पशुओं को खिलाएं बरसीम की ‘मसकावी’ वैरायटी, बहने लगेगी दूध की नदियाँ, यहाँ से खरीदें बीज

Barseem Masqavi Variety: राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) ने किसानों और पशुपालकों के लिए एक शानदार अवसर पेश किया है। बरसीम मसकावी वैरायटी के 2 किलो बीज सिर्फ 690 रुपये में उपलब्ध हैं, जो ऑनलाइन मंगवाए जा सकते हैं। यह बीज पशुधन के लिए पौष्टिक चारा उगाने में मदद करेंगे और दूध उत्पादन बढ़ाने में कारगर हैं। देशभर के उन क्षेत्रों में जहां पशुपालन एक बड़ा कारोबार है, यह वैरायटी छोटे और बड़े किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। अगर आप अपने खेतों को हरा-भरा बनाकर पशुओं को सेहतमंद चारा देना चाहते हैं, तो यह बीज आपके लिए सही विकल्प हैं। आइए, इस वैरायटी की खासियत, खेती का तरीका और फायदों को विस्तार से समझते हैं।

बरसीम मसकावी की खासियत

बरसीम मसकावी एक उन्नत चारा फसल है, जिसे एनएससी ने ट्रुथफुल लेबल्ड बीज के रूप में प्रमाणित किया है। यह वैरायटी तेजी से बढ़ती है और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। इसके पत्ते हरे, मुलायम और रसीले होते हैं, जो गायों और भैंसों के लिए आदर्श चारा हैं। इसमें 20-25% प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो पशुओं का दूध उत्पादन 10-15% तक बढ़ा सकते हैं। एनएससी के अनुसार, एक एकड़ में 20-25 किलो बीज से 300-400 क्विंटल हरा चारा प्राप्त हो सकता है, जो सर्दियों में पशुपालन को आसान बनाता है।

उन क्षेत्रों में जहां चारा की कमी एक बड़ी चुनौती है, यह वैरायटी किसानों की समस्या हल कर रही है। साथ ही, यह फसल मिट्टी में नाइट्रोजन फिक्सेशन करके उर्वरता बढ़ाती है, जो अगली फसलों के लिए फायदेमंद है। छोटे पशुपालकों से लेकर बड़े डेयरी फार्म्स तक, यह चारा सभी के लिए किफायती और पौष्टिक है।

बीज कैसे मंगवाएं

किसानों की सुविधा के लिए एनएससी ने बरसीम मसकावी के 2 किलो बीज पैक को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। आप mystore.in पर जाकर एनएससी फॉडर बरसीम वैरायटी मसकावी सर्च कर सकते हैं और 690 रुपये में ऑर्डर कर सकते हैं। क्यूआर कोड स्कैन करके भी खरीद संभव है, और पैकेट बिना किसी अतिरिक्त शिपिंग चार्ज के घर पहुंच जाएगा। ये बीज 90% से ज्यादा अंकुरण दर वाले हैं, जो विश्वसनीयता की गारंटी देते हैं।

यह ऑफर छोटे किसानों और डेयरी मालिकों के लिए खास है, क्योंकि कम निवेश में शुरूआत की जा सकती है। एनएससी की यह डिजिटल पहल खेती को आधुनिक और सुलभ बना रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां ऑनलाइन बीज खरीद का चलन बढ़ रहा है। देशभर के पशुपालकों के लिए यह एक सुनहरा मौका है, जो चारा लागत को कम करके मुनाफा बढ़ा सकता है।

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खेती का सरल तरीका

बरसीम ‘मसकावी’ की खेती शुरू करना बेहद आसान है, और सर्दियों का मौसम इसके लिए सबसे उपयुक्त है। अक्टूबर से नवंबर के बीच बुवाई करें, जब तापमान 15-25 डिग्री सेल्सियस हो। दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी चुनें, और खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें। प्रति एकड़ 20-25 किलो बीज पर्याप्त हैं। गोबर की खाद (5-7 टन प्रति एकड़) और 20 किलो नाइट्रोजन व 40 किलो फास्फोरस डालें। बीज बोने से पहले हल्के पानी से मिट्टी नम करें, और बुवाई के बाद तुरंत पहली सिंचाई करें।

इसके बाद हर 10-15 दिन में हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी नम रहे। फसल 45-50 दिन में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है, और सर्दियों में 3-4 कटाई संभव हैं। कीटों और फफूंद से बचाव के लिए नीम आधारित स्प्रे का इस्तेमाल करें। उन क्षेत्रों में जहां पानी की उपलब्धता अच्छी है, यह वैरायटी शानदार परिणाम देती है। एक एकड़ से 300-400 क्विंटल हरा चारा आसानी से मिल जाता है, जो पशुओं को पूरे सीजन स्वस्थ रखता है।

पशुपालन में बरसीम के फायदे

बरसीम मसकावी पशुओं के लिए पोषण का खजाना है। इसके डाइजेस्टिबल पोषक तत्व पशुओं की सेहत सुधारते हैं और बीमारियां कम करते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, इस चारे से गायों और भैंसों का दूध उत्पादन 10-15% तक बढ़ जाता है, और दूध में फैट की मात्रा भी बेहतर होती है। बाजार में हरा चारा 200-300 रुपये प्रति क्विंटल बिकता है, जिससे किसान प्रति एकड़ 60-80 हजार रुपये तक कमा सकते हैं।

उन क्षेत्रों में जहां डेयरी फार्मिंग एक बड़ा कारोबार है, यह वैरायटी पशुपालकों की आय दोगुनी कर रही है। इसके अलावा, यह फसल पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह मिट्टी को नाइट्रोजन से समृद्ध करती है, जिससे अगली फसलों की पैदावार बेहतर होती है। छोटे पशुपालकों से लेकर बड़े डेयरी फार्म्स तक, यह चारा सभी के लिए लाभकारी है।

क्यों चुनें बरसीम मसकावी

बरसीम ‘मसकावी’ कम पानी, कम मेहनत और कम लागत में ज्यादा फायदा देती है, जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए आदर्श है। देश में पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है, और चारा की कमी एक आम चुनौती रहती है। एनएससी की इस सस्ती पेशकश से किसान और पशुपालक साल भर चारा उत्पादन कर सकते हैं। बाजार में चारे की बढ़ती मांग और दूध की ऊंची कीमतों को देखते हुए यह वैरायटी कमाई का नया रास्ता खोल रही है।

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  • Shashikant

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