इस फल की खेती से बरसेगा पैसा, 40 हजार की लागत में 8 लाख का मुनाफा

Banana G-9 Farming: भारत में किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक तकनीकों के साथ उन्नत फसलें उगा रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में G-9 केले की खेती ने किसानों की आय को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। यह हाइब्रिड किस्म कम समय में अधिक उपज, कम पानी की खपत, और उच्च बाजार माँग के लिए जानी जाती है। यह लेख G-9 केले की खेती की विशेषताएँ, खेती की प्रक्रिया, सिंचाई, उर्वरक, कीट/रोग नियंत्रण, लागत-मुनाफा, और सरकारी सहायता पर विस्तृत जानकारी देगा। ICAR-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH) और कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) की सलाह से यह गाइड किसानों के लिए उपयोगी होगा।

G-9 केले की विशेषताएँ

G-9 केला (Grand Naine) एक हाइब्रिड किस्म है, जो अपनी उच्च उपज और गुणवत्ता के लिए लोकप्रिय है। यह पारंपरिक केले की तुलना में 9-10 महीनों में तैयार हो जाता है। इसके फल मोटे, मीठे, और चमकदार होते हैं, जो 20-25 सेमी लंबे और 150-200 ग्राम वजनी होते हैं। यह किस्म लंबे समय तक ताजा रहती है, जिससे परिवहन और निर्यात में आसानी होती है। G-9 केले की बाजार माँग उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, कानपुर, और लखनऊ जैसे शहरों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी है। यह किस्म कम पानी और रखरखाव के साथ अच्छी उपज देती है, जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए लाभकारी है।

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खेती की प्रक्रिया और खेत की तैयारी

G-9 केले की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी, जिसका pH 6.5-7.5 हो, सबसे उपयुक्त है। खेती शुरू करने से पहले खेत की गहरी जुताई (25-30 सेमी) करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो और खरपतवार नष्ट हों। जुताई के बाद प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। मृदा परीक्षण कराकर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का पता लगाएँ। यदि मिट्टी अम्लीय है, तो प्रति एकड़ 100-150 किलो चूना डालें।

पौधों को 6-7 फीट की दूरी पर रोपें, ताकि प्रत्येक पौधे को पर्याप्त जगह, धूप, और पोषण मिले। प्रति एकड़ 700-800 पौधे लगाए जा सकते हैं। टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे चुनें, जो ICAR-CISH, KVK, या प्रमाणित नर्सरी (जैसे NSC) से उपलब्ध हैं। रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को ट्राइकोडर्मा वाइराइड (10 ग्राम/पौधा) या नीम तेल (5 मिली/लीटर) से उपचारित करें, ताकि फंगस और रोगों से बचाव हो। रोपाई के लिए फरवरी-मार्च या जून-जुलाई का समय उपयुक्त है।

आधुनिक सिंचाई तकनीक

G-9 केले की खेती में पानी का कुशल प्रबंधन उपज को बढ़ाता है। ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाने से पानी की खपत 30-40% तक कम होती है। ड्रिप सिस्टम से प्रत्येक पौधे की जड़ तक पानी और उर्वरक सीधे पहुँचते हैं, जिससे फल की गुणवत्ता बेहतर होती है। गर्मियों में 4-5 दिन और सर्दियों में 7-10 दिन में सिंचाई करें। जल जमाव से बचें, क्योंकि यह जड़ सड़न का कारण बनता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में ड्रिप सिस्टम की लागत पर PMKSY के तहत 50-75% सब्सिडी उपलब्ध है।

उर्वरक और पोषक तत्वों का विशेष ध्यान

पौधों को स्वस्थ रखने के लिए जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें। रोपाई के समय प्रति एकड़ 20 किलो डीएपी, 15 किलो MOP, और 2 किलो माइक्रोन्यूट्रिएंट्स डालें। हर 30 दिन में यूरिया (10 किलो/एकड़) और पोटाश (5 किलो/एकड़) का छिड़काव करें। फल बनने के दौरान 19:19:19 (5 ग्राम/लीटर) का छिड़काव करें। जैविक खेती के लिए नीम खली (100 ग्राम/पौधा) और अज़ोटोबैक्टर (1 किलो/50 किलो FYM) का उपयोग करें। ICAR-CISH सलाह देता है कि उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण के आधार पर तय करें।

कीट और रोग नियंत्रण कैसे करें

G-9 केले में तना बेधक, पर्ण भक्षक, और पनामा विल्ट (फ्यूजेरियम) प्रमुख समस्याएँ हैं। तना बेधक तने में छेद करता है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है। इसके लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर) या क्लोरपायरीफोस (2 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। पनामा विल्ट से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा वाइराइड (10 ग्राम/पौधा) और मैंकोजेब (2 ग्राम/लीटर) का उपयोग करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए ग्लाइफोसेट (1.5 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव करें। नियमित निगरानी और प्रभावित पौधों को हटाने से रोग फैलने से रोका जा सकता है।

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बाजार और मुनाफे का हिसाब

G-9 केले की खेती की लागत प्रति एकड़ 40,000-50,000 रुपये है, जिसमें पौधे (15,000-20,000 रुपये), उर्वरक और खाद (10,000-12,000 रुपये), सिंचाई (5,000-8,000 रुपये), और मजदूरी (8,000-10,000 रुपये) शामिल हैं। एक एकड़ से 20-25 टन केले की उपज मिलती है। बाजार में G-9 केले की कीमत 25-30 रुपये/किलो है, जिससे प्रति एकड़ 5,00,000-7,50,000 रुपये की आय हो सकती है। लागत निकालने के बाद 4,50,000-7,00,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा संभव है।

चुनौतियाँ क्या आ सकती हैं

G-9 केले की खेती में जलवायु परिवर्तन, कीट प्रकोप, और बाजार तक पहुँच चुनौतियाँ हैं। तेज हवाओं से पौधे गिर सकते हैं, इसलिए बाँस या रस्सी से सहारा दें। कीट और रोगों की नियमित निगरानी करें। बाजार तक पहुँच के लिए FPO या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे AgriBegri, Farming India) से जुड़ें। नकली पौधों से बचने के लिए विश्वसनीय नर्सरी से खरीदें।

G-9 केले की उन्नत खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है। इसकी उच्च उपज, कम पानी की जरूरत, और बाजार माँग इसे छोटे और सीमांत किसानों के लिए आदर्श बनाती है। आधुनिक सिंचाई (ड्रिप/स्प्रिंकलर), संतुलित उर्वरक, और जैविक कीट नियंत्रण से प्रति एकड़ 4-7 लाख रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है। ICAR-CISH, KVK, और सरकारी योजनाओं का समर्थन लेकर किसान इस खेती को अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। यह खेती न केवल आर्थिक लाभ देती है, बल्कि ग्रामीण रोजगार और मृदा स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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