इन दिनों किसान भाई गेहूं की कटाई के बाद धान की तैयारी में जुटे हैं। बारिश का मौसम शुरू होते ही धान की पौध लगाने का काम जोर पकड़ लेगा। कुछ किसान मई-जून में ही धान की सीधी बुवाई भी करते हैं। लेकिन धान की फसल को दीमक और जड़ खाने वाले कीटों से बचाना बड़ी चुनौती है। अगर खेत की मिट्टी को पहले से तैयार न किया जाए, तो ये कीट फसल को नुकसान पहुँचाते हैं। फिर महँगी दवाइयाँ और रासायनिक खाद डालनी पड़ती हैं, जिससे जेब पर बोझ पड़ता है। मृदा उपचार ऐसा आसान तरीका है, जो खेत को कीटों से बचाता है और खेती की लागत को कम करता है।
मृदा उपचार क्यों जरूरी है
धान के खेत में पानी की जरूरत होती है। पानी के साथ मिट्टी में छिपे कीट सक्रिय हो जाते हैं और नन्हीं पौधों की जड़ों को काटने लगते हैं। इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और पैदावार घट जाती है। अगर रोपाई से पहले मिट्टी का उपचार कर लिया जाए, तो कीटों का खतरा कम हो जाता है। यह तरीका न सिर्फ फसल को बचाता है, बल्कि रासायनिक दवाइयों पर होने वाला खर्च भी घटाता है। हमारे गाँव के किसान भाई मेहनत तो खूब करते हैं, लेकिन सही जानकारी के साथ वो अपनी फसल को और बेहतर बना सकते हैं।
मृदा उपचार की आसान विधि
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एक सस्ता और असरदार जैविक उपाय बताया है। सबसे पहले 5 किलोग्राम बावेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोपली लें। इसे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला लें। अब इस मिश्रण को खेत में बराबर बिखेर दें। जुताई के बाद खेत को समतल करें और पानी भर दें। इसके बाद आप धान की रोपाई शुरू कर सकते हैं। यह जैविक उत्पाद उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान में आसानी से मिल जाता है। एक किलो की कीमत सिर्फ 168 रुपये है। इतने कम खर्च में आप अपने खेत को कीटों से बचा सकते हैं।
जैविक उपचार के फायदे
इस जैविक मृदा उपचार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सस्ता है। महँगी रासायनिक दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती। साथ ही, यह मिट्टी की सेहत को भी बरकरार रखता है। रासायनिक दवाइयाँ मिट्टी को सख्त और बंजर बना देती हैं, लेकिन जैविक उत्पाद मिट्टी को उपजाऊ रखते हैं। इससे आपकी फसलें ज्यादा तंदुरुस्त होती हैं और पैदावार बढ़ती है। गाँव के कई किसान इस तरीके को आजमा रहे हैं और अच्छे नतीजे पा रहे हैं। यह उपाय पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचाता, जिससे हमारी धरती और पानी साफ रहते हैं।
किसानों के लिए सलाह
अगर आप धान की खेती करते हैं, तो इस बार रोपाई से पहले मृदा उपचार जरूर करें। अपने नजदीकी गन्ना शोध संस्थान से संपर्क करें और ये जैविक उत्पाद खरीदें। अगर संस्थान दूर है, तो वहाँ फोन करके डिलीवरी की जानकारी लें। अपने खेत के छोटे हिस्से में पहले इस तरीके को आजमाएँ और फर्क देखें। साथ ही, अपने गाँव के दूसरे किसान भाइयों को भी इस बारे में बताएँ। जब हम सब मिलकर जैविक तरीके अपनाएँगे, तो खेती सस्ती और फायदेमंद होगी।
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