Mung Ki Kheti: मूंग की खेती भारत के गाँवों में किसानों के लिए आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में खरीफ और रबी मौसम में मूंग की फसल खूब उगाई जाती है। ये फसल कम लागत और कम पानी में अच्छी पैदावार देती है, लेकिन कुछ छोटी-छोटी गलतियाँ आपकी मेहनत पर पानी फेर सकती हैं। फूल आने पर गलत समय पर सिंचाई, गलत कीटनाशक का छिड़काव, और येलो मोज़ेक वायरस का समय पर नियंत्रण न करना ऐसी तीन बड़ी गलतियाँ हैं, जो आपकी मूंग की फसल को बर्बाद कर सकती हैं। इस लेख में हम इन गलतियों को विस्तार से समझेंगे और इन्हें रोकने के सरल तरीके बताएंगे।
फूल आने पर गलत समय पर सिंचाई
मूंग की फसल में फूल आने का समय बहुत नाजुक होता है। इस दौरान गलत समय पर सिंचाई करना फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। जब पौधे फूलने की अवस्था में होते हैं, तब ज्यादा पानी देने से फूल झड़ सकते हैं या फलियां बनने की प्रक्रिया रुक सकती है। मई में खरीफ मूंग की बुआई के बाद, फूल आमतौर पर 30-40 दिन बाद आते हैं। अगर इस समय खेत में पानी भर जाता है, तो पौधों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं और पैदावार कम हो सकती है। इससे बचने के लिए फूल आने से पहले और बाद में ही हल्की सिंचाई करें। ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें, यह अच्छी विधि मानी जाती है।
गलत कीटनाशक का छिड़काव
मूंग की फसल में कीटों का खतरा आम बात है, लेकिन गलत कीटनाशक का छिड़काव आपकी फसल को और नुकसान पहुंचा सकता है। कई बार किसान बिना जानकारी के ज्यादा मात्रा में या गलत समय पर कीटनाशक छिड़क देते हैं, जिससे पौधों की पत्तियां जल सकती हैं या फूल और फलियां खराब हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, थ्रिप्स और फली छेदक जैसे कीट मूंग की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। अगर आप इनके लिए गलत रसायन, जैसे गैर-अनुशंसित कीटनाशक या ज्यादा सांद्रता, का उपयोग करते हैं, तो फसल की गुणवत्ता कम हो सकती है।
येलो मोज़ेक वायरस का समय पर नियंत्रण न करना
येलो मोज़ेक वायरस मूंग की फसल का सबसे खतरनाक दुश्मन है। ये वायरस सफेद मक्खी के जरिए फैलता है और पत्तियों पर पीले धब्बे बनाता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और पैदावार 50-70% तक कम हो सकती है। अगर इस वायरस का समय पर नियंत्रण न किया जाए, तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। मई में खरीफ मूंग की बुआई के बाद, गर्मी और नमी के कारण सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ता है। इससे बचने के लिए वायरस-रोधी किस्में, जैसे Pusa Vishal, ML 818, या Samrat, चुनें। बुआई से पहले बीज को 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 70 WS प्रति किलो बीज से उपचारित करें। खेत में पीले चिपचिपे ट्रैप लगाएं, ताकि सफेद मक्खी पकड़ी जाए।
मूंग की खेती के लिए सामान्य सलाह
इन तीन गलतियों से बचने के अलावा, मूंग की खेती को सफल बनाने के लिए कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखें। मूंग की बुआई के लिए मई का महीना खरीफ फसल के लिए उपयुक्त है, खासकर राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में। खेत की गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की खाद डालें। बुआई के समय 20-25 किलो बीज प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें और पंक्तियों के बीच 30 सेंटीमीटर का फासला रखें। मूंग की फसल को शुरूआती 30-40 दिन खरपतवार से मुक्त रखें। इसके लिए बुआई के 15 दिन बाद हाथ से निराई-गुड़ाई करें। मूंग के साथ मिश्रित खेती, जैसे ज्वार या बाजरा, अपनाएं,
किसानों के लिए खास टिप्स
मूंग की खेती को और सफल बनाने के लिए अपने क्षेत्र के अनुभवी किसानों से सलाह लें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से नई किस्मों और तकनीकों की जानकारी लेते रहें। जैविक खेती अपनाएं, ताकि मिट्टी की सेहत बनी रहे और मुनाफा बढ़े। खेत में नियमित निगरानी करें, ताकि कीट या रोग का पता जल्दी चल जाए। अपने ब्लॉग पर मूंग की खेती की फोटो और अनुभव शेयर करें, इससे दूसरे किसान प्रेरित होंगे और आपका ब्लॉग पॉपुलर होगा। इन तीन गलतियों से बचकर और सही तरीके अपनाकर आप अपनी मूंग की फसल को बर्बादी से बचा सकते हैं। इस मौसम में मूंग की खेती शुरू करें और अच्छा मुनाफा कमाएं!
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