वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर से करें धान की रोपाई, अब ज्यादा मजदूरों की जरुरत ख़त्म, उत्पादन में होगा 15% बढ़ोतरी

Walking Rice Transplanter: किसान भाईयों, धान खरीफ मौसम की सबसे महत्वपूर्ण फसल है, जो हमारे देश में 44 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उगाई जाती है। यह खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है। वर्तमान में, धान की खेती में श्रम की कमी और बढ़ती लागत चुनौतियाँ हैं। वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर इन समस्याओं का आधुनिक समाधान है। यह मशीन श्रम और समय बचाती है, साथ ही रोपाई को व्यवस्थित और उत्पादक बनाती है। यह लेख आपको वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर की तकनीक, उपयोग विधि, लाभ, लागत, सरकारी सहायता, और इसे कहाँ से खरीदने की पूरी जानकारी देगा।

वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर क्या है

वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर एक मैन्युअल रूप से संचालित कृषि यंत्र है, जो छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह धान की नर्सरी से तैयार पौधों को खेत में समान दूरी और गहराई पर रोपता है। इसके प्रमुख हिस्से हैं सीडलिंग ट्रे, पिक-अप असेंबली, और सीडलिंग ट्रे शिफ्टर, जो पौधों को व्यवस्थित रूप से खेत में लगाते हैं। यह मशीन एक बार में 4 कतारों में रोपाई कर सकती है, जिससे समय और श्रम की बचत होती है।

यह मशीन हल्की और उपयोग में आसान है। इसे एक व्यक्ति आसानी से चला सकता है, और यह छोटे खेतों (0.5-2 एकड़) के लिए आदर्श है। भारत में यानमार, कुबोटा, महिंद्रा, और वीएसटी शक्ति जैसे ब्रांड इसके लोकप्रिय मॉडल बनाते हैं। यह परंपरागत हाथ से रोपाई की तुलना में 50-75% श्रम और 30-40% लागत कम करती है।

धान की रोपाई में इसकी जरूरत

पारंपरिक धान की रोपाई में 15-20 मजदूरों की जरूरत होती है, और एक एकड़ की रोपाई में 1-2 दिन लगते हैं। यह प्रक्रिया थकाऊ और महँगी है। मजदूरों की कमी और बढ़ती मजदूरी ने किसानों को मशीनों की ओर आकर्षित किया है। वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर 2-3 घंटे में एक एकड़ की रोपाई कर सकता है, जिसमें केवल 3-4 लोग चाहिए। यह पौधों को समान दूरी (20×10 सेमी) पर लगाता है, जिससे पौधों को हवा, रोशनी, और पोषक तत्व बेहतर मिलते हैं। इससे उत्पादन में 10-15% की वृद्धि होती है।

वर्तमान में, भारत में धान की खेती करने वाले 60% से अधिक किसान छोटे और सीमांत हैं, जिनके पास 1-2 हेक्टेयर जमीन है। वॉकिंग ट्रांसप्लांटर उनकी जरूरतों के लिए उपयुक्त है, क्योंकि यह किफायती और संचालन में आसान है।

Walking Rice Transplanter

नर्सरी तैयार करने की प्रक्रिया

वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर (Walking Rice Transplanter) से रोपाई के लिए मेट टाइप नर्सरी तैयार करना जरूरी है। सबसे पहले, एक समतल जगह पर पॉलीथिन बिछाएँ। इसके ऊपर लकड़ी या धातु के फ्रेम में 2-3 सेमी मोटी गीली मिट्टी की परत बिछाएँ। प्रति एकड़ रोपाई के लिए 7-8 किलो अंकुरित धान के बीज चाहिए। बीजों को मिट्टी पर समान रूप से छिड़कें और हल्की मिट्टी की परत से ढक दें। नर्सरी को नियमित पानी दें ताकि मिट्टी नम रहे। 15-18 दिनों में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

नर्सरी तैयार करते समय ध्यान रखें कि बीज अच्छी गुणवत्ता के हों। नरेन्द्र धान-5050, सीएसआर 43, या स्थानीय उन्नत किस्में चुनें। पौधों को नर्सरी से निकालते समय जड़ों को नुकसान न हो, इसके लिए रोपाई से एक दिन पहले नर्सरी को पानी से तर करें।

खेत की तैयारी और रोपाई की विधि

रोपाई से 4-5 दिन पहले खेत की उथली जुताई करें। खेत में 2-3 इंच पानी का स्तर बनाए रखें ताकि मिट्टी संतृप्त हो। ट्रैक्टर या पावर टिलर से रोटावेटर चलाएँ ताकि मिट्टी और पानी अच्छी तरह मिल जाएँ। रोटावेटर में एल टाइप ब्लेड का उपयोग करें, जो खरपतवार को नष्ट करने में प्रभावी है। खेत को समतल करें ताकि पानी एकसमान रहे।

रोपाई के लिए नर्सरी से पौधों को सावधानी से निकालें। पौधों की जड़ों को साफ पानी से धोएँ और छोटे बंडल बनाएँ। वॉकिंग ट्रांसप्लांटर की सीडलिंग ट्रे में पौधों को व्यवस्थित करें। मशीन को खेत में चलाएँ, जो स्वचालित रूप से पौधों को मिट्टी में रोपेगी। मशीन की सेटिंग से पौधों की दूरी और गहराई (2-3 सेमी) तय करें। रोपाई के बाद खेत में हल्का पानी बनाए रखें।

वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर के लाभ

वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर धान की खेती को आसान और लाभकारी बनाता है। यह श्रम और समय की बचत करता है। एक एकड़ की रोपाई, जो पारंपरिक तरीके से 15-20 मजदूरों और 1-2 दिनों में होती है, यह मशीन 2-3 घंटे में 3-4 लोगों के साथ पूरी कर देती है। इससे मजदूरी लागत 50% तक कम होती है।

मशीन से रोपाई में पौधे कतारों में और समान दूरी पर लगते हैं। इससे पौधों को पोषक तत्व, हवा, और रोशनी बेहतर मिलती है, जिससे फसल की बालियाँ मजबूत होती हैं और उत्पादन बढ़ता है। खरपतवार नियंत्रण भी आसान होता है, क्योंकि कतारों में कोनो वीडर का उपयोग किया जा सकता है। यह मशीन छोटे किसानों के लिए किफायती है और इसे ट्रैक्टर की जरूरत नहीं पड़ती। लंबे समय में, यह मशीन अपनी लागत वसूल कर लेती है। यदि एक किसान प्रति सीजन 5-10 एकड़ रोपाई करता है, तो 2-3 साल में मशीन का खर्च निकल जाता है। इसके अलावा, गोबर और जैविक खाद से अतिरिक्त आय भी संभव है यदि खेती के साथ पशुपालन किया जाए।

सरकारी सहायता और प्रशिक्षण

भारत सरकार और राज्य सरकारें वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर (Walking Rice Transplanter) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं। कृषि यंत्रीकरण उप मिशन (SMAM) के तहत 40-50% सब्सिडी मिलती है। मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में प्रति एकड़ रोपाई पर 2000-3000 रुपये का अनुदान भी दिया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और ICAR संस्थान मशीन के उपयोग पर मुफ्त प्रशिक्षण देते हैं।

किसान स्थानीय कृषि विभाग या e-NAM पोर्टल से मशीन खरीद और सब्सिडी की जानकारी ले सकते हैं। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) जैसे संस्थान रिमोट-नियंत्रित ट्रांसप्लांटर पर भी काम कर रहे हैं, जो भविष्य में और उन्नत तकनीक लाएंगे।

कहाँ से खरीदें

वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर भारत में कई ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म्स से खरीदा जा सकता है। ऑनलाइन खरीद के लिए Amazon.in, TractorJunction.com, KrishiTool.in, और ToolsVilla.com जैसे प्लेटफॉर्म उपयुक्त हैं, जहाँ कुबोटा, यानमार, और वीएसटी शक्ति जैसे ब्रांड उपलब्ध हैं। इन वेबसाइट्स पर 2-6 कतारों वाली मशीनें 21,000 रुपये (मैन्युअल 2-रो) से लेकर 5.5 लाख रुपये (6-रो इंजन संचालित) तक मिलती हैं। ऑफलाइन खरीद के लिए स्थानीय कृषि यंत्र डीलरों, जैसे कुबोटा डीलर्स (चेन्नई, कोयंबटूर), महिंद्रा डीलर्स (पंजाब, हरियाणा), या शक्तिमान डीलर्स (अहमदाबाद, भोपाल) से संपर्क करें।

क्षेत्र-विशिष्ट डीलरों में शामिल हैं: अहमदाबाद (कठवाड़ा, स्वामीनारायण इंडस्ट्रियल एस्टेट), कोयंबटूर (कलापट्टी, एसएस गार्डन), और भोपाल (लंबाखेड़ा, बेरसिया रोड)। मशीन खरीदने से पहले डीलर से डेमो लें और सब्सिडी के लिए स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करें। किराए पर मशीन लेने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) या सहकारी समितियों से जुड़ें, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, और पंजाब में उपलब्ध हैं।

वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर धान की खेती को आसान, किफायती, और उत्पादक बनाने वाला यंत्र है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान है, जो श्रम, समय, और लागत की बचत करता है। सही नर्सरी प्रबंधन, खेत की तैयारी, और मशीन के उपयोग से 10-15% अधिक उपज और 30-40% कम लागत संभव है। सरकारी सब्सिडी और प्रशिक्षण का लाभ उठाकर किसान इस मशीन को अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। स्थानीय KVK, कृषि विभाग, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से संपर्क करें, प्रशिक्षण लें, और वॉकिंग राइस ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई शुरू करें।

ये भी पढ़ें – धान की रोपाई के लिए आ गई है शानदार मशीन, गाँव में किसान भाई कैसे खरीदें

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment