Agri Tips in Summer : किसान भाइयों, इन दिनों खेतों में प्याज, भिंडी, लौकी, तोरई, टमाटर, मिर्च, बैंगन, धनिया, खीरा और ककड़ी की फसलें लहलहा रही हैं। लेकिन गर्मी बढ़ रही है, कीट-रोग परेशान कर रहे हैं, और मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पा रहा। ऐसे में एक नई तकनीक आपके लिए वरदान बन सकती है। ये विधि इतनी कारीगर है कि फसलों को बुलेटप्रूफ सुरक्षा देती है, पैदावार को दोगुना कर देती है, और आपकी जेब भर देती है। सबसे बड़ी बात ये है कि जहाँ पहले 100 किलो उर्वरक लगता था, वहाँ अब डेढ़ किलो में काम हो जाता है। सब्जियाँ चमकने लगती हैं, उनकी गुणवत्ता बढ़ जाती है, और लागत भी घट जाती है। ICAR और कृषि वैज्ञानिकों ने 25 साल की मेहनत से ये तकनीक तैयार की है। इसे अपनाइए और देखिए कैसे खेती आपको मालामाल बनाती है।
नई तकनीक: छिड़काव विधि का कमाल
कृषि विभाग के बड़े अफसर प्रो. अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि उनकी टीम पिछले 20-25 साल से किसानों के लिए नई तकनीक लाने में जुटी है। जैसे पेस्टिसाइड्स का सही इस्तेमाल ज़रूरी है, वैसे ही उर्वरकों का संतुलित प्रयोग भी बहुत जरूरी होता है। अक्सर किसान भाई बुवाई के वक्त या जड़ों के पास खाद डाल देते हैं, जिससे उसकी आधी ताकत बेकार चली जाती है। लेकिन छिड़काव विधि से उर्वरक सीधे पत्तियों पर जाता है, और फसल उसे पूरा सोख लेती है। ये तरीका नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और गंधक की कमी को दूर करता है, कीट-रोगों से लड़ता है, और पैदावार को बढ़ाता है। साथ ही ये पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
प्याज की खेती में जादू
प्याज की फसल में अगर पत्तियाँ मुड़ रही हैं, सिकुड़ रही हैं, या बीमारी ठीक नहीं हो रही, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। बस डेढ़ किलो DAP यानी डाई-अमोनियम फॉस्फेट लीजिए और उसमें 50-60 ग्राम सल्फर पाउडर मिला दीजिए। इसे 200 लीटर पानी में घोलकर सुबह या शाम के वक्त पत्तियों पर छिड़क दीजिए। जब फसल 30-35 दिन की हो जाए, तो ये गांठ बनाने में मदद करेगा। गांठें बड़ी और मज़बूत होंगी, जल्दी तैयार होंगी, और पौधा ताकतवर बनेगा। इससे नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी दूर होगी, और सल्फर बैक्टीरिया-फफूंद से बचाव करेगा। ICAR की सलाह है कि हर 15-20 दिन में ये छिड़काव करते रहिए, तो पैदावार 20-25% तक बढ़ जाएगी।
भिंडी, लौकी, तोरई में बंपर फल
भिंडी, लौकी और तोरई की फसल में अगर फूल झड़ रहे हैं या फल छोटे रह जा रहे हैं, तो ये नुस्खा आजमाइए। 1 किलो यूरिया लीजिए और उसमें 50 ग्राम सल्फर मिला दीजिए। इसे 200 लीटर पानी में घोलकर फसल 25-30 दिन की होने पर सुबह या शाम छिड़काव करिए। इससे नाइट्रोजन की कमी दूर होगी, पौधा हरा-भरा रहेगा, और फल लंबे-चौड़े होंगे। सल्फर फफूंद को भगा देगा, और सब्जियों की चमक बढ़ जाएगी। बाजार में ऐसी सब्जियाँ 30-40% ज़्यादा दाम पर बिकती हैं। हर 10-15 दिन में ये तरीका दोहराते रहिए, तो फसल लहलहा उठेगी।
टमाटर, मिर्च, बैंगन को कीटों से बचाएँ
टमाटर, मिर्च और बैंगन में फल छेदक कीट अगर परेशान कर रहा है, तो खेत में 2-3 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगा दीजिए, ताकि कीटों पर नज़र रहे। अगर कीट बढ़ जाएँ, तो 1 ग्राम बी.टी. यानी बैसिलस थुरिंजिएंसिस को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़किए। फिर भी न रुके, तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड 48 EC को 1 मिली प्रति 4 लीटर पानी में मिलाकर सुबह-शाम छिड़क दीजिए। साथ ही, डेढ़ किलो DAP और 50 ग्राम सल्फर का छिड़काव हर 20 दिन में करिए। इससे फल मज़बूत होंगे, कीट कम होंगे, और पैदावार 15-20 क्विंटल प्रति एकड़ तक बढ़ सकती है।
धनिया, खीरा, ककड़ी में हरियाली
धनिया की पत्तियाँ अगर पीली पड़ रही हैं, या खीरा और ककड़ी में फल कम लग रहे हैं, तो घबराइए मत। 1 किलो यूरिया, 500 ग्राम पोटाश और 50 ग्राम सल्फर लीजिए और इसे 200 लीटर पानी में मिला दीजिए। फसल जब 20-25 दिन की हो जाए, तो छिड़काव करिए। धनिया की पत्तियाँ चमक उठेंगी, और खीरा-ककड़ी में फल भारी-भरकम होंगे। ICAR कहता है कि ये तरीका पोषण के साथ-साथ रोगों से भी लड़ता है। हर 15 दिन में इसे दोहराते रहिए, तो बाजार में आपका माल जल्दी बिकेगा और अच्छा दाम मिलेगा।
क्यों है ये विधि खास
ये छिड़काव विधि इसलिए खास है क्योंकि ये कम खाद में ज़्यादा फायदा देती है। जहाँ पहले 100 किलो उर्वरक लगता था, वहाँ अब डेढ़-दो किलो में काम हो जाता है। सल्फर कीट और रोगों को भगाता है, जिससे फसल को बुलेटप्रूफ सुरक्षा मिलती है। पैदावार 20-30% तक बढ़ जाती है, और सब्जियाँ चमकदार, स्वादिष्ट और बिकाऊ बनती हैं। सबसे बड़ी बात, ये पर्यावरण के लिए सुरक्षित है, मिट्टी की ताकत बनी रहती है, और खेती की लागत भी घट जाती है।
खेती का पूरा तरीका
खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करिए। बुवाई से पहले 10-15 टन गोबर खाद डाल दीजिए, ताकि मिट्टी की ताकत बढ़े। बीज चुनते वक्त उन्नत किस्में लीजिए, जैसे प्याज के लिए अर्का कल्याण, भिंडी के लिए परभनी क्रांति, टमाटर के लिए पूसा रूबी, और लौकी के लिए पूसा नवीन। छिड़काव का सही समय सुबह 6 से 8 बजे या शाम 5 से 7 बजे रखिए, जब हवा कम हो। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम यूज़ करिए, इससे पानी की बचत होगी और फसल को सही नमी मिलेगी। हर हफ्ते फसल पर नज़र रखिए, पत्तियों का रंग देखिए, और कीटों का पता लगाइए।
लागत और मुनाफा
इस तकनीक से खेती की लागत प्रति एकड़ 20,000-25,000 रुपये तक आती है, जिसमें बीज, खाद और छिड़काव का खर्च शामिल है। पैदावार की बात करें, तो प्याज 15-20 टन, टमाटर 20-25 टन, और भिंडी 8-10 टन प्रति एकड़ तक हो सकती है। थोक में 20-30 रुपये प्रति किलो भाव मानें, तो 3-5 लाख रुपये प्रति एकड़ मुनाफा आसानी से हो सकता है। छिड़काव विधि से लागत 30% कम हो जाती है और मुनाफा 40% तक बढ़ जाता है।
2025 के लिए नई सलाह
2025 में खेती को और बेहतर करने के लिए कुछ नई सलाह भी आजमाइए। ऑर्गेनिक तरीके से नीम तेल को 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर सल्फर के साथ छिड़किए, इससे कीट भाग जाएँगे। फूलों के समय ज़िंक 0.5% और बोरॉन 0.2% का छिड़काव करिए, फल ज़्यादा लगेंगे। सब्जी कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की डील कर लीजिए, तो दाम पक्का हो जाएगा और मुनाफा बढ़ेगा।
मेहनत का फल लीजिए
भाइयों, ये छिड़काव विधि आपकी खेती को नई ऊँचाई देगी। कम खर्च में बंपर माल तैयार करिए और बाजार में धूम मचाइए। ICAR और एक्सपर्ट्स की सलाह से आपकी फसल लहलहाएगी, और जेब भर जाएगी। खेत में नज़र रखिए, सही वक्त पर सही कदम उठाइए—मालामाल होना पक्का है!
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