Dhan Me Blast Rog se Bachav : किसान भाइयों, धान की फसल आपकी मेहनत का गहना है, लेकिन ब्लास्ट रोग इसे बर्बाद कर सकता है। यह एक फंगल रोग है, जो पत्तियों, तनों, और बालियों को नुकसान पहुँचाता है, जिससे उपज आधी रह जाती है। Pyricularia oryzae नाम का कवक इसकी जड़ में है, जो नमी और गर्मी में तेज़ी से फैलता है। लेकिन चिंता न करें! सही जानकारी और कुछ देसी-वैज्ञानिक उपायों से आप अपनी फसल को बचा सकते हैं। आइए, जानते हैं कि ब्लास्ट रोग को कैसे पहचानें, इसके कारण क्या हैं, और इसे कैसे जड़ से खत्म करें।
ब्लास्ट रोग की पहचान
ब्लास्ट रोग को पकड़ना आसान है, अगर आप थोड़ा ध्यान दें। शुरुआत में धान की पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे या राख जैसे धब्बे दिखते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे बड़े होकर अंडाकार या हीरे जैसे बन जाते हैं, जिनके किनारे गहरे भूरे और बीच का हिस्सा हल्का होता है। अगर रोग बढ़ जाए, तो पूरा पौधा सूखने लगता है। बालियों में दाने नहीं बनते, या वो झुलस जाते हैं। गंभीर हालत में खेत ऐसा लगता है, मानो आग लग गई हो। इन लक्षणों को देखते ही सतर्क हो जाएँ, ताकि रोग को फैलने से पहले रोका जा सके।
ब्लास्ट रोग तब पनपता है, जब मौसम और खेती का तरीका कवक को मौका देता है। लगातार बारिश और खेत में भरा पानी इसकी सबसे बड़ी वजह है। 24-28 डिग्री तापमान में यह कवक तेज़ी से बढ़ता है। अगर आपने पौधों को बहुत पास-पास बोया, ज़्यादा यूरिया डाला, या पुराने रोगग्रस्त बीज इस्तेमाल किए, तो ब्लास्ट का खतरा बढ़ जाता है। खेत में बचे फसल के अवशेष भी इस रोग को फैलाते हैं। इन बातों का ध्यान रखकर आप शुरुआत से ही अपनी फसल को मज़बूत बना सकते हैं।
देसी नुस्खे से रोग पर प्रहार
किसान भाइयों, ब्लास्ट रोग से लड़ने के लिए आपके घर में ही कई देसी हथियार हैं। लहसुन और नीम का घोल बनाएँ 200 ग्राम लहसुन और 500 ग्राम नीम की पत्तियाँ पीसकर 10 लीटर पानी में मिलाएँ। इसे छानकर खेत में छिड़कें। यह फंगस को पनपने नहीं देता। दूसरा तरीका है दही और हल्दी का घोल। 2 लीटर छाछ में 100 ग्राम हल्दी मिलाकर पौधों पर स्प्रे करें। यह पत्तियों को सुरक्षा देता है। गोमूत्र भी कमाल का है 5 लीटर गोमूत्र में 1 किलो नीम पत्तियाँ और 200 ग्राम लहसुन मिलाकर 2 दिन सड़ाएँ, फिर छानकर छिड़काव करें। ये देसी नुस्खे सस्ते हैं और फसल को ताकत देते हैं।
वैज्ञानिक हथियारों का कमाल
अगर रोग बढ़ जाए, तो वैज्ञानिक तरीके आपका सहारा बनते हैं। कार्बेन्डाजिम (50% WP) का इस्तेमाल करें 1 ग्राम दवा को 1 लीटर पानी में मिलाकर 10-12 दिन के अंतर पर छिड़कें। ट्राईसाइक्लाजोल (75% WP) भी बहुत असरदार है 0.6 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाएँ। अगर जल्दी रिजल्ट चाहिए, तो प्रोपीनेब और ट्राईसाइक्लाजोल का मिश्रण आज़माएँ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में। ये दवाएँ ब्लास्ट को जड़ से खत्म करती हैं। लेकिन दवा लेने से पहले कृषि केंद्र से सलाह लें, ताकि सही मात्रा और समय का पता हो। रोगग्रस्त पौधों को खेत से निकालकर जला दें, ताकि कवक न फैले।
फसल चक्र और बीज की ताकत
रोग से बचने का एक पुराना तरीका है फसल चक्र। हर साल सिर्फ धान न बोएँ। बीच-बीच में मटर, सरसों, या चना जैसी फसलें लगाएँ। इससे मिट्टी स्वस्थ रहती है और ब्लास्ट का कवक कमज़ोर पड़ता है। बुवाई से पहले बीजों को नीम तेल या राख से उपचारित करें। यह फंगस को शुरू में ही मार देता है। अगर बीज अच्छा और शुद्ध हो, तो आधी जंग वही जीत लेते हैं। अपने खेत के पुराने अवशेषों को साफ करें, ताकि रोग का ठिकाना न बचे। ये छोटे कदम आपकी फसल को बड़ी मुसीबत से बचाएंगे।
खेत का रखें खास ख्याल
ब्लास्ट रोग नमी का दोस्त है, इसलिए खेत में पानी जमा न होने दें। अच्छा जल निकास बनाएँ, ताकि पौधों की जड़ें साँस ले सकें। यूरिया का इस्तेमाल सोच-समझकर करें। ज़्यादा नाइट्रोजन पौधों को कमज़ोर बनाता है। इसके बजाय डीएपी, पोटाश, और जैविक खाद का संतुलित मिश्रण डालें। खेत को साफ रखें और पुराने अवशेष हटाएँ। अगर रोग के लक्षण दिखें, तो तुरंत छिड़काव शुरू करें। ये छोटी बातें आपकी फसल को रोग की मार से बचाएंगी और उपज को दोगुना करेंगी।
किसान भाइयों, ब्लास्ट रोग कोई बड़ी मुसीबत नहीं, अगर आप सही समय पर सही कदम उठाएँ। देसी नुस्खों जैसे नीम, गोमूत्र, और हल्दी से लेकर वैज्ञानिक दवाओं तक, आपके पास कई हथियार हैं। खेत का पानी, खाद, और बीज का ध्यान रखें। जब आपकी धान की बालियाँ लहलहाएंगी और दाने भरे होंगे, तो मेहनत का असली मज़ा आएगा। तो आज से ही अपने खेत को तैयार करें, और ब्लास्ट रोग को जड़ से उखाड़ फेंकें।
ये भी पढ़ें- इस बार अपने खेतों में रोपाई कीजिए अगेती बासमती धान, एक हेक्टेयर से कमाई होगी 6 लाख रूपये
2 thoughts on “धान की फसल में ब्लास्ट रोग से बचाव के देसी और वैज्ञानिक उपाय”