बरसात में करें प्याज की इस किस्म की बुआई, मुनाफा होगा दोगुना, जानिए पूरा तरीका

Barsat Me Pyaj Ki Kheti kaise karen: किसान भाइयों, प्याज की खेती हमारे गाँवों में बरसों से होती आ रही है। लेकिन कई बार पुराने तरीकों से खेती करने पर मेहनत तो खूब होती है, मगर मुनाफा उतना नहीं मिलता। बाजार में जब तक प्याज की फसल तैयार होकर पहुंचती है, तब तक दाम गिर जाते हैं। लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं! कृषि वैज्ञानिकों ने बरसात में प्याज की खेती के ऐसे देसी और वैज्ञानिक तरीके बताए हैं, जिनसे आप कम समय में ज्यादा कमाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि बरसात में प्याज की खेती कैसे करें और मोटा मुनाफा कैसे कमाएं।

खेत की तैयारी का आसान तरीका

प्याज की खेती के लिए ज्यादा उर्वर जमीन की जरूरत नहीं होती। बलुई दोमट या ऐसी जमीन जहां बारिश का पानी जमा न हो, प्याज के लिए सबसे अच्छी होती है। खेत को तैयार करने के लिए मानसून से पहले एक बार हल चलाएं। फिर दो-तीन बार बखर से जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। गाँव में गोबर की सड़ी खाद का इस्तेमाल सदियों से होता आया है।

एक हेक्टेयर खेत के लिए 10-12 क्विंटल गोबर की खाद डालें। अगर नीम की पत्तियां मिलें, तो उन्हें खेत में बिखेर दें। ये कीटों को भगाने का पुराना देसी नुस्खा है। खेत को समतल करें, ताकि बारिश का पानी ज्यादा देर न रुके। ऐसा करने से प्याज के पौधे मजबूत जड़ें पकड़ते हैं।

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बुआई का सही समय और देसी नुस्खा

बरसात में प्याज की बुआई का सबसे अच्छा समय मई का आखिरी हफ्ता या जून की शुरुआत है। इस समय मानसून की बारिश शुरू होने वाली होती है। अच्छी पैदावार के लिए उन्नत बीज चुनें, जैसे अर्का निकेतन, अर्का कल्याण, या अनु 25। ये किस्में बरसात में अच्छी फसल देती हैं और जल्दी पकती हैं। बुआई से पहले बीज को 6-8 घंटे पानी में भिगो लें। फिर बीचड़ा तैयार करें। बीचड़े को सीधी धूप से बचाने के लिए छप्पर या छांव का इंतजाम करें।

एक हेक्टेयर खेत के लिए 8-10 किलो बीज काफी है। बीज को 3 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। बीज से बीज की दूरी 5 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी भी 5 सेंटीमीटर रखें। बुआई के बाद हल्का पानी छिड़कें। गाँवों में ऐसा करने से 10-12 दिन में पौधे निकलने लगते हैं।

फसल की देखभाल का सरल तरीका

प्याज की फसल खरीफ मौसम में होती है, इसलिए बारिश का पानी ज्यादातर इसकी जरूरत पूरी कर देता है। लेकिन अगर बारिश कम हो, खासकर जब पौधों में फूल आने का समय हो, तो हल्की सिंचाई करें। ध्यान रखें कि खेत में पानी जमा न हो, वरना फसल सड़ सकती है। बुआई के 20-25 दिन बाद खरपतवार साफ करें। इसके 15 दिन बाद एक बार और निराई करें। इससे पौधों को ज्यादा ताकत मिलती है। गोबर का घोल बनाकर हर 20 दिन में खेत में डालें। एक हेक्टेयर के लिए 15-20 लीटर घोल काफी है। कीटों से बचाने के लिए नीम का पानी छिड़कें। ये देसी तरीका प्याज की फसल को स्वस्थ और हरा-भरा रखता है।

कटाई और मुनाफे का हिसाब

बरसात में लगाया गया प्याज अक्टूबर-नवंबर तक तैयार हो जाता है। जब पत्तियां पीली पड़ने लगें और प्याज के बल्ब सख्त हो जाएं, तो फसल काटने का समय है। पौधों को जड़ समेत उखाड़ लें और 5-7 दिन खेत में धूप में सुखाएं। इसके बाद प्याज को साफ करें और बाजार में बेचने के लिए तैयार करें। एक हेक्टेयर से 20-25 क्विंटल प्याज मिल सकता है। इस समय बाजार में प्याज का दाम 80-90 रुपये प्रति किलो होता है, क्योंकि रबी की फसल अभी बाजार में नहीं आती। यानी एक हेक्टेयर से 1.5-2 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत 20-25 हजार रुपये आती है, और मुनाफा कई गुना होता है।

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बरसात में प्याज की खेती क्यों है खास

बरसात में प्याज की खेती इसलिए खास है, क्योंकि इस समय बाजार में प्याज की कीमत ज्यादा होती है। रबी मौसम में प्याज की फसल मार्च-अप्रैल में तैयार होती है, जब दाम गिर जाते हैं। लेकिन बरसात में तैयार प्याज अक्टूबर-नवंबर में बिकता है, जब दाम चरम पर होते हैं। उन्नत बीज जैसे अर्का निकेतन और अर्का कल्याण बरसात के मौसम में भी अच्छी पैदावार देते हैं। ये फसल कम पानी और कम मेहनत में उगती है। गाँव की बहनें प्याज को खाने में इस्तेमाल करती हैं, और बाजार में भी इसकी मांग बनी रहती है। छोटे किसानों के लिए ये खेती मुनाफे का बड़ा जरिया बन सकती है।

किसानों के लिए खास सलाह

किसान भाइयों, बरसात में प्याज की खेती आपके लिए कमाई का सुनहरा मौका है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से अर्का निकेतन या अर्का कल्याण जैसे उन्नत बीज लें। मई-जून में बुआई शुरू करें। गोबर की खाद और नीम के पानी से फसल को मजबूत रखें। खेत में पानी जमा न होने दें। ये फसल न सिर्फ आपकी जेब भरेगी, बल्कि गाँव में प्याज की कमी को भी पूरा करेगी। अभी से खेत तैयार करें, ताकि मानसून में आपका खेत लहलहाए और मुनाफा आपके हाथ में आए।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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