Mau: खरीफ का मौसम शुरू हो चुका है, और हमारे किसान भाइयों के लिए धान की रोपाई का सही वक्त आ गया है। खेतों में मेहनत का रंग दिखने का समय है, जब सही बीज और सही तरीके से खेती करके बंपर पैदावार पाई जा सकती है। जिला कृषि विभाग के अधिकारी सोम प्रकाश गुप्ता जी बताते हैं कि 15 जून से 15 जुलाई तक धान की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय है। इस बार कृषि विभाग ने किसानों के लिए उन्नत किस्म के बीज तैयार किए हैं, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे सकते हैं।
उन्नत बीजों का कमाल
कृषि विभाग ने इस बार धान की कई उन्नत किस्में उपलब्ध कराई हैं, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। इनमें सरजू-52, पंत-24, एमटीयू-7029, शियाट्स-4, एचयूआर-917, बीपीटी-5204 और शियाट्स-10 जैसी किस्में शामिल हैं। इन बीजों की खासियत ये है कि ये कम समय में अच्छी पैदावार देती हैं। मिसाल के तौर पर, एमटीयू-7029 किस्म की फसल सिर्फ 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है। बाकी किस्में 120 से 125 दिन में पककर तैयार होती हैं।
सोम प्रकाश जी का कहना है कि ज्यादातर किसान संडा विधि से धान की खेती करते हैं, और ये बीज इस विधि के लिए एकदम सही हैं। किसान भाई अपने नजदीकी ब्लॉक के संसाधन केंद्र पर आधार कार्ड दिखाकर इन बीजों को 40 से 50 प्रतिशत सब्सिडी पर ले सकते हैं। इससे खेती का खर्चा कम होता है और मुनाफा बढ़ता है।
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नर्सरी तैयार करें
धान की अच्छी फसल के लिए नर्सरी की तैयारी बहुत जरूरी है। अनुभवी किसान बताते हैं कि सही समय पर नर्सरी तैयार करने से फसल की शुरुआत मजबूत होती है। नर्सरी तैयार करने के लिए खेत का एक छोटा हिस्सा चुनें, जहां मिट्टी उपजाऊ हो और पानी की निकासी अच्छी हो। बीजों को बोने से पहले अच्छे से भिगो लें, ताकि अंकुरण जल्दी हो। नर्सरी में पौधों को 20-25 दिन तक बढ़ने दें, फिर उन्हें मुख्य खेत में रोपें।
कृषि अधिकारी सलाह देते हैं कि संडा विधि से रोपाई करने वाले किसानों को सिंचाई का खास ख्याल रखना चाहिए। दिन में तेज धूप में सिंचाई करने से पौधों को नुकसान हो सकता है। इसलिए शाम के समय या सुबह जल्दी सिंचाई करें, ताकि पौधे पानी को अच्छे से सोख सकें। इससे फसल की जड़ें मजबूत होंगी और पैदावार बढ़ेगी।
सही समय पर सिंचाई और देखभाल
धान की खेती में पानी का सही इस्तेमाल बहुत जरूरी है। खासकर एमटीयू-7029 जैसी किस्मों को ज्यादा पानी की जरूरत होती है। लेकिन अगर सही समय पर और सही मात्रा में पानी दिया जाए, तो फसल को नुकसान नहीं होता। मेरे एक किसान दोस्त रामू चाचा बताते हैं कि वो अपने खेत में ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करते हैं, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी मिलता है।
इसके अलावा, खेत में खरपतवार को समय-समय पर हटाना भी जरूरी है। अगर खरपतवार ज्यादा हो जाएं, तो फसल की बढ़त रुक सकती है। जैविक खाद का इस्तेमाल करें, जैसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट, ताकि मिट्टी की ताकत बनी रहे। इससे न सिर्फ फसल अच्छी होगी, बल्कि मिट्टी भी लंबे समय तक उपजाऊ रहेगी।
किसानों के लिए सुनहरा मौका
कृषि विभाग की सब्सिडी और उन्नत बीजों की उपलब्धता ने किसानों के लिए एक सुनहरा मौका दिया है। धान की खेती न सिर्फ खाने का जरिया है, बल्कि ये किसानों की आर्थिक हालत को भी मजबूत कर सकती है। फर्रुखाबाद के किसान भाई पहले से ही सब्जी खेती में कमाल कर रहे हैं, और अब धान की रोपाई का समय उनके लिए एक और मौका लेकर आया है। सही बीज, सही समय पर रोपाई और थोड़ी सी मेहनत से बंपर पैदावार पक्की है। कृषि अधिकारी सोम प्रकाश जी का कहना है कि अगर किसान नर्सरी और सिंचाई का ध्यान रखें, तो इस बार की फसल पिछले सालों से कहीं बेहतर होगी।
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