केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अफीम पोस्त की खेती की नई वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा कर दी है। यह नीति 1 अक्टूबर 2025 से 30 सितंबर 2026 तक लागू रहेगी। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस बार करीब 1.21 लाख किसान लाइसेंस प्राप्त करने के पात्र होंगे, जो पिछले साल की तुलना में 23.5 फीसदी अधिक है। यानी लगभग 15,000 नए किसान भी इस बार इसमें शामिल होंगे। अफीम की खेती से मिलने वाले एल्कलॉइड्स चिकित्सा और दर्द निवारक दवाओं के लिए बेहद जरूरी होते हैं। सरकार का प्रयास है कि इन दवाओं के लिए स्वदेशी उत्पादन बढ़ाया जाए और आयात पर निर्भरता कम हो।
एल्कलॉइड की आपूर्ति और आत्मनिर्भर भारत
सरकार दवा उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए एल्कलॉइड्स की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहती है। तीनों राज्यों के किसान अफीम की खेती करके दवा कंपनियों को कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए प्रसंस्करण क्षमता को भी बढ़ाया जा रहा है। नीमच का सरकारी एल्कलॉइड कारखाना विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से जीएमपी प्रमाणन प्राप्त कर चुका है, जिससे न केवल गुणवत्ता सुनिश्चित होगी बल्कि निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
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मौजूदा उत्पादकों को प्राथमिकता
इस नीति में उन किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्होंने पिछले वर्षों में बेहतर उत्पादन दिया है। प्रति हेक्टेयर 4.2 किलोग्राम या उससे अधिक मॉर्फिन उपज हासिल करने वाले किसानों को पारंपरिक अफीम गोंद उत्पादन का लाइसेंस मिलेगा। वहीं 3.0 से 4.2 किलोग्राम उपज वाले किसान अब चीरा लगाए बिना सीपीएस विधि से पोस्ता भूसा उत्पादन कर सकेंगे। यह लाइसेंस पांच साल तक वैध रहेगा, जिससे किसानों को स्थिरता और भरोसा मिलेगा।
उच्च उपज वाले किसानों के लिए प्रोत्साहन
जिन किसानों ने 900 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या उससे अधिक उपज ली है, उन्हें पारंपरिक गोंद विधि से खेती जारी रखने का विकल्प मिलेगा। यह कदम किसानों को और अधिक मेहनत करने तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा। वहीं जिन किसानों ने सीपीएस विधि से 800 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की न्यूनतम योग्यता उपज पूरी नहीं की है, उनके लाइसेंस 2025-26 के लिए निलंबित कर दिए जाएंगे।
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अफीम कारखानों की क्षमता वृद्धि
सरकार अफीम और एल्कलॉइड कारखानों की क्षमता बढ़ाने पर भी ध्यान दे रही है। नीमच कारखाने का WHO प्रमाणन इस दिशा में बड़ा कदम है। इससे भारतीय दवा कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल की उपलब्धता होगी। अफीम से मिलने वाले एल्कलॉइड्स का उपयोग दर्द निवारक दवाओं, एंटीबायोटिक्स और कई अन्य चिकित्सा उत्पादों में होता है।
किसानों के लिए सलाह
मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान समय पर अपने स्थानीय अफीम विभाग से लाइसेंस आवेदन करें। बेहतर उपज के लिए सीपीएस विधि को अपनाएं और खेतों में जैविक खाद का प्रयोग करें, जिससे मॉर्फिन की मात्रा बढ़ सके। डिजिटलीकरण की सुविधा से अब रिकॉर्ड अपडेट रखना और आवेदन करना पहले से आसान हो गया है। सरकार की यह नई नीति किसानों को स्थिर आय देगी और देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।
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