अरुणाचल में भारी बारिश से हाहाकार, धान की फसल हुई तबाह, भूस्‍खलन से 7 लोगों की मौत

Arunachal Flood: अरुणाचल प्रदेश इन दिनों मॉनसून की भारी मार झेल रहा है, भैया! पिछले कई दिनों से मूसलाधार बारिश ने राज्य के कई जिलों में तबाही मचा दी है। बाढ़ और भूस्खलन ने जनजीवन को ठप कर दिया है, और खेतों में खड़ी धान की फसल को भारी नुकसान पहुँचा है। सिगिन नदी और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ उफान पर हैं, जिससे ऊपरी सुबनसिरी के दापोरिजो जैसे इलाकों में 80 से ज़्यादा घर पानी में डूब गए। सड़कें, पुल, और सार्वजनिक सुविधाएँ भी बर्बाद हो रही हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रेड अलर्ट जारी कर लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

बाढ़ और भूस्खलन ने छीना चैन

मॉनसून की मूसलाधार बारिश ने अरुणाचल के कई जिलों को पानी-पानी कर दिया है। कुरुंग कुमे, ईस्ट कामेंग, सियांग, शि योमी, क्रा दादी, लोअर सुबनसिरी, अपर सुबनसिरी, नामसाई, और लोहित जैसे इलाकों में रेड अलर्ट जारी है। सिगिन नदी के उफान ने दापोरिजो में सैकड़ों परिवारों को बेघर कर दिया, जहाँ घर, दुकानें, और स्कूल पानी में डूब गए। बाना-सेप्पा रोड पर भूस्खलन ने एक वाहन को खाई में धकेल दिया, जिसमें दो बच्चों समेत सात लोगों की जान चली गई। एक टाटा सूमो बाल-बाल बची, क्योंकि ड्राइवर ने समय रहते गाड़ी रोक ली।

ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के उफान ने पड़ोसी असम के साथ मिलकर पूर्वोत्तर भारत में हालात और बिगाड़ दिए हैं। IMD के अनुसार, मॉनसून की तीव्रता अगले कुछ दिनों में थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन बारिश का खतरा बना रहेगा।

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धान की फसल पर संकट की मार

अरुणाचल में धान की खेती किसानों की रीढ़ है, लेकिन इस बार बाढ़ ने खेतों को तबाह कर दिया। सिगिन नदी और अन्य नालों के किनारों से बहने से खेतों में पानी भर गया, जिससे धान की फसलें डूब गईं। ऊपरी सुबनसिरी और लोअर सुबनसिरी में 30-40% फसल नष्ट हो चुकी है। किसानों का कहना है कि बारिश और भूस्खलन ने मिट्टी की उर्वरता को भी प्रभावित किया है। मौसम विभाग ने सलाह दी है कि खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था करें और कटी हुई फसलों को तिरपाल से ढककर सुरक्षित रखें। लेकिन लगातार बारिश और सड़कों के बंद होने से राहत कार्यों में भी दिक्कत हो रही है।

सरकार और आपदा प्रबंधन की कोशिशें

अरुणाचल सरकार और आपदा प्रबंधन टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं। लोहित में SDRF ने बेखुलियांग इलाके में नदी के किनारे फँसे तीन लोगों को हाथियों की मदद से बचाया। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने प्रभावित इलाकों में राहत शिविर और मुफ्त राशन की व्यवस्था की है। केंद्र सरकार ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए 100 करोड़ रुपये की सहायता का ऐलान किया है। लेकिन भूस्खलन और सड़कों के बंद होने से कई जगहों तक मदद पहुँचाना मुश्किल हो रहा है। IMD ने चेतावनी दी है कि मॉनसून की बारिश जून तक सामान्य से अधिक रह सकती है,

किसान क्या सावधानियां रखें

इस संकट से निपटने के लिए कुछ सावधानियाँ बरतें। किसानों को खेतों से पानी निकालने के लिए छोटी नालियाँ बनानी चाहिए और फसलों को तिरपाल से ढकना चाहिए। नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से मिट्टी की जाँच और कीट प्रबंधन की सलाह लें। बाढ़ प्रभावित इलाकों में जैविक खाद का इस्तेमाल करें, ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़े। आम लोगों को रेड अलर्ट वाले इलाकों में ऊँचे स्थानों पर रहने की कोशिश करें और स्थानीय प्रशासन की सलाह मानें। राहत शिविरों में रजिस्ट्रेशन करवाएँ और मुफ्त राशन का फायदा लें। गैर-ज़रूरी यात्रा से बचें, खासकर बाना-सेप्पा जैसे भूस्खलन-प्रवण रास्तों पर।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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