Bakri Palan Kaise Karen: भारत में खेती के साथ पशुपालन सदियों से चला आ रहा है। इनमें बकरी पालन आज किसानों के लिए कमाई का बड़ा जरिया बन गया है। बकरी का मांस और दूध बाजार में खूब बिकता है। बकरी का दूध डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए मशहूर है, और मांस की माँग मांसाहारियों में हमेशा रहती है। कम जमीन और पैसे में शुरू होने वाला यह धंधा तेजी से मुनाफा देता है। केंद्र और राज्य सरकारों की सब्सिडी योजनाएँ इसे और आसान बना रही हैं। अगर आप खेती के साथ अतिरिक्त कमाई चाहते हैं, तो बकरी पालन बेस्ट है।

बकरी पालन के फायदे
बकरी पालन में खर्चा कम और मुनाफा ज्यादा है। बकरियों को कम चारा और छोटी जगह चाहिए, जिससे छोटे किसान भी इसे आसानी से शुरू कर सकते हैं। यह धंधा हर मौसम में चलता है, क्योंकि बकरियाँ अलग-अलग जलवायु में ढल जाती हैं। बकरी का मांस और दूध बाजार में हमेशा डिमांड में रहता है। सरकार की योजनाएँ, जैसे नाबार्ड और राज्य सरकारों की सब्सिडी, नए पशुपालकों को बकरी फार्म शुरू करने में मदद करती हैं। साथ ही, यह धंधा महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार का नया रास्ता खोल रहा है।
सही नस्ल का चयन
बकरी पालन की सफलता सही नस्ल पर टिकी है। भारत में कई उन्नत नस्लें हैं, जो मांस और दूध के लिए मशहूर हैं। जमुनापारी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दूध के लिए बेस्ट है। ब्लैक बंगाल बिहार और पश्चिम बंगाल में मांस और तेज प्रजनन के लिए जानी जाती है। सिरोही और बरबरी राजस्थान व गुजरात में लोकप्रिय हैं, जो मांस और दूध दोनों देती हैं। बीटल नस्ल पंजाब और हरियाणा में मांस के लिए पाली जाती है। अपनी जलवायु और बाजार की माँग के हिसाब से नस्ल चुनें। स्थानीय पशु चिकित्सा केंद्र से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा।

बकरी फार्म की शुरुआत
बकरी पालन के लिए मजबूत और सुरक्षित शेड जरूरी है। 50 बकरियों और 2 बकरों के लिए कम से कम 1800-2000 वर्ग फीट जगह चाहिए। गर्म इलाकों में तीन दीवारों और छत वाला शेड काफी है, लेकिन ठंडे या बारिश वाले इलाकों में चार दीवारों और एक दरवाजे की जरूरत पड़ती है। शेड को सूखा और साफ रखें, ताकि बीमारियाँ न फैलें। बिस्तर के लिए पुआल, घास, या लकड़ी का चूरा इस्तेमाल करें। चूरा सस्ता है, लेकिन इसे बार-बार बदलें, वरना साँस की दिक्कत हो सकती है। शेड में चढ़ने के लिए लकड़ी के प्लेटफॉर्म बनाएँ, क्योंकि बकरियाँ चढ़ना पसंद करती हैं।
ये भी पढ़ें- ईमू पालन से होगी करोड़ों की कमाई! जानिए कैसे शुरू करें ये अनोखा बिज़नेस
चारा और पोषण का इंतजाम
बकरियों की सेहत के लिए संतुलित आहार जरूरी है। हरा चारा, जैसे बरसीम, मक्का, और लोबिया, दूध और विकास के लिए बेस्ट है। एक वयस्क बकरी को रोज 2-4 पाउंड हरा चारा चाहिए। सूखा चारा, जैसे गेहूँ का भूसा या अरहर, हरे चारे के साथ मिलाकर दें। मांस और दूध बढ़ाने के लिए मक्का, मूंगफली की खली, और तिल की खली से बना दाना दें। गर्भवती बकरियों को अनाज या छर्रों से अतिरिक्त पोषण दें। ताजा और साफ पानी हमेशा उपलब्ध रखें। तांबा, नमक, और बेकिंग सोडा जैसे खनिज पाचन और सेहत के लिए जरूरी हैं।

देखभाल और रोग प्रबंधन
बकरियाँ चंचल होती हैं और भागने की कोशिश करती हैं, इसलिए मजबूत तार या लकड़ी की बाड़ लगाएँ। नियमित डीवर्मिंग और टीकाकरण से कीड़ों और रोगों, जैसे बकरी प्लेग, खुरपका-मुंहपका, और चेचक, से बचाव करें। वजन कम होना, खुरदरी त्वचा, या थकान कीड़ों के लक्षण हो सकते हैं। पशु चिकित्सक से मल जाँच करवाएँ। खुरों को हर 6-8 हफ्ते में ट्रिम करें और बालों को ब्रश करें। नीम का तेल छिड़ककर परजीवियों से बचाएँ। फार्म को साफ रखें और बीमार बकरियों को तुरंत अलग करें।
शुरुआती खर्च और सरकारी मदद
50 बकरियों और 2 बकरों का फार्म शुरू करने में 6-8 लाख रुपये लग सकते हैं। इसमें शेड (2-3 लाख), बकरियाँ (4-5 लाख), और चारा-दवा (1-2 लाख सालाना) का खर्च शामिल है। एक बकरी की कीमत 8,000-10,000 और बकरे की 15,000-25,000 रुपये हो सकती है। केंद्र और राज्य सरकारें 25-35% सब्सिडी देती हैं। नाबार्ड सस्ते लोन देता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में 10-50 लाख तक के लोन और सब्सिडी की योजनाएँ हैं। नजदीकी जिला कृषि कार्यालय या पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क करें।

मुनाफे का हिसाब
बकरी पालन में पैसा जल्दी लौटता है। एक बकरी साल में दो बार बच्चे देती है, और 6-8 महीने में बच्चे 8,000-15,000 रुपये में बिकते हैं। दूध 50-70 रुपये प्रति लीटर और मांस 500-700 रुपये प्रति किलो बिकता है। बकरी का गोबर जैविक खाद के लिए बेचा जा सकता है। 50 बकरियों का फार्म सालाना 3-5 लाख रुपये कमा सकता है। चराई और जैविक चारे से लागत और कम हो सकती है।

किसान भाइयों, बकरी पालन कम लागत में बंपर मुनाफे का धंधा है। सही नस्ल, मजबूत शेड, संतुलित चारा, और नियमित देखभाल से आप इसे फायदे का व्यवसाय बना सकते हैं। सरकार की सब्सिडी और लोन योजनाएँ शुरुआत को आसान करती हैं। अगर आप खेती के साथ अतिरिक्त कमाई चाहते हैं, तो बकरी पालन शुरू करें। मेहनत और सही तरीके से आप लाखों की कमाई के साथ गाँव में रोजगार भी बढ़ा सकते हैं।
ये भी पढ़ें- 60% तक सब्सिडी के साथ शुरू करें बकरी पालन जानिए बिहार सरकार की योजना