मुजफ्फरपुर की शाही लीची की दुबई में धूम, बिहार से होगा 10-11 घंटे का सफर, फिर भी रहेगी ताजा, जानिए कैसे

बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची की मिठास अब देश की सीमाएँ लाँघकर दुबई के बाज़ारों तक पहुँच रही है, इस साल पहली बार शाही लीची की खेप कोल्ड चेन ट्रक से लखनऊ एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई, जहाँ से हवाई मार्ग से ये दुबई के शेखों की मेज तक जाएगी। गुरुवार को इस ऐतिहासिक मौके पर जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने हरी झंडी दिखाकर ट्रक को रवाना किया। ये पहल न सिर्फ़ मुजफ्फरपुर के किसानों के लिए गर्व की बात है, बल्कि उनकी कमाई को भी नई उड़ान देगी। आइए, जानते हैं कि ये कैसे हुआ और किसानों को इसका क्या फायदा होगा।

कोल्ड चेन ने बदली लीची की किस्मत

शाही लीची की ताजगी और मिठास को बरकरार रखने के लिए कोल्ड चेन तकनीक का जादू काम कर रहा है। इस तकनीक से लीची को 2-5 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है, ताकि 10-11 घंटे के लंबे सफर में भी वो तरोताज़ा रहे। मुजफ्फरपुर से लखनऊ एयरपोर्ट तक कोल्ड चेन ट्रक और फिर हवाई मार्ग से दुबई तक, ये सुनिश्चित करता है कि लीची की गुणवत्ता वैसी ही रहे, जैसी खेत से तोड़ते समय थी। जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि इससे बर्बादी रुकेगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेगा। इस साल 75-80 हजार मेट्रिक टन लीची का उत्पादन होने की उम्मीद है, और कोल्ड चेन से निर्यात की संभावनाएँ बढ़ेंगी।

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किसानों की मेहनत को वैश्विक मंच

मुजफ्फरपुर की शाही लीची (Shahi Litchi) को GI टैग मिला हुआ है, जो इसकी अनोखी मिठास और सुगंध की गारंटी है। इसकी छोटी गुठली और रसीला गूदा इसे दुनिया भर में खास बनाता है। दुबई जैसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी मांग बढ़ने से किसानों की कमाई दोगुनी हो सकती है। पहले जहाँ स्थानीय मंडियों में लीची 100-150 रुपये प्रति किलो बिकती थी, वहीं अब निर्यात से 200-300 रुपये प्रति किलो तक दाम मिल सकता। उत्तर प्रदेश और बिहार में बने राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (NRCL) किसानों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, ताकि वो बेहतर गुणवत्ता वाली लीची उगा सकें। इस पहल से स्थानीय किसानों को नया हौसला मिला है, और वो अब विदेशी बाज़ारों को लक्ष्य बना रहे हैं।

मौसम की मार, लेकिन हौसला बरकरार

इस साल मुजफ्फरपुर में गर्मी और बारिश की कमी ने शाही लीची की फसल को प्रभावित किया। किसानों के अनुसार, फल झड़ने और फटने की समस्या से पैदावार में 20-25% की कमी आई है। फिर भी, कोल्ड चेन और हवाई निर्यात की सुविधा ने किसानों की उम्मीद जगा दी है। बिहार के 26 जिलों में 32,000 हेक्टेयर में लीची की खेती होती है, जिसमें मुजफ्फरपुर का हिस्सा 60% है। कोल्ड चेन तकनीक से न सिर्फ़ बर्बादी रुकेगी, बल्कि किसान अपनी फसल को दूर-दूर तक भेज सकेंगे। रेलवे ने भी मुजफ्फरपुर से दिल्ली, मुंबई, और अहमदाबाद के लिए विशेष “लीची ट्रेन” शुरू की है, जो 24 टन तक की खेप ले जा सकती है।

किसानों भाइयों के लिए सलाह

शाही लीची की खेती करने वाले किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र या राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र से ट्रेनिंग लें। वहाँ मिट्टी की जाँच, कीट प्रबंधन, और कोल्ड चेन पैकिंग की जानकारी मिलती है। ड्रिप इरिगेशन अपनाएँ, ताकि पानी की बचत हो और फसल को सही नमी मिले। बुआई से पहले जैविक खाद, जैसे वर्मी-कम्पोस्ट, का इस्तेमाल करें। फसल तैयार होने पर कोल्ड चेन पैकिंग का उपयोग करें, ताकि ताजगी बनी रहे।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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