धान की करें सीधी बुवाई और प्रति हेक्टेयर बचाएं ₹7,000 तक यूपी सरकार दे रही है आधुनिक कृषि यंत्रों पर 50% सब्सिडी

उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 शुरू हो चुका है! यह अभियान किसानों को नई तकनीकों और वैज्ञानिक खेती का रास्ता दिखाने के लिए लाया गया है। इसके तहत कृषि वैज्ञानिक गाँव-गाँव जाकर आपको धान जैसी खरीफ फसलों की बुवाई, रखरखाव, और कटाई की आधुनिक तकनीकें सिखाएँगे। उत्तर प्रदेश सरकार भी इस अभियान को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। खासकर धान की खेती करने वाले किसानों के लिए सरकार ने 50 फीसदी तक के अनुदान और नई तकनीकों की सलाह दी है। यह आपके लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने का सुनहरा मौका है। चलिए, जानते हैं कि यह अभियान आपके लिए क्या लेकर आया है।

धान की खेती में 50% अनुदान

धान की खेती में रोपाई, रखरखाव, और कटाई में मेहनत के साथ-साथ अच्छा-खासा खर्चा भी आता है। लेकिन अब सरकार ने इसे आसान कर दिया है। जीरो सीड ड्रिल और हैप्पी सीडर जैसे आधुनिक यंत्रों से आप सीधी बुवाई कर सकते हैं। इन यंत्रों से बीज के साथ-साथ खाद भी एक साथ खेत में डाली जाती है, जिससे नर्सरी और पलेवा का खर्च बचता है। उत्तर प्रदेश सरकार इन यंत्रों पर 50 फीसदी तक अनुदान दे रही है। यानी आधे दाम में आप मशीन खरीद सकते हैं। अगर आप धान की खेती करते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि केंद्र से इस अनुदान की जानकारी लें और आवेदन करें। यह योजना आपकी मेहनत और पैसे दोनों की बचत करेगी।

सीधी बुवाई से लागत में भारी बचत

गोरखपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) बेलीपार के प्रभारी डॉ. एस के तोमर और मनोज कुमार बताते हैं कि सीधी बुवाई से धान की उपज पर कोई फर्क नहीं पड़ता। बल्कि, इससे प्रति हेक्टेयर 12,500 रुपये तक की लागत बच सकती है। अगर आप सही तकनीक अपनाएँ, तो परंपरागत रोपाई से भी ज्यादा पैदावार हो सकती है। सीधी बुवाई से समय और मेहनत दोनों बचते हैं। मशीन से बुवाई करने पर बीज और खाद सही जगह पर डलती है, जिससे पौधों की बढ़ोतरी अच्छी होती है। अगर आप इस तकनीक को आजमाना चाहते हैं, तो अपने खेत में इसका इस्तेमाल शुरू करें और वैज्ञानिकों की सलाह लें।

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खेत की तैयारी और बुवाई का सही समय

धान की बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। खेत की लेवलिंग करें, और अगर लेजर लेवलर का इस्तेमाल करें तो और बेहतर। समतल खेत में बीज एकसमान गहराई पर बोया जाता है, और पानी की खपत भी कम होती है। इससे सिंचाई का खर्चा बचता है। बुवाई के लिए जून का तीसरा हफ्ता सबसे अच्छा समय है। अगर आप बाढ़ वाले इलाके में हैं, तो जल्दी बुवाई करें, ताकि पौधों की जड़ें बाढ़ से पहले मजबूत हो जाएँ। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए, ताकि बीज अच्छे से अंकुरित हो। अपने खेत की मिट्टी और पानी की जाँच करवाएँ और सही समय पर बुवाई शुरू करें।

बीज और खाद का सही इस्तेमाल

धान की बुवाई के लिए बीज की मात्रा सही रखना जरूरी है। मध्यम और मोटे दाने वाले धान के लिए 35 किलो, महीन दाने वाले के लिए 25 किलो, और हाइब्रिड किस्मों के लिए 8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर काफी है। ज्यादा पैदावार के लिए एनपीके खाद का अनुपात 150:60:60 किलो प्रति हेक्टेयर रखें। बुवाई के समय 130 किलो डीएपी डालें, और बाकी खाद को दो या तीन हिस्सों में बाँटकर हर सिंचाई के पहले या बाद में डालें। बीज को रोगों से बचाने के लिए प्रति किलो बीज को 3 ग्राम कार्बेडाजिम से उपचारित करें। मशीन से बुवाई करते समय गहराई 2 से 3 सेंटीमीटर रखें, वरना बीज का जमाव कम हो सकता है।

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खरपतवार से फसल को बचाएँ

खरीफ सीजन में खरपतवार धान की फसल को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं। इनका समय पर नियंत्रण जरूरी है। बुवाई के 24 घंटे बाद, जब खेत में नमी हो, पैडी मिथेलीन 30 ईसी की 3.3 लीटर मात्रा को 600 लीटर पानी में मिलाकर शाम को छिड़काव करें। बुवाई के 25 दिन बाद विस्पैरी बैक सोडियम (नोमिनीगोल्ड) या एडोरा की 100 मिली मात्रा को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। यह चौड़ी पत्ती और घास वाले खरपतवारों को कंट्रोल करता है। मोथा के लिए इथोक्सी सल्फ्यूरान (सनराइस) 50-60 ग्राम को पानी में घोलकर 25 दिन बाद छिड़काव करें। खरपतवारों पर नजर रखें और समय पर दवा का इस्तेमाल करें।

किसानों के लिए सलाह

भाइयों, विकसित कृषि संकल्प अभियान आपके लिए खेती को आसान और फायदेमंद बनाने का मौका है। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और सीधी बुवाई, यंत्रों पर अनुदान, और खरपतवार नियंत्रण की सलाह लें। कृषि पोर्टल पर रजिस्टर करें और 50% अनुदान का फायदा उठाएँ। खेत की लेवलिंग और बीज उपचार पर ध्यान दें। जून के तीसरे हफ्ते में बुवाई शुरू करें और खरपतवारों को समय पर कंट्रोल करें। यह अभियान आपकी मेहनत को दोगुना फल देगा।

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  • Shashikant

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