Arbi Ki Kheti Ke Fayde: गाँव के घरों के आंगन, खेत की खाली पड़ी जमीन या छोटी-सी जगह को अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह कमाई का बड़ा जरिया बन सकती है। अरबी, जिसे कुछ जगहों पर घुइयां भी कहते हैं, ऐसी सब्जी है जो न सिर्फ उगाने में आसान है, बल्कि बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। किसान प्रेमचंद का कहना है कि अरबी की खेती में खर्च लगभग न के बराबर है, और बाजार में यह 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिकती है। यह खेती उन लोगों के लिए वरदान है, जो कम मेहनत और कम लागत में अच्छा मुनाफा चाहते हैं।
अरबी की खेती की खासियत – Arbi Ki Kheti Ke Fayde
अरबी की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे उगाने में न तो ज्यादा मेहनत चाहिए, न महंगे खाद की जरूरत, और न ही कीटों से बचाव के लिए दवाइयाँ। यह सब्जी जमीन के नीचे उगती है, जैसे आलू या प्याज, और इसे छोटे-छोटे खेतों, आंगन या घर के पीछे की खाली जगह में आसानी से लगाया जा सकता है। प्रेमचंद बताते हैं कि अरबी की फसल में कीड़े-मकोड़े कम लगते हैं, जिससे रासायनिक छिड़काव की जरूरत नहीं पड़ती। यह खेती इतनी आसान है कि कोई भी किसान इसे बिना ज्यादा परेशानी के कर सकता है।
सही समय और बुवाई का तरीका
अरबी की खेती (Taro Farming) के लिए मई का महीना सबसे अच्छा समय है, हालाँकि इसे साल में दो बार लगाया जा सकता है। बुवाई के लिए अच्छी क्वालिटी के अरबी के बीज बीज भंडार से लाएँ। खेत में रोपाई करते समय पौधों के बीच 1 फुट की दूरी रखें और लाइन-टू-लाइन दूरी 2 फुट रखें। इससे पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है और पैदावार अच्छी होती है। खेत को तैयार करने के लिए दो बार जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। जुताई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए गोबर खाद और पानी डालें। यह आसान प्रक्रिया फसल की शुरुआत को मजबूत बनाती है।
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गोबर खाद है सबसे बड़ा हथियार
अरबी की खेती में सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें महंगे रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती। प्रेमचंद कहते हैं कि गोबर खाद इस फसल का अमृत है। खेत तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर खाद डालना काफी है। यह खाद मिट्टी को पोषण देती है और अरबी के कंद बड़े और स्वस्थ उगते हैं। गोबर खाद सस्ती और आसानी से उपलब्ध होती है, जिससे खेती का खर्च और कम हो जाता है। इस तरह, बिना ज्यादा पैसे खर्च किए अरबी की फसल तैयार की जा सकती है।
सिंचाई में आसानी
अरबी की फसल के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। हर 7 दिन में एक बार पानी देना काफी है। अगर मिट्टी में पहले से नमी हो, तो कई बार इतनी भी जरूरत नहीं पड़ती। यह फसल कम पानी में भी अच्छे से बढ़ती है, जिससे उन किसानों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास सिंचाई के साधन सीमित हैं। पानी देने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम है, ताकि धूप में पानी सूखे नहीं। इस तरह, अरबी की खेती में मेहनत और समय दोनों की बचत होती है।
चार महीने में बंपर पैदावार
अरबी की फसल को तैयार होने में करीब चार महीने का समय लगता है। लेकिन इसका प्रोडक्शन इतना शानदार होता है कि एक पौधे से 4 से 5 किलो अरबी आसानी से निकल आती है। यानी अगर आप छोटे से खेत में 50-100 पौधे भी लगाते हैं, तो भी बंपर पैदावार मिल सकती है। फसल जमीन के नीचे तैयार होती है, इसलिए इसे निकालना भी आसान है। एक बार फसल तैयार होने के बाद इसे बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
अरबी की बाजार में हमेशा अच्छी माँग रहती है। प्रेमचंद बताते हैं कि इसका भाव 40 रुपये प्रति किलो से शुरू होकर 80 से 100 रुपये तक जाता है। यानी एक पौधे से 400-500 रुपये तक की कमाई हो सकती है। अगर आप 50-100 पौधे लगाते हैं, तो महीनों तक कमाई की गारंटी रहती है। अरबी का इस्तेमाल सब्जी, स्नैक्स और कई तरह के व्यंजनों में होता है, जिससे इसकी डिमांड कभी कम नहीं होती। गाँव के बाजारों से लेकर शहरों तक, अरबी हर जगह बिकती है और अच्छा दाम देती है।
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