Amrud Ki Kheti: पहले हर आंगन में अमरूद के पेड़ लहलहाते थे, और गाँव के बगीचों में आम के बाद अमरूद का ही जलवा था। लेकिन समय के साथ ये मिठास गायब हो गई। अब बिहार के गोपालगंज में उद्यान विभाग ने अमरूद की खेती को फिर से खेतों में लाने का बीड़ा उठाया है। इस साल जिले में 100 हेक्टेयर में अमरूद की व्यावसायिक खेती का लक्ष्य रखा गया है, और पपीता व केला की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को अनुदान और मुफ्त प्रशिक्षण भी मिलेगा। आइए जानते हैं कि ये योजना क्या है, इसका फायदा कैसे लें, और कैसे अमरूद की मिठास किसानों की जिंदगी में मुनाफा घोलेगी।
उद्यान विभाग की नई पहल
गोपालगंज के जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार सुमन ने बताया कि उद्यान विभाग ने अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। जिले के सभी प्रखंडों, खासकर थावे प्रखंड में, अमरूद की व्यावसायिक खेती शुरू हो रही है। इसके साथ ही पपीता और केला की खेती को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। गोपालगंज के किसान श्यामू भाई, जो पहले धान और गेहूँ बोते थे, अब अमरूद की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। वो कहते हैं कि अनुदान और प्रशिक्षण ने उन्हें नया रास्ता दिखाया, और अब वो कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं।
अनुदान का पूरा ब्यौरा
इस योजना के तहत अमरूद की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 1,110 पौधे लगाए जाएँगे। एक पौधे की कीमत 30 रुपये है, यानी कुल लागत लगभग 33,300 रुपये प्रति हेक्टेयर। लेकिन किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं, क्योंकि उद्यान विभाग अनुदान पर पौधे उपलब्ध कराएगा। पहले साल अगर 90% पौधे बचते हैं, तो अनुदान की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में आएगी। अमरूद की खेती पर प्रति हेक्टेयर 20,000-25,000 रुपये तक अनुदान मिल सकता है। पपीता और केला की खेती के लिए भी अलग-अलग अनुदान तय किया गया है। पपीता पर 30,000 रुपये और केला पर 40,000 रुपये तक प्रति हेक्टेयर अनुदान पहले साल मिलेगा। ये राशि किसानों की लागत को बहुत हद तक कम कर देगी।
मुफ्त प्रशिक्षण का फायदा
योजना की सबसे बड़ी खासियत है किसानों को मुफ्त प्रशिक्षण। उद्यान विभाग किसानों को अमरूद की उन्नत किस्में, जैसे इलाहाबादी सफेदा या लखनऊ-49, चुनने की सलाह देता है। प्रशिक्षण में मिट्टी की तैयारी, पौधों की दूरी, सिंचाई, और कीटों से बचाव की जानकारी दी जाती है। श्यामू भाई ने बताया कि प्रशिक्षण ने उन्हें समझाया कि 6×6 मीटर की दूरी पर पौधे लगाने से पैदावार बढ़ती है। पपीता की रेड लेडी और केला की ग्रैंड नैन किस्मों पर भी ट्रेनिंग दी जा रही है। गोपालगंज में प्रखंडवार किसानों का चयन शुरू हो चुका है, और जल्द ही प्रशिक्षण शिविर लगेंगे।
अमरूद खेती की तकनीक और मुनाफा
अमरूद की खेती के लिए दोमट या बलुई मिट्टी बेस्ट है। फरवरी-मार्च या जुलाई-अगस्त में पौधे लगाए जाते हैं। एक हेक्टेयर में 1,110 पौधों से 3-4 साल बाद 100-150 क्विंटल फल मिल सकता है। बाजार में अमरूद 30-50 रुपये प्रति किलो बिकता है, यानी 3-5 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है। लागत सिर्फ 40,000-50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर आती है, और अनुदान इसे और कम कर देता है। पपीता 9-12 महीने में 50-70 टन प्रति हेक्टेयर देता है, और केला 12-15 महीने में 40-50 टन। दोनों की बिक्री से भी लाखों की कमाई हो सकती है।, खासकर अगर जैविक खेती करें।
आवेदन कैसे करें
किसान गोपालगंज के उद्यान कार्यालय या प्रखंड कृषि कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। जरूरी दस्तावेज हैं: आधार कार्ड, खेत के कागज (खसरा-खतौनी), और बैंक पासबुक। न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर जमीन चाहिए। आवेदन के बाद जाँच होती है, और अनुदान सीधे खाते में आता है। प्रखंडवार लक्ष्य तय हैं, इसलिए जल्दी आवेदन करें।