अंगोरा खरगोश पालन: कम जगह, कम खर्च और तगड़ी कमाई का फार्मूला

Angora Khargosh Palan: किसान भाईयों, अंगोरा खरगोश पालन छोटे किसानों और ग्रामीण महिलाओं के लिए नीली क्रांति की तरह उभर रहा है। ये खरगोश अपनी मुलायम, हल्की, और गर्म ऊन के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसकी मांग भारत और विदेशों में बढ़ रही है। ICAR के अनुसार, अंगोरा खरगोश भेड़ों से 6 गुना अधिक ऊन प्रति किलो वजन देता है, और इसे कम जगह में पाला जा सकता है। सिक्किम और हिमाचल में किसानों ने इससे लाखों की कमाई शुरू कर दी है।  यह व्यवसाय कम निवेश और उच्च मुनाफे का नया रास्ता खोल रहा है। यह लेख अंगोरा खरगोश पालन, नस्लें, ऊन उत्पादन, और मुनाफे की पूरी जानकारी देगा।

अंगोरा खरगोश क्या हैं

अंगोरा खरगोश तुर्की के अंगोरा क्षेत्र से उत्पन्न हुए हैं। ये छोटे, गोल शरीर वाले खरगोश ऊन उत्पादन के लिए पाले जाते हैं। इनकी ऊन, जिसे अंगोरा वूल कहते हैं, मुलायम, गर्म, और हल्की होती है, जो कुल्लू शॉल और महंगे स्वेटर बनाने में उपयोग होती है। KVK सिक्किम के अनुसार, एक खरगोश सालाना 500-1800 ग्राम ऊन देता है। भारत में जर्मन अंगोरा सबसे लोकप्रिय नस्ल है, जो 1000-1800 ग्राम ऊन देती है। अन्य नस्लें जैसे इंग्लिश, फ्रैंच, साटिन, और जायंट अंगोरा भी पाली जाती हैं। इनका वजन 3.5-5.5 किलो होता है।

नस्लें और उनकी खासियत

अंगोरा खरगोश की विभिन्न नस्लें अलग-अलग ऊन उत्पादन और देखभाल की मांग करती हैं। जर्मन अंगोरा सबसे अधिक ऊन (1-1.8 किलो/वर्ष) देता है, लेकिन इसे नियमित कतरन चाहिए। इंग्लिश अंगोरा (3.5-4.5 किलो) चेहरे और पैरों पर घनी ऊन देता है, जिसे रोज़ाना साफ करना पड़ता है। फ्रैंच अंगोरा (3.5-4.5 किलो) कम रखरखाव और रंगों की विविधता के लिए जाना जाता है। साटिन अंगोरा (3-4.5 किलो) चमकदार ऊन देता है, लेकिन कम मात्रा में (500-800 ग्राम/वर्ष)। जायंट अंगोरा (5.5 किलो से अधिक) बड़े आकार और अधिक ऊन के लिए उपयुक्त है। ICAR सलाह देता है कि नस्ल चुनते समय जलवायु और बाजार मांग देखें।

आवास और वातावरण

अंगोरा खरगोश को ठंडी जलवायु (10-20 डिग्री सेल्सियस) और 55-65% नमी चाहिए। भारत में हिमाचल, सिक्किम, उत्तराखंड, और जम्मू-कश्मीर इसके लिए आदर्श हैं। इन्हें तीन तरह के आवास में रखा जा सकता है। हच प्रणाली में चलायमान पिंजरे छत के साथ होते हैं, जो छोटे किसानों के लिए आसान हैं। पिंजरा प्रणाली में लकड़ी/लोहे के जालीदार पिंजरे साफ रखने में मदद करते हैं। फर्श प्रणाली में बिछावन (भूसा) डालकर खरगोश रखे जाते हैं, लेकिन इसमें साफ-सफाई ज्यादा जरूरी है। KVK सलाह देता है कि पिंजरे हवादार हों और रोज़ाना साफ हों। लागत 5000-10000 रुपये/10 खरगोश है।

आहार और पोषण की व्यवस्था

अंगोरा खरगोश का आहार ऊन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इन्हें 18% प्रोटीन वाले मिश्रित फीड (100-150 ग्राम/दिन) और हरा चारा (150-300 ग्राम/दिन) चाहिए। लूसर्न, पालक, गाजर, गोभी के पत्ते, और शलगम अच्छे विकल्प हैं। रसोई का बचा हुआ (गाजर/गोभी के पत्ते) भी दे सकते हैं। गर्भवती/दूध पिलाने वाली मादा को अतिरिक्त 50 ग्राम फीड दें। बासी रोटी और दूध ब्याने के बाद मादा की ताकत बढ़ाते हैं। साफ पानी हमेशा उपलब्ध रखें। ICAR सलाह देता है कि चबाने के लिए सूखा भूसा दें, ताकि दांत स्वस्थ रहें। लागत 60-100 रुपये/खरगोश/माह है।

देखभाल और टीकाकरण

अंगोरा खरगोश की देखभाल में ऊन की कतरन और साफ-सफाई सबसे जरूरी है। जर्मन अंगोरा को साल में 4 बार कतरना पड़ता है, जबकि इंग्लिश को रोज़ाना ब्रश करना चाहिए। वूल ब्लॉक (पेट में ऊन जमा होना) से बचाने के लिए नियमित भूसा और कतरन जरूरी है। टीकाकरण में RMD और माईक्सोमैटोसिस का टीका 5 सप्ताह की उम्र में और RHD2 टीका 6-12 महीने की उम्र में लगाएं। दोनों टीकों में 2 सप्ताह का अंतर रखें। KVK से मुफ्त टीकाकरण सलाह लें। नवजात खरगोश को 21 दिन बाद सामान्य आहार शुरू करें और मादा को ब्याने के लिए शांत पिंजरा दें।

ऊन उत्पादन और मुनाफा

अंगोरा खरगोश का ऊन उत्पादन इसकी सबसे बड़ी ताकत है। सिक्किम में किसानों ने 55 खरगोशों से 45 किलो ऊन बेचकर 59500 रुपये कमाए। एक खरगोश सालाना 500-1800 ग्राम ऊन देता है, जिसकी कीमत 2000-5000 रुपये/किलो है। जर्मन अंगोरा से 1.8 किलो ऊन (9000 रुपये/वर्ष) मिल सकती है। 10 खरगोशों से 10-18 किलो ऊन (20000-90000 रुपये/वर्ष) मिलता है। eNAM, Etsy, और स्थानीय मेलों में बेचकर मुनाफा बढ़ाएं। खरगोश बिक्री (2000-8000 रुपये/जोड़ा) और खाद (500 रुपये/क्विंटल) से अतिरिक्त आय होती है। ICAR के अनुसार, 20 खरगोशों से 25181 रुपये/वर्ष शुद्ध मुनाफा संभव है।

सरकारी सहायता और प्रशिक्षण

राष्ट्रीय पशुधन मिशन और KVK अंगोरा खरगोश पालन के लिए 30-50% सब्सिडी और प्रशिक्षण देते हैं। NABARD से 2 लाख रुपये तक लोन मिलता है। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से ब्याजमुक्त ऋण लें। ICAR के केंद्र (जैसे मेघालय, हिमाचल) ऊन कतरन और विपणन पर कार्यशालाएं आयोजित करते हैं। pib.gov.in पर आवेदन और दिशानिर्देश उपलब्ध हैं। सिक्किम में KVK ने 700 जोड़े वितरित किए, जिससे 200 परिवारों की आय बढ़ी। post:0 के अनुसार, चम्पावत में अंगोरा पालन को आजीविका के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।

अंगोरा खरगोश पालन ने सिक्किम में 290% ऊन उत्पादन और 274% मुनाफा बढ़ाया है। हिमाचल में कुल्लू शॉल उद्योग ने 25-30 टन अंगोरा ऊन का उपयोग किया। 10 खरगोश से शुरू कर 1 लाख रुपये/वर्ष कमाना संभव है। महिलाएं और SHG ऊन प्रसंस्करण में 20% रोजगार सृजन कर रही हैं। Etsy और Amazon पर भारतीय अंगोरा ऊन की मांग 15% बढ़ी है।  अंगोरा खरगोश पालन कम निवेश और उच्च मुनाफे का सुनहरा अवसर है। जर्मन अंगोरा से शुरू करें। 10 खरगोशों से 1 लाख रुपये/वर्ष कमाएं। यह व्यवसाय न केवल आपकी आय बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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