धान की रोपाई से पहले बुआई करिए ये हरी खाद की फसलें ,जो देगी मिट्टी को ताकत, फसल को फायदा

Hari khad ke liye sarvottam fasal : किसान भाइयों, धान की खेती में मिट्टी की सेहत बढ़ाना बड़ा जरूरी है, और इसके लिए हरी खाद से बेहतर कोई जुगाड़ नहीं। हरी खाद यानी ऐसी फसलें, जिन्हें बोकर हरा-भरा होने पर मिट्टी में मिला देते हैं। इससे मिट्टी में नाइट्रोजन और जैविक तत्व बढ़ते हैं, जो धान को ताकत देते हैं। मई-जून में धान की रोपाई से पहले अप्रैल-मई में हरी खाद की बुआई का सही वक्त है। अपने इलाके में सही फसल चुनें, तो खेत तैयार हो जाएगा। आइए, अपनी सहज भाषा में समझें कि हरी खाद के लिए किसकी बुआई करें और इसका फायदा कैसे लें।

हरी खाद की खासियत और जरूरत

हमारे यहाँ हरी खाद मिट्टी को कुदरती ढंग से पोषण देती है। धान की रोपाई से पहले मिट्टी में नाइट्रोजन कम हो जाती है, और रसायनिक खाद का खर्च भी बढ़ता है। हरी खाद की फसलें 40-50 दिन में तैयार होकर मिट्टी को ताकत देती हैं। अपने खेतों में ये नमी बनाए रखती हैं और खरपतवार को भी कम करती हैं। इससे धान की जड़ें मजबूत होती हैं और पैदावार 20-25% तक बढ़ सकती है। हमारे यहाँ ये पुराना ढंग अब फिर से फायदेमंद साबित हो रहा है। ये मिट्टी का दोस्त और किसान का साथी है।

ढैंचा हरी खाद का बढ़िया ढंग

अपने इलाके में ढैंचा (Sesbania bispinosa) हरी खाद के लिए सबसे बढ़िया फसल है। ये तेजी से बढ़ता है और मिट्टी में नाइट्रोजन भरता है। अप्रैल-मई में ढैंचे के बीज बोएँ। एक बीघे के लिए 10-15 किलो बीज चाहिए, जो 50-70 रुपये किलो मिलते हैं। बीज को 2-3 सेमी गहरा बोकर हल्का पानी दें। 40-50 दिन में ये 3-4 फीट ऊँचा हो जाता है। फिर इसे काटकर मिट्टी में मिला दें और 10-15 दिन बाद धान की रोपाई करें। हमारे यहाँ ढैंचा मिट्टी को भुरभुरा बनाता है और धान को तगड़ी शुरुआत देता है। ये सस्ता और असरदार तरीका है।

मूँग और उड़द से दोहरा फायदा

अपने खेतों में मूँग (Vigna radiata) और उड़द (Vigna mungo) भी हरी खाद के लिए बढ़िया हैं। इनकी बुआई अप्रैल में करें। एक बीघे के लिए 8-10 किलो बीज काफी हैं, जो 80-100 रुपये किलो मिलते हैं। ये 35-45 दिन में तैयार हो जाते हैं। अगर फलियाँ चाहिए, तो थोड़ा इंतजार करें, वरना हरे-भरे पौधों को मिट्टी में मिला दें। अपने आसपास इनसे मिट्टी को नाइट्रोजन के साथ-साथ जैविक तत्व मिलते हैं। हमारे यहाँ ये फसलें धान की पैदावार बढ़ाने के साथ घर के लिए दाल भी देती हैं। ये दोहरे फायदे का देसी ढंग है।

बुआई और देखभाल का आसान तरीका

हरी खाद की फसल को ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं। अपने इलाके में खेत को जोतकर ढीला करें और प्रति बीघा 3-4 टन गोबर की खाद डालें। बीज को बिखेरकर या लाइनों में बोएँ और हल्की मिट्टी से ढक दें। शुरू में 7-10 दिन में पानी दें, फिर बारिश पर छोड़ दें। ढैंचा, मूँग या उड़द को 40-50 दिन बाद काटें और हल से मिट्टी में मिलाएँ। हमारे यहाँ 10-15 दिन बाद मिट्टी धान की रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। ये आसान ढंग मिट्टी को तंदुरुस्त और फसल को मजबूत बनाता है।

हरी खाद से धान की खेती को चमकाएँ

अपने इलाके में हरी खाद इसलिए खास है, क्यूँकि ये रसायनिक खाद का खर्च बचाती है और धान की पैदावार बढ़ाती है। अप्रैल-मई में ढैंचा, मूँग या उड़द बोएँ, तो जून-जुलाई में रोपाई के लिए मिट्टी तैयार मिलेगी। गावं में लोग कहते हैं कि अच्छी मिट्टी से धान का चावल स्वाद में लाजवाब होता है। तो भाइयों, हरी खाद की बुआई करें, मिट्टी को ताकत दें और धान की खेती को चमकाएँ। ये देसी नुस्खा आपकी मेहनत को सोना बना देगा!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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