राजस्थान के बूंदी जिले में आर्या परियोजना के तहत किसानों और युवाओं को बकरी पालन का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। यह आठ दिवसीय कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को बकरी पालन से जुड़ी हर जरूरी जानकारी दी गई। ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए सरकार बकरी पालन को बढ़ावा दे रही है। इस व्यवसाय से दूध, मांस और खाद जैसे उत्पाद मिलते हैं, जिनकी अच्छी माँग रहती है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीरज हाड़ा ने बताया कि बेरोजगार युवा इसे अपनाकर अच्छी कमाई कमा सकते हैं। यह न सिर्फ रोजगार देता है, बल्कि परिवार की आय को स्थिर भी बनाता है।
प्रशिक्षण में दी गईं व्यावहारिक जानकारियाँ
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को बकरी पालन के हर पहलू पर रोशनी डाली गई। डॉ. हरीश वर्मा ने हरे चारे में लगने वाले कीटों और रोगों से बचाव के तरीके बताए। डॉ. घनश्याम मीणा ने हाथों-हाथ प्रैक्टिकल सिखाए, जैसे बकरी का वजन नापना, डीवर्मिंग की दवा देना, टीकाकरण का सही समय और तरीका, खुर काटना, उम्र का अनुमान लगाना, संतुलित आहार तैयार करना और टैग लगाना। उन्होंने बकरी के दूध से पनीर व मावा बनाने का तरीका भी सिखाया। साथ ही, मांस से समोसे, कचौड़ी, पकौड़े और नगेट्स जैसे उत्पाद तैयार करने और पैकिंग कर दूर भेजने की कला भी बताई। रिकॉर्ड रखने की आदत डालने पर भी जोर दिया गया।
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बकरी फार्म से अतिरिक्त कमाई के गुर
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. सेवाराम रुण्डला ने बताया कि बकरी फार्म के अवशेषों से वर्मीकम्पोस्ट बनाकर अतिरिक्त आय की जा सकती है। यह खाद मिट्टी की सेहत सुधारती है और खेती के लिए उपयोगी साबित होती है। डॉ. दीपक कुमार ने बकरी पालन के मुख्य आधारों पर चर्चा की। उन्होंने सिरोही और सोजत जैसी उन्नत नस्लों का जिक्र किया, साथ ही वैज्ञानिक तरीके से बाड़ा बनाना, चारा प्रबंधन, संतुलित आहार देना, पशु चिकित्सा, टीकाकरण और बीमा की जानकारी दी। इन सुझावों से किसान अपनी फार्म को मजबूत बना सकेंगे।
भ्रमण से मिली नई प्रेरणा
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को अविकानगर स्थित केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केंद्र, केन्द्रीय चारा अनुसंधान केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय और वहाँ की बकरी पालन इकाई, डेयरी प्रदर्शन इकाई तथा अन्य इकाइयों का दौरा कराया गया। इस भ्रमण से किसानों को वास्तविक उदाहरण देखने का मौका मिला, जो उनके लिए प्रेरणा स्रोत बने। कार्यक्रम के अंत में सभी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। उद्यान वैज्ञानिक इंदिरा यादव, तकनीकी सहायक महेन्द्र चौधरी, लोकेश प्रजापत, विजेन्द्र कुमार वर्मा, दुर्गा सिंह सोलंकी और राम प्रसाद ने पूरे प्रशिक्षण में सहयोग दिया।
बकरी पालन से खुशहाल ग्रामीण जीवन
यह प्रशिक्षण राजस्थान के किसानों और युवाओं के लिए एक नया अवसर लेकर आया है। बकरी पालन जैसा कम निवेश वाला व्यवसाय अपनाकर वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं। सरकार की योजनाओं का फायदा उठाकर अनुदान भी लिया जा सकता है। अगर आप भी इसमें रुचि रखते हैं, तो नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और बेरोजगारी को कम करेगा।
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