प्यारे किसान भाइयों, अब मौसम फिर करवट ले रहा है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 1 से 3 अप्रैल 2025 के बीच देश के कई हिस्सों में बारिश, तेज हवाएँ, और कहीं-कहीं ओलावृष्टि हो सकती है। ये मौसम आपकी पकी फसलों और खेतों के लिए मुसीबत बन सकता है। खासकर कुछ जिलों में खतरा ज्यादा है, जहाँ भारी बारिश और ओले नुकसान कर सकते हैं। तो अभी से सावधान हो जाएँ और खेतों को बचाने की तैयारी शुरू करें। आइए, समझें कि क्या करना है और कहाँ ज्यादा ध्यान देना है।
बारिश का अलर्ट
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ के चलते 1 से 3 अप्रैल के बीच उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश होगी। दक्षिण में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, और केरल में भी बादल बरस सकते हैं। X पर चल रही खबरों के हिसाब से, तेज हवाएँ (30-40 किमी/घंटा) और ओलावृष्टि की आशंका भी है। गाँव के बुजुर्ग कहते हैं, “जब बादल गरजें, तो खेत संभाल लें।” अपने इलाके का मौसम चेक करें और अलर्ट रहें। ये बारिश कहीं फायदा देगी, तो कहीं नुकसान भी कर सकती है।
खतरे वाले जिले
कुछ जिलों में बारिश और ओलावृष्टि का खतरा ज्यादा है। उत्तर में पंजाब के अमृतसर, लुधियाना, और पटियाला; हरियाणा के हिसार, रोहतक, और करनाल; राजस्थान के जयपुर, बीकानेर, और जोधपुर; उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, और मेरठ में भारी बारिश और ओले पड़ सकते हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर, भोपाल, और जबलपुर में भी जोखिम है। दक्षिण में महाराष्ट्र के पुणे, नासिक, और कोल्हापुर; छत्तीसगढ़ के रायपुर और बिलासपुर; कर्नाटक के बेलगाम, मैसूर, और हासन; और केरल के कोझिकोड, एर्नाकुलम, और त्रिशूर में भारी वर्षा की आशंका है। इन जिलों में फसलें पक चुकी हैं, तो नुकसान का डर ज्यादा है। यहाँ के किसान भाइयों को खास सावधानी बरतनी होगी।
फसलों पर असर
अप्रैल में रबी फसलें जैसे गेहूँ, चना, सरसों, और मटर कटाई के लिए तैयार हैं। ज्यादा बारिश या ओले पड़े, तो ये फसलें भीग सकती हैं या खराब हो सकती हैं। खासकर खतरे वाले जिलों में गेहूँ के ढेर सड़ सकते हैं, और चने की गुणवत्ता घट सकती है। सब्जियाँ जैसे टमाटर, प्याज, और भिंडी भी नमी से प्रभावित होंगी। मगर हल्की बारिश खेतों में नमी लाएगी, जो खरीफ फसलों-मक्का, धान, मूँग-के लिए फायदेमंद होगी। जो फसल पक गई है, उसे जल्दी काट लें। गाँव में कहते हैं, “फसल को वक्त दो, वरना मौसम ले जाएगा।” सही समय पर कदम उठाएँ।
खेतों और फसलों को बचाने के तरीके
बारिश से खेत बचाने के लिए देसी तरीके आजमाएँ। खेत की नालियाँ साफ करें, ताकि पानी जमा न हो। पकी फसल को काटकर ऊँचे ढेर में रखें और तिरपाल से ढक दें। ओलावृष्टि की आशंका हो, तो पौधों पर पुआल या बोरी डालें-ये ओलों का असर कम करेगा। सब्जियों के लिए मेड़ ऊँची करें, ताकि कीचड़ से बचें। अगर पानी भर जाए, तो पंप से निकालें। कीटों से बचने के लिए नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) तैयार रखें। इन नुस्खों से खतरे वाले जिलों में भी फसल बच सकती है।
तो, किसान भाइयों, 1 से 3 अप्रैल की बारिश के लिए तैयार रहें। खासकर खतरे वाले जिलों-अमृतसर, हिसार, जयपुर, आगरा, ग्वालियर, पुणे, रायपुर, बेलगाम, कोझिकोड-में सतर्क रहें। खेतों को संभालें, फसलों को बचाएँ, और मौसम की मार से अपनी मेहनत को बेकार न जाने दें।
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