पंजाब की उपजाऊ धरती और मेहनती किसानों ने हमेशा देश के अन्न भंडार को भरा है। इसी धरती पर 5 जून 2025 को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत पटियाला जिले में किसानों से सीधी बात की। खेतों में ट्रैक्टर चलाकर उन्होंने धान की डायरेक्ट सीडिंग की बारीकियां समझीं और किसानों की समस्याओं को करीब से जाना। इस अभियान का मकसद है वैज्ञानिक शोध को खेतों तक पहुंचाना और खेती को और फायदेमंद बनाना। आइए जानते हैं कि पटियाला दौरे में क्या हुआ और ये अभियान पंजाब के किसानों के लिए क्या लेकर आया है।
विकसित कृषि संकल्प अभियान का मकसद
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि विकसित कृषि संकल्प अभियान का उद्देश्य है लैब में होने वाले शोध को खेतों तक ले जाना। इस अभियान के तहत 29 मई से 12 जून 2025 तक देश के 700 से ज्यादा जिलों में 16,000 वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें गाँव-गाँव जाकर किसानों से मिल रही हैं। ये टीमें मिट्टी, मौसम, और फसलों की जरूरतों के हिसाब से सलाह दे रही हैं। पटियाला के खेड़ी गंडिया गाँव में चौपाल लगाकर मंत्री ने किसानों को बताया कि कैसे नई तकनीक, जैसे धान की डायरेक्ट सीडिंग, से पानी, मेहनत, और लागत बचाई जा सकती है। साथ ही, वैज्ञानिकों से सीधे सवाल पूछने का मौका भी किसानों को दिया जा रहा है, ताकि उनकी समस्याओं के हिसाब से शोध की दिशा तय हो।
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धान की डायरेक्ट सीडिंग से पानी और लागत की बचत
पटियाला के राजपुरा में किसानों से बात करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने धान की डायरेक्ट सीडिंग की तारीफ की। उन्होंने खुद ट्रैक्टर चलाकर इस तकनीक को देखा और किसानों के अनुभव सुने। पारंपरिक रोपाई में पानी, श्रम, और समय ज्यादा लगता है, लेकिन डायरेक्ट सीडिंग से बीज सीधे खेत में बोए जाते हैं। इससे पानी की 20 फीसदी बचत होती है और उत्पादन भी उतना ही रहता है। कृषि मंत्री ने कहा कि पंजाब के किसानों ने इस तकनीक को अपनाकर देश को रास्ता दिखाया है। बिहार, उत्तर प्रदेश, और अन्य राज्यों के किसानों को भी इससे सीख लेनी चाहिए। खासकर पंजाब में गिरते भूजल स्तर और डार्क जोन की समस्या को देखते हुए ये तकनीक बहुत जरूरी है।
आज ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत पंजाब के पटियाला में किसान भाइयों से संवाद किया। साथ ही खेत में ट्रैक्टर चलाकर धान की डायरेक्ट सीडिंग का अनुभव भी प्राप्त किया।
पंजाब की इस पावन भूमि को मैं नमन करता हूँ। यहाँ की उपजाऊ मिट्टी और मेहनती किसान देश को अन्न से समृद्ध करने… pic.twitter.com/MxSY8Plp8c
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 5, 2025
सिंधु जल समझौते पर बड़ा बयान
पटियाला दौरे पर कृषि मंत्री ने सिंधु जल समझौते को लेकर बड़ी बात कही। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार इस समझौते को रद्द करने और सिंधु, झेलम, और चेनाब नदियों का पानी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए इस्तेमाल करने का प्रस्ताव तैयार कर रही है। ये समझौता लंबे समय से किसानों के लिए नुकसानदायक रहा है, क्योंकि भारत का पानी पाकिस्तान को जाता है। शिवराज सिंह चौहान ने इसे ऐतिहासिक अन्याय बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इसे रद्द करने का फैसला किसानों के हित में है। इससे पंजाब के खेतों को सिंचाई के लिए ज्यादा पानी मिलेगा और भूजल की समस्या कम होगी।
पटियाला के किसानों की मांग
राजपुरा के किसानों ने कृषि मंत्री के सामने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) के लिए अतिरिक्त बजट की मांग रखी। उनका कहना था कि PAU को और फंड मिले, ताकि फसल विविधीकरण और उत्पादन बढ़ाने के लिए नए शोध हो सकें। किसानों ने बागवानी और निर्यात के लिए फलों-सब्जियों की नई किस्मों पर जोर दिया। शिवराज सिंह चौहान ने इस मांग को गंभीरता से लिया और कहा कि सरकार किसानों की जरूरतों के हिसाब से नीतियां बनाएगी। उन्होंने ये भी भरोसा दिया कि इस अभियान से मिली जानकारी के आधार पर भविष्य की योजनाएं तैयार होंगी।
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पंजाब की हरित क्रांति को सलाम
किसानों से चौपाल में बात करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब की हरित क्रांति को याद किया। उन्होंने कहा कि एक समय था जब भारत को अमेरिका के खराब गेहूं (PL 480) पर निर्भर होना पड़ता था। लेकिन पंजाब के मेहनती किसानों और उनकी जिद ने देश को अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया। आज भारत का गेहूं उत्पादन 1154.30 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर है। चावल, मक्का, मूंगफली, और सोयाबीन में भी बंपर पैदावार हो रही है। कृषि मंत्री ने पंजाब के किसानों की मेहनत को सलाम करते हुए कहा कि उनकी मेहनत ने भारत को विश्व की खाद्य टोकरी बनाने की दिशा में बड़ा योगदान दिया है।
किसानों के लिए छह बड़े लक्ष्य
शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सरकार के छह बड़े लक्ष्य हैं: उत्पादन बढ़ाना, लागत कम करना, फसलों का सही दाम सुनिश्चित करना, नुकसान की भरपाई, फसल विविधीकरण, और धरती को अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखना। इसके लिए वैज्ञानिकों की टीमें किसानों को नई तकनीक, जैसे कम पानी वाली धान की किस्में और संतुलित कीटनाशक उपयोग, सिखा रही हैं। पटियाला में उन्होंने बताया कि हाल ही में दो नई धान की किस्में विकसित की गई हैं, जो 30 फीसदी ज्यादा पैदावार देती हैं और 20 फीसदी कम पानी लेती हैं। साथ ही, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर भी जोर है, ताकि मिट्टी स्वस्थ रहे और लागत कम हो।
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