Khurpaka-Muhpaka Diseases : आजकल जयपुर में मौसम बदल रहा है, और इसके साथ ही पशुओं में खुरपका-मुंहपका रोग (Foot-and-Mouth Disease – FMD) तेज़ी से फैल रहा है। ये देखकर आप पशुपालकों की टेंशन बढ़ गई होगी। गाय, भैंस, भेड़, और बकरियाँ इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं। पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी कहते हैं कि इस रोग से बचाने का सबसे पक्का तरीका है टीकाकरण।
अच्छी खबर ये है कि अभी टीकाकरण अभियान चल रहा है, जो 17 मई 2025 तक रहेगा। इसमें मुफ्त में टीके लग रहे हैं, तो आप फटाफट अपने पशुओं को टीका लगवाएँ। मौसम बदलने पर हर साल ये रोग हज़ारों पशुओं को नुकसान पहुँचाता है। छोटे बच्चों जैसे पशुओं के लिए ये जानलेवा हो सकता है, और दुधारू पशुओं का दूध आधा हो जाता है। तो चलिए, इस रोग को पूरी तरह समझते हैं और बचाव का तरीका जानते हैं।
खुरपका-मुंहपका क्या है और क्यों फैलता है?
ये रोग एक वायरस से होता है, जिसे खुरपका-मुंहपका या FMD कहते हैं। पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी बताते हैं कि ये बीमारी हवा, पानी, और छूने से फैलती है। अगर आपके स्वस्थ पशु बिना टीके वाले बीमार पशु के पास गए, तो खतरा है। दूषित चारा, दाना, या पानी पीने से भी ये हो सकता है। बीमार पशु की बिछावन, गोबर, पेशाब, या लार से भी वायरस फैलता है।
दुधारू पशुओं को दूध निकालने वाला ग्वाला अगर बीमार पशु को छूकर स्वस्थ पशु को छुए, तो भी रोग पहुँच जाता है। मौसम बदलने पर खासकर गर्मी से बारिश या ठंड की शुरुआत में ये रोग महामारी की तरह फैलता है। इंसानों में डेंगू-मलेरिया जैसे फैलने वाला ये रोग पशुओं के लिए उतना ही खतरनाक है।
इस रोग के लक्षण क्या-क्या हैं?
अब आप सोच रहे होंगे कि पता कैसे चलेगा कि पशु को ये रोग हुआ है? रामनिवास चौधरी ने इसके साफ लक्षण बताए हैं। सबसे पहले पशु को तेज़ बुखार चढ़ता है 105 से 107 डिग्री फॉरेनहाइट तक। मुंह में, मसूड़ों पर, और जीभ पर छाले पड़ जाते हैं। पशु की लार लगातार टपकने लगती है, जैसे मुंह से झाग निकल रहा हो। पैरों में खुरों के बीच छाले बनते हैं, जिससे पशु लंगड़ाने लगता है। ये छाले फटकर जख्म बन जाते हैं, और उनमें कीड़े पड़ने का डर रहता है।
दुधारू पशुओं के थनों और गादी (थनों के नीचे की चमड़ी) पर भी छाले हो जाते हैं। कुछ पशुओं को साँस लेने में तकलीफ यानी हाँफना शुरू हो जाता है। सबसे बड़ी मार दूध पर पड़ती है दुधारू पशु का दूध एकदम कम हो जाता है, कभी-कभी तो बिल्कुल बंद। ये देखकर आपकी मेहनत पर पानी फिर सकता है।
टीकाकरण से कैसे बचेगा रोग?
रामनिवास चौधरी कहते हैं कि इस रोग से बचने का सबसे आसान और पक्का तरीका है टीकाकरण। हर साल अपने पशुओं को टीका लगवाएँ। खासकर दुधारू पशुओं को 6-6 महीने के अंतर पर यानी साल में दो बार टीका ज़रूरी है। अभी जयपुर में टीकाकरण अभियान चल रहा है, जो 18 मार्च 2025 से शुरू हुआ और 17 मई 2025 तक चलेगा।
ये टीके सरकारी पशु चिकित्सा केंद्रों पर मुफ्त मिल रहे हैं। आप अपने नज़दीकी केंद्र पर जाएँ, पशुओं को ले जाएँ, और टीका लगवाएँ। टीका लगने से पशु का शरीर वायरस से लड़ने की ताकत बना लेता है। इससे न सिर्फ़ रोग का खतरा टलता है, बल्कि दूध की पैदावार भी बनी रहती है। गाँव में कई पशुपालक ऐसा कर रहे हैं और अपनी गाय-भैंस को सुरक्षित रख रहे हैं।
रोकथाम के देसी तरीके
टीकाकरण के अलावा कुछ और बातों का ध्यान रखें। अगर आपके किसी पशु को रोग हो गया, तो उसे तुरंत स्वस्थ पशुओं से अलग करें। उसे बाँधकर रखें, ताकि वो इधर-उधर न जाए। बीमार पशु के लिए खाना-पानी अलग रखें। उसे नदी, तालाब, या पोखर में पानी न पीने दें, क्यूँकि वहाँ वायरस फैल सकता है। पशु को कीचड़ या गीली जगह पर न बाँधें हमेशा सूखी और साफ जगह चुनें।
जो भी बीमार पशु की देखभाल करे, उसे बाहर निकलते वक्त हाथ-पैर साबुन से अच्छे से धोने चाहिए। जहाँ पशु की लार या गोबर गिरे, वहाँ कपड़े धोने का सोडा या चूना डालें। अगर हो सके, तो फिनाइल से धो दें ये वायरस को मारने में कारगर है। ये छोटे-छोटे कदम आपके पूरे बाड़े को बचा सकते हैं।
बीमार पशु का इलाज कैसे करें?
अगर पशु को रोग हो गया, तो घबराएँ नहीं। उसे अलग करें और तुरंत नज़दीकी पशु चिकित्सक को दिखाएँ। छालों को साफ करने के लिए बोरिक पाउडर या फिटकरी का पानी इस्तेमाल कर सकते हैं ये देसी नुस्खा गाँव में खूब चलता है। मुंह के छालों के लिए ग्लिसरीन या नीम का तेल हल्के से लगाएँ। पशु को नरम चारा जैसे हरा चारा या भूसा दें, ताकि मुंह में दर्द कम हो। पानी खूब पिलाएँ, लेकिन साफ और ताज़ा। अगर दूध कम हो गया, तो जल्दी ठीक करने के लिए चिकित्सक की दवा लें। मेहनत करेंगे, तो पशु फिर से तंदुरुस्त हो जाएगा।
आपकी मेहनत का फल बचेगा
ये रोग आपकी मेहनत और कमाई पर सीधा असर डालता है। एक गाय का दूध अगर 5 लीटर से 1 लीटर पर आ जाए, तो महीने में 5-6 हज़ार का नुकसान हो सकता है। लेकिन टीकाकरण और सही देखभाल से आप इसे रोक सकते हैं। अभी अभियान चल रहा है 18 मार्च से 17 मई 2025 तक। अपने पशुओं को मुफ्त टीका लगवाएँ। गाय-भैंस की सेहत बनी रहेगी, दूध की पैदावार नहीं रुकेगी, और आपकी जेब भी भरी रहेगी। तो देर न करें, आज ही अपने पशु चिकित्सा केंद्र पर जाएँ।
ये भी पढ़ें- महिलाओं के लिए बड़ा तोहफा! डेयरी फॉर्म खोलने के लिए मिलेगा बिना ब्याज का लोन