आलू का साइज़ नहीं बढ़ रहा? जड़ में डालें ये ₹50 की चीज़, मंडी में मिलेगा सबसे ऊँचा भाव!

Potato Farming Tips: ज्यादातर किसान एक ही गलती बार-बार करते हैं। उन्हें लगता है कि अगर यूरिया डालेंगे तो आलू का साइज़ बड़ा होगा। खेत में पत्तियाँ हरी दिखती हैं तो किसान खुश हो जाते हैं, लेकिन असलियत इसके उलट है। ज्यादा यूरिया डालने से पौधा अपना पूरा जोर पत्ते और तने बढ़ाने में लगा देता है। ऊपर की बढ़वार तेज होती है और नीचे कंद रुक जाते हैं। आलू को साइज़ लेने का असली समय बुआई के 40 से 70 दिन के बीच होता है। इस दौरान पौधे को सही पोषण नहीं मिला तो कंद छोटे ही रह जाते हैं, चाहे खेत में नमी हो या खाद भरपूर हो।

साइज़ रुकने का दूसरा बड़ा कारण पानी का तनाव है। अगर जमीन बहुत सूखी या बहुत ज्यादा गीली है तो कंद बन तो जाते हैं, पर फैल नहीं पाते। कई खेतों में पोटाश की कमी भी आम है और यही एक पोषक तत्व है जो कंद को मोटा बनाता है। नाइट्रोजन पत्तियों के लिए है, कंद के लिए नहीं। इसीलिए सिर्फ यूरिया डालते रहने से फसल ऊपर से हरी और नीचे से कमजोर रह जाती है।

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आलू को सही समय पर कौन-सा टॉनिक दिया जाए ताकि कंद तेजी से बढ़ें और मंडी में अच्छी कीमत मिले।

सबसे बड़ी गलती जो 90% किसान करते हैं

ज्यादातर किसान सोचते हैं कि पत्तियाँ जितनी हरी-भरी होंगी, आलू उतना ही बड़ा होगा। लेकिन ये बिल्कुल गलत है। यूरिया (नाइट्रोजन) से पौधे को ऊपर का हिस्सा यानी पत्तियाँ और तना बढ़ाने में लग जाता है। कंद बनाने के लिए पौधे को पोटाश (K), ह्यूमिक एसिड और बोरोन की जरूरत होती है। अगर आप अभी भी यूरिया डाल रहे हैं तो तुरंत बंद कर दें। पत्तियाँ पहले से ही हरी हैं तो नाइट्रोजन की जरूरत नहीं है। ज्यादा यूरिया डालने से कंद छोटे रह जाते हैं और फसल की क्वालिटी भी गिर जाती है।

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₹50 वाला चमत्कार क्या है और क्यों इतना असरदार है

आलू का साइज़ बढ़ाने के लिए सबसे सरल और सस्ता तरीका दो चीजों का मिश्रण है पोटाशियम ह्युमेट और बोरोन। दोनों की कीमत मिलाकर एक एकड़ में लगभग 50 रुपये तक पड़ती है, लेकिन असर ऐसा कि कंद की ग्रोथ देखते ही बनती है। पोटाशियम ह्युमेट जड़ों को फैलाता है, मिट्टी को मुलायम करता है और पोषक तत्वों को सीधे कंद तक पहुँचाता है। इससे आलू में स्टार्च भरना तेज हो जाता है। बोरोन कंद को मजबूती और गुणवत्ता देता है। आलू की त्वचा चिकनी बनती है और मंडी में उसका भाव तुरंत बढ़ जाता है।

कई किसानों को यह भ्रम रहता है कि मोटा आलू केवल पानी और यूरिया से बनेगा, लेकिन असली काम पोटाश और ह्युमिक पदार्थ ही करते हैं। यही वे तत्व हैं जिनसे कंद गोल, भारी और एक-समान बनते हैं।

इसे कब डालना चाहिए ताकि असर सबसे तेज दिखे

आलू की फसल में इस टॉनिक का सही समय सब कुछ बदल देता है। बुआई के 40-60 दिन के बीच कंद बनना शुरू हो जाता है। इस अवधि में आलू छोटे-छोटे गाँठ जैसे दिखते हैं और इन्हीं दिनों में पोषण की कमी का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है। खेत में इसी समय ह्युमेट और बोरोन डालना सबसे असरदार होता है। एक बार यह पोषक तत्व मिल गए, तो पौधा कंद में ऊर्जा भेजना शुरू कर देता है और साइज़ तेजी से बढ़ने लगता है।

पोटाशियम ह्युमेट लगभग 1.5-2 किलो प्रति एकड़ और बोरोन 200 ग्राम प्रति एकड़ काफी होता है। इसे पानी में घोलकर सिंचाई के साथ देना सबसे अच्छा तरीका है। ड्रेंचिंग करने से यह सीधे जड़ों तक पहुँचता है और असर कुछ ही दिनों में दिखने लगता है। इसके बाद हल्की सिंचाई जरूर करें, ताकि मिश्रण मिट्टी में समान रूप से फैल जाए।

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कटाई से पहले दो खास काम जो भाव बढ़ा देते हैं

आलू को आकार दे देने के बाद, कटाई नजदीक आने पर दो छोटे कदम और पैदावार के भाव को काफी बढ़ा देते हैं। पहला कदम है घुलनशील पोटाश, यानी NPK 0-0-50 का पत्तियों पर स्प्रे। कटाई से 15 दिन पहले इसका छिड़काव करने से आलू की बाहरी परत मजबूत होती है और चमक बढ़ जाती है। इससे मंडी में तुरंत ऊँचा दाम मिलता है।

दूसरा कदम है पानी रोकना। कटाई से 10-15 दिन पहले खेत में पानी देना बंद कर देने से कंद की त्वचा और मजबूत बनती है। ऐसा करने से भंडारण में आलू सड़ता नहीं और वजन भी बना रहता है।

यूरिया नहीं, पोटाश और ह्युमेट बनाते हैं बड़ा आलू

किसानों के लिए सबसे जरूरी बात यही है कि आलू के साइज़ को बढ़ाने में यूरिया का योगदान लगभग शून्य है। कंद की ग्रोथ के लिए मिट्टी में ह्युमिक पदार्थ, पोटाश और बोरोन ही असली खिलाड़ी हैं। 50 रुपये का यह टॉनिक एक एकड़ की फसल को बड़ा और मजबूत बना सकता है। सही समय पर दिया जाए तो साइज़, वजन और क्वालिटी तीनों में जबरदस्त सुधार आता है।

रबी सीजन के इस समय अगर किसान यह छोटा-सा प्रयास कर लें, तो मार्च में जब वे खुदाई करेंगे, तो हर बोरा पहले से ज्यादा भारी मिलेगा। यही वो तरीका है जिससे आलू मंडी में ऊँचे भाव में बिकता है और किसान की जेब भरती है।

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  • Shashikant

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