बरसात में खेती के लिए बेस्ट अरहर की ये पछेती किस्म देगी भरपूर पैदावार, यहां से खरीदें बीज

Arhar GRG 152 Variety: अरहर, जिसे तुअर या तूर दाल भी कहते हैं, खरीफ सीजन की एक ऐसी फसल है जो हमेशा से किसानों के लिए कमाई का भरोसेमंद जरिया रही है। देश के कई हिस्सों में किसान अरहर की अगेती किस्मों की बुवाई कर चुके हैं, लेकिन कुछ किसान अभी भी सोच में हैं कि कौन सी किस्म चुनें, जिससे कम समय में ज्यादा फसल मिले। ऐसे किसानों के लिए अरहर की पछेती किस्म GRG-152 एक शानदार विकल्प है। यह किस्म न सिर्फ़ कम समय में तैयार होती है, बल्कि अच्छी पैदावार भी देती है। आइए जानें कि इस किस्म के बीज कहाँ से मिलेंगे और इसकी खेती कैसे करनी है।

Arhar GRG 152 किस्म की खासियत

अरहर की GRG-152 एक पछेती किस्म है, जिसे मॉनसून के समय बोया जाता है। इस किस्म की फसल की लंबाई छोटी होती है, लेकिन इसके दाने बड़े और मोटे होते हैं। यह किस्म एक साथ पकती है, जिससे कटाई आसान हो जाती है। सबसे खास बात यह है कि यह विल्ट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, यानी बीमारी का खतरा कम रहता है।

यह फसल 160 दिनों में तैयार होकर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। सामान्य परिस्थितियों में यह प्रति हेक्टेयर 12 से 14 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है। उत्तर प्रदेश के एक किसान ने बताया कि इस किस्म की खेती ने उनकी कमाई को बढ़ाया, क्योंकि इसके दाने बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं।

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सस्ते में बीज कहाँ से लें

किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ अरहर जैसी दलहनी फसलों की खेती की तरफ बढ़ रहे हैं, क्योंकि इनसे अच्छा मुनाफा मिलता है। राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) किसानों की मदद के लिए GRG-152 किस्म के बीज सस्ते दामों में ऑनलाइन बेच रहा है। अभी 5 किलो का पैकेट 17 फीसदी छूट के साथ सिर्फ़ 906 रुपये में NSC की आधिकारिक वेबसाइट या ONDC के ऑनलाइन स्टोर mystore.in पर उपलब्ध है। बीज ऑर्डर करना बहुत आसान है। वेबसाइट पर जाकर बीज चुनें, अपना पता डालें, और कुछ ही दिनों में बीज आपके घर पहुँच जाएँगे। मध्य प्रदेश के एक कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि NSC के बीज भरोसेमंद हैं और इनसे फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है।

अरहर की खेती कैसे करें

अरहर की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। खेत की गहरी जुताई डिस्क हैरो से करें, ताकि मिट्टी अच्छी तरह भुरभुरी हो जाए। इसके बाद रोटावेटर से मिट्टी को और बारीक कर लें। बुवाई के लिए पंक्तियों में बीज बोना सबसे अच्छा तरीका है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 55 से 65 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखें। मेड़ बनाकर उस पर बीज बोना बेहतर होता है।

बीज को 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएँ। खेत में गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालने से मिट्टी को ताकत मिलती है और फसल अच्छी होती है। बिहार के एक किसान ने बताया कि इस तरीके से खेती करने पर उनकी फसल की पैदावार बढ़ी और लागत भी कम रही।

केंद्र और राज्य सरकारें दलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के तहत अरहर की खेती के लिए सब्सिडी और तकनीकी मदद दी जा रही है। राष्ट्रीय बीज निगम के माध्यम से सस्ते और अच्छे बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क करके आप इन योजनाओं का फायदा उठा सकते हैं।

अरहर की GRG-152 किस्म की खेती शुरू करके आप न सिर्फ़ अपनी जेब भर सकते हैं, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा में भी योगदान दे सकते हैं। आज ही बीज ऑर्डर करें और खेती की शुरुआत करें।

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  • Shashikant

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