करेला भारतीय किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने वाली फसल मानी जाती है। मार्च का महीना करेले की खेती शुरू करने के लिए सबसे सही समय होता है। खासतौर पर हाइब्रिड करेले (Hybrid Bitter Gourd) की खेती करने से उत्पादन भी अच्छा होता है और बाजार में इसकी मांग भी ज्यादा रहती है। अगर आप करेले की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो यह गाइड आपको हर जरूरी जानकारी देगी, जैसे- खेत की तैयारी, बीज का चयन, सिंचाई, देखभाल और तुड़ाई।
खेत तैयार करना
करेले की खेती के लिए खेत की मिट्टी का सही होना बेहद जरूरी है। हल्की दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद गोबर की खाद और डीएपी जैसी उर्वरक डालें, जो मिट्टी को पोषक बनाती हैं। खाद डालने के बाद मिट्टी को रोटावेटर से अच्छी तरह मिलाएं।
खेत तैयार हो जाने के बाद मेढ़ें या हल्की नालियां बनाकर बुआई करें। बुआई के समय यह ध्यान रखें कि बीज ज्यादा गहराई पर न लगाएं। 1.5 से 2 इंच की गहराई सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
अच्छी हाइब्रिड बीज का चयन
करेले Hybrid bitter gourd के उच्च उत्पादन के लिए बीज का सही चयन बहुत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में बाजार में कई कंपनियों के हाईब्रिड बीज उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ उत्तम बीज हैं:
- नामधारी करेला बीज
- गोल्डन हिल्स
- अर्शियत हाईब्रिड ईस्ट वेस्ट F1
- बीटर गार्ड डार्क ग्रीन
- VNR F1 और आलोक बीज
इन बीजों की पहचान उनकी तेजी से अंकुरण, पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता, और बेहतर उत्पादन क्षमता से होती है।
सिंचाई
करेले की खेती में सिंचाई का खास ध्यान रखना पड़ता है। शुरुआत में, जब बीज अंकुरित हो रहे हों, तब कम पानी दें। बस इतना कि मिट्टी में हल्की नमी बनी रहे।
जब पौधों पर फूल और फल आने लगें, तब पानी की मात्रा बढ़ा दें। इस समय ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा। इससे फसल का उत्पादन बढ़ता है और पानी की भी बचत होती है।
पौधों की देखभाल
करेले के पौधों को सही देखभाल की जरूरत होती है, ताकि ये रोगों से सुरक्षित रहें। पौधों पर फंगस का खतरा ज्यादा रहता है, इसलिए समय-समय पर फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
अगर तना छेदक या चूसक कीट का हमला हो, तो जैविक कीटनाशक या नीम के तेल का उपयोग करें। इसके अलावा, पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगें, तो सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करें।
मचान या छप्पर जरुर बनायें
करेले के पौधे बेल वाली प्रजाति के होते हैं, इसलिए इन्हें फैलने के लिए मचान या छप्पर बनाना जरूरी होता है। इससे फलों को जमीन पर गिरने से बचाया जा सकता है। जमीन पर गिरे फलों में कीड़े लगने का खतरा रहता है।
आप बांस की मदद से मचान बना सकते हैं। यह सस्ता भी होता है और टिकाऊ भी। अगर आप ज्यादा मजबूत विकल्प चाहते हैं, तो लोहे का ढांचा बनवा सकते हैं।
तुड़ाई का सही तरीका अपनाएं
करेला एक ऐसी फसल है जिसे हर 3-4 दिन में तोड़ा जा सकता है। सही समय पर करेले की तुड़ाई करने से फल की गुणवत्ता बनी रहती है।
तुड़ाई के बाद करेले को सीधे बाजार में बेचें। बाजार में ताजे करेले की मांग ज्यादा रहती है। इससे आप हर हफ्ते अच्छी कमाई कर सकते हैं।
करेले की खेती से कमाई के फायदे
मार्च में करेले की खेती शुरू करना किसानों के लिए एक शानदार विकल्प है। सही बीज, अच्छी मिट्टी और उचित देखभाल से बम्पर उत्पादन किया जा सकता है। करेले की खेती से हर हफ्ते नियमित कमाई हो सकती है। यह एक ऐसी फसल है, जो न केवल बाजार में हमेशा मांग में रहती है, बल्कि किसान को कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है।
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