Natural Farming: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब राज्य के किसानों को रासायनिक खेती से हटाकर प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने की बड़ी योजना पर काम कर रही है। सरकार ने ऐलान किया है कि आने वाले दो सालों में प्रदेश के 282 ब्लॉकों और 2144 ग्राम पंचायतों में 2.5 लाख से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाया जाएगा। इसके लिए सरकार 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करेगी।
मिट्टी में जहर घुल रहा है, अब समय है बदलाव का
राज्य सरकार का कहना है कि खेतों की मिट्टी में भारी धातुएं (जैसे आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, सीसा आदि) बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की करीब 15% खेती योग्य जमीन इन जहरीली धातुओं से बुरी तरह दूषित हो चुकी है, जिससे करीब 1.4 अरब लोग प्रभावित हो रहे हैं। ये धातुएं पानी, मिट्टी और हवा के ज़रिए हमारी फसलों में पहुंच रही हैं और फिर हमारे शरीर में, जिससे लंबे समय के लिए बीमारियां हो रही हैं।
इसी वजह से अब सरकारें जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, जो न केवल बिना रसायन वाली खेती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित, कम लागत वाली और लंबे समय तक टिकाऊ है।
हर गांव में बनेगा क्लस्टर, हर किसान को मिलेगा साथ
सरकार ने योजना बनाई है कि हर ग्राम पंचायत में 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर बनेगा। इसमें दो हेक्टेयर तक की जमीन वाले किसानों को खास तौर पर मदद दी जाएगी। अभी तक 470 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं और 21,934 किसान इसका फायदा भी ले चुके हैं। सरकार की योजना है कि इस तरह के और भी हजारों क्लस्टर पूरे प्रदेश में बनाए जाएंगे।
किसानों को सिखाई जाएगी गाय-आधारित प्राकृतिक खेती
बुंदेलखंड के सात जिलों – झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट – में सरकार ने एक खास योजना शुरू की है जिसमें किसानों को गाय के गोबर और मूत्र से बनी खाद और कीटनाशक बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें जीवामृत, बीजामृत और घनजीवामृत जैसे जैविक उत्पाद शामिल हैं।
हर जिले में जैव-इनपुट रिसर्च सेंटर और हर गांव में “कृषि सखी”
प्राकृतिक खेती को जमीन पर सही तरीके से उतारने के लिए सरकार ने फैसला लिया है कि हर जिले में दो जैव-इनपुट अनुसंधान केंद्र (BRC) बनाए जाएंगे। इसके अलावा, हर गांव में ‘कृषि सखियों’ की तैनाती होगी जो किसानों को खेती के नए तरीके सिखाएंगी। इन महिला सहायकों को 5000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा और इन्हें कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञ ट्रेनिंग देंगे।
गंगा किनारे के गांवों में भी बढ़ेगी प्राकृतिक खेती
सरकार अब गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे गांवों में भी इस योजना को लागू करने जा रही है। इससे ना सिर्फ किसानों की सेहत सुरक्षित रहेगी, बल्कि मिट्टी, पानी और पर्यावरण भी बचेंगे।
अब तक कितना खर्च हुआ?
सरकार ने बताया कि इस योजना के पहले और दूसरे चरण के लिए अब तक 13.16 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं और 2535 किसान फील्ड स्कूल आयोजित किए जा चुके हैं, जहां किसानों को प्राकृतिक खेती की पूरी जानकारी दी गई।
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