उत्तर प्रदेश में अरहर की खेती के लिए, ICAR की सलाह, इन उन्नत बीज से खेती कीजिए उत्पादन होगा तगड़ा!

किसान भाइयों, अरहर, जिसे तुअर दाल भी कहते हैं,आपके के लिए एक ऐसी फसल है जो न केवल खाने में पौष्टिक है, बल्कि बाजार में अच्छी कमाई भी देती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने हाल ही में अरहर की खेती के लिए एक नई एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उन्नत प्रजातियों, बुआई के समय, और बीज की मात्रा की सलाह दी गई है। यह गाइड गाँव के उन किसानों के लिए खास है, जो अपने खेतों से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं। आइए, इस एडवाइजरी को समझते हैं और जानते हैं कि अरहर की खेती को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है।

लंबी अवधि की उन्नत प्रजातियाँ

ICAR ने उन किसानों के लिए लंबी अवधि की प्रजातियों की सलाह दी है, जो ज्यादा उपज चाहते हैं और जिनके पास पानी और अच्छी मिट्टी की सुविधा है। इन प्रजातियों में बहार, अमर, नरेन्द्र-1, पूसा 9, PDA-11, MA-6, और IPA203 शामिल हैं। ये प्रजातियाँ 6-8 महीने में पकती हैं और प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल तक उपज दे सकती हैं। इन्हें बोने का सबसे अच्छा समय जुलाई है, ताकि फसल को पकने के लिए पर्याप्त समय मिले। ये प्रजातियाँ उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, जहाँ बारिश अच्छी होती है और मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा ठीक रहती है।

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कम अवधि की प्रजातियाँ

अगर आपके पास छोटा खेत है या पानी की कमी है, तो ICAR ने कम अवधि की प्रजातियों, जैसे पारस, UPAS-120, PUSA-992, और टाइप-21 की सलाह दी है। ये प्रजातियाँ 4-5 महीने में पक जाती हैं और कम संसाधनों में भी अच्छी उपज देती हैं। इन्हें मध्य जून तक बो देना चाहिए, ताकि मानसून की शुरुआत में फसल अच्छे से बढ़ सके। ये प्रजातियाँ छोटे किसानों के लिए फायदेमंद हैं, क्योंकि इन्हें कम देखभाल की जरूरत होती है और ये जल्दी मुनाफा देती हैं।

बुआई और बीज प्रबंधन

ICAR की सलाह है कि अरहर की बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम बीज का उपयोग करें। इससे पौधों के बीच सही दूरी बनी रहती है, और फसल स्वस्थ रहती है। बुआई से पहले बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें। यह मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाता है, जिससे फसल की बढ़त तेज होती है। खेत को बुआई से पहले अच्छी तरह जोत लें और गोबर की खाद डालें। लंबी अवधि की प्रजातियों को जुलाई में और कम अवधि की प्रजातियों को मध्य जून तक बो दें। यह सुनिश्चित करें कि खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो, क्योंकि अरहर की फसल को जलभराव पसंद नहीं।

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अरहर की खेती के लिए देसी उपाय

अरहर की खेती को और फायदेमंद बनाने के लिए कुछ देसी नुस्खे आजमाए जा सकते हैं। बुआई से पहले खेत में 5-7 टन गोबर खाद या केंचुआ खाद डालें। यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और रासायनिक खाद की जरूरत कम करता है। कीटों और रोगों से बचाने के लिए नीम की पत्तियों का पानी बनाकर छिड़काव करें। यह सस्ता और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। अरहर को मक्का, मूँग, या बाजरा जैसी फसलों के साथ मिलाकर बोएँ। इससे मिट्टी की सेहत बनी रहती है और कीटों का खतरा कम होता है। अगर आपके क्षेत्र में पानी की कमी है, तो ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करें, जो पानी बचाता है और फसल को सही नमी देता है।

सरकारी योजनाओं का लाभ

सरकार अरहर की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के तहत अरहर के लिए उन्नत बीज, खाद, और तकनीकी सलाह मुफ्त या कम कीमत पर मिलती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मौसम की अनिश्चितता, जैसे बाढ़ या सूखे, से होने वाले नुकसान को कवर करती है। किसान सम्मान निधि के तहत छोटे किसानों को सालाना 6,000 रुपये की मदद मिलती है, जिसे बीज और खाद खरीदने में इस्तेमाल किया जा सकता है। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या कृषि कार्यालय से संपर्क करें, जहाँ मुफ्त प्रशिक्षण और अनुदान की सुविधा उपलब्ध है।

ICAR की नई एडवाइजरी अरहर की खेती को गाँव के किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बनाती है। उन्नत प्रजातियाँ, जैसे बहार और पारस, और सही बुआई समय के साथ आप अपनी उपज को 20-25% तक बढ़ा सकते हैं। देसी उपाय और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपने खेत को समृद्ध बनाएँ। अगर आप अरहर की खेती शुरू करने की सोच रहे हैं, तो अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें और इस मौके का फायदा उठाएँ। अपनी खेती की कहानी हमारे साथ साझा करें!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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