Onion Price: राजस्थान के अलवर जिले की मंडी, जो नासिक के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी है, इस बार किसानों के लिए आफत बन गई है। यहां प्याज के दाम घटकर महज 200 से 600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। किसान भाई जो साल भर मेहनत से फसल उगाते हैं, अब खून के आंसू रो रहे हैं। लागत का एक पैसा भी नहीं निकल पा रहा, ऊपर से कर्ज का बोझ।
खराब मौसम ने फसल को नुकसान पहुंचाया, तो बाजार में कर्नाटक और महाराष्ट्र के मोटे प्याज की भरमार ने अलवर के स्वादिष्ट लेकिन नम वाले प्याज की डिमांड ही घटा दी। लेकिन उम्मीद की किरण है सरकार की तरफ से मिनिमम सपोर्ट प्राइस की बात चल रही है, और स्टोरेज सुविधाओं पर जोर दिया जा रहा है।
मंडी में आवक बढ़ी, लेकिन दामों ने किसानों का जीना हराम कर दिया
अलवर मंडी से न सिर्फ देश के कोने-कोने बल्कि विदेशों तक प्याज जाता है। इसका स्वाद ऐसा कि हर कोई दीवाना। लेकिन इस बार मौसम ने साथ दे दिया तो क्या, बुवाई के बाद की देरी से फसल खराब हो गई। अलवर, दौसा, भरतपुर और करौली जैसे इलाकों में करीब 60 हजार हेक्टेयर में प्याज बोया गया था।
पिछले साल अच्छे दाम मिले तो किसानों ने हौसला बांधा और ज्यादा बोया। लेकिन अक्टूबर 2025 तक की रिपोर्ट्स बताती हैं कि असामान्य बारिश और ज्यादा नमी ने प्याज की गुणवत्ता बिगाड़ दी। जड़ें सड़ने लगीं, फसल मुरझाई। अब मंडी में जो प्याज आ रहा है, वो सीधे बिक रहा है, लेकिन भाव इतने कम कि एक बीघा की फसल पर 50-65 हजार का खर्चा भी पूरा न हो।
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लागत से ज्यादा नुकसान
प्याज की खेती में बीज से लेकर सिंचाई तक हर कदम पर पैसा लगता है। एक बीघा में औसतन 50 से 65 हजार रुपये खर्च होते हैं, और वो भी ब्याज पर। लेकिन जब दाम 600 रुपये क्विंटल से नीचे चले जाते हैं, तो क्या करें किसान? कई भाई तो फसल मंडी लाने से कतराने लगे हैं। डर है कि बिक्री के बाद हाथ में कुछ न बचे।
अलवर के आसपास के गांवों में किसान जमा होकर बातें कर रहे हैं कि अब क्या करें। एक मंडी एक्सपर्ट का कहना है कि अलवर का प्याज नमी सोख लेता है, इसलिए स्टॉक नहीं किया जा सकता। व्यापारी भी दूर भागते हैं। लेकिन अगर ठंडी स्टोरेज होती तो महीनों रखकर अच्छे दाम का इंतजार कर सकते।
महाराष्ट्र-कर्नाटक की अच्छी फसल ने बाजार में उथल-पुथल मचा दी
देखिए, देश में प्याज का 43 फीसदी उत्पादन महाराष्ट्र से आता है, उसके बाद कर्नाटक का नंबर। 2023-24 के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र ने 13 मिलियन टन से ज्यादा पैदा किया, कर्नाटक ने 1.6 मिलियन टन, जबकि राजस्थान का हिस्सा 1.6 मिलियन टन ही था। इस बार इन राज्यों में मौसम मेहरबान रहा कम बारिश, अच्छी धूप, तो फसल मोटी और चमकदार हुई।
नासिक की मंडी में भाव 1500-1800 रुपये क्विंटल तक पहुंचे, लेकिन अलवर में गिरावट। विशेषज्ञ बताते हैं कि बाजार में स्टॉक भरा पड़ा है, इसलिए अलवर का प्याज बेमानी साबित हो रहा। नासिक के बाद अलवर दूसरी बड़ी मंडी है, लेकिन सप्लाई चेन में दिक्कतें ट्रांसपोर्ट महंगा, नमी से जल्दी खराब। महाराष्ट्र के किसान तो सड़कों पर उतर आए, यहां भी हलचल मच सकती है।
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