Avocado Ki Kheti Kaise Karen : एवोकाडो एक ऐसा विदेशी फल है, जो आजकल भारत में भी खूब पसंद किया जा रहा है। इसे बटर फ्रूट भी कहते हैं, क्योंकि इसका गूदा मक्खन की तरह नरम और पौष्टिक होता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन और पोटैशियम जैसे तत्व भरे होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं। पहले ये फल दक्षिण मध्य मैक्सिको से आया था, लेकिन अब भारत के कई हिस्सों में इसकी खेती शुरू हो गई है। खासकर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और सिक्किम जैसे राज्यों में किसान इसे उगा रहे हैं।
बाज़ार में इसकी कीमत 500 से 2000 रुपये प्रति किलो तक होती है, जिससे ये किसानों के लिए मुनाफे का शानदार ज़रिया बन गया है। अगर आप भी सोच रहे हैं कि एवोकाडो की खेती कैसे करें, तो ये लेख आपके लिए है। आइए जानते हैं कि इसे उगाने का सही तरीका क्या है और इससे कितनी कमाई हो सकती है।
एवोकाडो की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
एवोकाडो की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे अच्छी होती है। ये फल 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छे से बढ़ता है। बहुत ठंडे इलाकों में इसकी खेती करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ये ठंड को ज़्यादा सहन नहीं कर पाता। भारत में दक्षिणी राज्य और पहाड़ी इलाकों की जलवायु इसके लिए मुफीद है।
मिट्टी की बात करें, तो दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी इसके लिए बेस्ट है। मिट्टी का pH 5 से 7 के बीच होना चाहिए। पानी का निकास अच्छा होना ज़रूरी है, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। अगर मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा ज़्यादा हो, तो पेड़ ज़्यादा फल देता है।
बुवाई का सही समय और तरीका
एवोकाडो की खेती के लिए बुवाई का सबसे अच्छा समय जून से अगस्त के बीच का है। इस दौरान मानसून की बारिश शुरू हो जाती है, जो पौधों को बढ़ने में मदद करती है। इसे बीज से भी उगा सकते हैं, लेकिन जल्दी और बेहतर पैदावार के लिए ग्राफ्टेड पौधों का इस्तेमाल करना चाहिए। खेत की तैयारी के लिए पहले दो-तीन बार जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएँ। प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद डालें।
पौधों को 6×6 मीटर की दूरी पर रोपें। अगर जगह कम है, तो 5×5 मीटर भी ठीक रहेगा। रोपाई से पहले गड्ढे तैयार करें, जो 2 फीट गहरे और चौड़े हों। पौधे लगाने के बाद हल्की सिंचाई करें। ग्राफ्टेड पौधे 3-5 साल में फल देना शुरू कर देते हैं।
एवोकाडो की उन्नत किस्में
भारत में कई उन्नत किस्में उगाई जा रही हैं, जो अच्छी पैदावार देती हैं। इनमें हास, फुएर्टे, पिंकर्टन और पर्पल जैसी किस्में मशहूर हैं। यहाँ एक टेबल में इनकी जानकारी दी गई है:
किस्म का नाम | तैयार होने का समय | पैदावार (क्विंटल/हेक्टेयर) | खासियत |
---|---|---|---|
हास | 3-5 साल | 10-15 | रसीला और माँग ज़्यादा |
फुएर्टे | 4-5 साल | 8-12 | स्वादिष्ट और मजबूत |
पिंकर्टन | 3-4 साल | 12-18 | जल्दी तैयार |
पर्पल | 4-5 साल | 10-14 | गर्मी सहनशील |
अपने क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से सही किस्म चुनें।
खाद और पानी का प्रबंधन
एवोकाडो को ज्यादा खाद की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन शुरुआत में पोषण देना ज़रूरी है। रोपाई के समय प्रति हेक्टेयर 50 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटैश डालें। इसके बाद हर साल गोबर की खाद डालते रहें। पानी की बात करें, तो पहली सिंचाई रोपाई के बाद करें। फिर 10-15 दिन के अंतराल पर पानी दें। गर्मी में पानी की मात्रा बढ़ानी पड़ सकती है। ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करें, ताकि पानी की बचत हो और जड़ों को सही नमी मिले। बारिश के मौसम में अतिरिक्त सिंचाई की ज़रूरत नहीं पड़ती।
कीट और रोग से बचाव
एवोकाडो के पेड़ों पर कीट और रोग कम लगते हैं, लेकिन सावधानी रखना ज़रूरी है। फल छेदक कीट और स्कैब रोग कभी-कभी परेशान कर सकते हैं। फल छेदक से बचने के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। स्कैब रोग के लिए डायथेन एम-45 (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) का इस्तेमाल करें। समय-समय पर पेड़ों की जाँच करें और पत्तियों को साफ रखें। जैविक खेती के लिए नीम का तेल भी अच्छा विकल्प है।
कटाई और मुनाफा
एवोकाडो के पेड़ रोपाई के 3-5 साल बाद फल देना शुरू करते हैं। कटाई का सही समय तब होता है, जब फल का रंग हरे से भूरे या पीले में बदल जाए। एक पेड़ से 10 साल बाद 250-500 फल मिल सकते हैं। एक हेक्टेयर से 10-20 टन तक पैदावार हो सकती है। बाज़ार में इसका भाव 500-2000 रुपये प्रति किलो रहता है। इस हिसाब से एक हेक्टेयर से 5-10 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। लागत करीब 1-1.5 लाख रुपये आती है, जिसके बाद शुद्ध मुनाफा अच्छा रहता है। छोटे किसान आधे एकड़ में भी शुरू कर सकते हैं।
एवोकाडो की खेती के फायदे
एवोकाडो की खेती कई मायनों में फायदेमंद है। ये कम पानी में भी उग जाता है और इसकी माँग देश-विदेश में बढ़ रही है। एक बार पेड़ लगाने के बाद ये 50 साल तक फल दे सकता है। इसकी खेती से मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है। बाज़ार में ऊँची कीमत मिलने से किसानों की आमदनी बढ़ती है। ये फल सेहत के लिए भी अच्छा है, जिससे इसकी डिमांड कभी कम नहीं होगी।
सावधानियाँ
एवोकाडो की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखें। जलभराव से जड़ें खराब हो सकती हैं, इसलिए पानी का निकास सही रखें। नकली पौधों से बचें, इसलिए भरोसेमंद नर्सरी से पौधे लें। पेड़ों को 6-8 घंटे धूप ज़रूर मिले। कटाई सही समय पर करें, वरना फल की गुणवत्ता कम हो सकती है।
एवोकाडो की खेती कैसे करें, ये अब आपके सामने है। ये एक ऐसी फसल है, जो कम मेहनत और सही देखभाल से लाखों की कमाई दे सकती है। अगर आप नई और मुनाफेदार खेती की तलाश में हैं, तो इसे ज़रूर आज़माएँ। अपने खेत की मिट्टी और जलवायु की जाँच करें और नज़दीकी कृषि केंद्र से सलाह लें। सही प्लानिंग के साथ एवोकाडो आपकी जेब भर सकता है।
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