायदे और बाज़ार में मांग

थाई बेर की खेती के कई फायदे हैं। ये सूखा सहन करता है, कम पानी चाहिए, और औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें कैंसर रोकने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स और 18 जरूरी अमीनो एसिड होते हैं। बाजार में इसकी माँग बढ़ रही है, खासकर शहरों में। मिट्टी की सेहत बचती है और जेब भी भरती है।

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  • Shashikant

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