बैंगन की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है फल और तना छेदक कीट, जिसका नाम है ल्यूसिनोड्स ऑर्बोनालिस। यह कीट रात के अंधेरे में फल और तने में छेद कर देता है, जिससे फल अंदर से सड़ने लगता है और मेहनत पर पानी फिर जाता है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि कुछ आसान और किफायती तरीकों से इस कीट को काबू में किया जा सकता है। ये उपाय न सिर्फ आपकी फसल को बचाएंगे, बल्कि लागत कम रखते हुए मुनाफा भी बढ़ाएंगे।
कीटों को जाल में फंसाएं
खेत में कीटों की तादाद कम करने का सबसे आसान और पर्यावरण-अनुकूल तरीका है फेरोमोन ट्रैप। ये ट्रैप खास गंध छोड़ते हैं, जो नर कीटों को अपनी ओर खींचकर फंसा लेते हैं। प्रति एकड़ छह ट्रैप लगाने से कीटों की संख्या 70 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इसे लगाना भी आसान है बस इन्हें फसल की ऊंचाई पर लटकाएं, जहां कीट ज्यादा सक्रिय हों।
एक ट्रैप की कीमत 80-120 रुपये के बीच है, यानी पूरे खेत के लिए 500-700 रुपये का खर्च। यह छोटा सा निवेश आपकी फसल को बर्बादी से बचा सकता है। हिमाचल के एक किसान रामलाल ने बताया कि पिछले सीजन में इन ट्रैप्स ने उनकी बैंगन की फसल को पूरी तरह सुरक्षित रखा, और लागत भी जल्दी वसूल हो गई। बस, हर 15-20 दिन में ट्रैप की गंध वाले ल्यूर को बदलना न भूलें।
स्पाइनोशेड का करें छिड़काव
जब कीटों का प्रकोप बढ़ जाए, तो जैविक कीटनाशक स्पाइनोशेड आपका साथी बन सकता है। यह कीटों को तुरंत निष्क्रिय कर देता है, लेकिन फसल, मिट्टी और मधुमक्खियों जैसे परागणकर्ताओं के लिए सुरक्षित है। एक एकड़ के लिए 80 मिलीलीटर स्पाइनोशेड को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। सुबह या शाम का समय चुनें, जब हवा कम हो, ताकि दवा अच्छे से फैले। एक छिड़काव 10-15 दिन तक सुरक्षा देता है, लेकिन सात दिन बाद फसल की जांच करें। लेकिन सावधानी बरतें ज्यादा मात्रा से फल का स्वाद बिगड़ सकता है। लागत की बात करें तो एक बोतल की कीमत 600-800 रुपये है, जो दो छिड़काव के लिए काफी है।
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फसल की देखभाल
कीटों से बचाव के लिए सिर्फ दवाएं ही नहीं, खेत की देखभाल भी जरूरी है। कीटों के अंडों को खत्म करने के लिए नियमित रूप से प्रभावित फल और तनों को हटाकर नष्ट करें। खेत में साफ-सफाई रखें, क्योंकि बिखरा हुआ कचरा कीटों का घर बन सकता है। साथ ही, फसल चक्र अपनाएं हर बार बैंगन के बाद मूंग या तिल जैसी फसल बोएं, ताकि कीटों का जीवनचक्र टूटे। कृषि विशेषज्ञ संजय यादव सलाह देते हैं कि अगर आसपास नीम के पेड़ हों, तो उनके पत्तों का काढ़ा बनाकर छिड़काव करें। यह प्राकृतिक उपाय छोटे स्तर पर कारगर है और लागत भी न के बराबर।
किसानों के लिए सलाह
इन उपायों को अपनाने से पहले खेत का मुआयना करें। अगर कीटों की संख्या कम है, तो फेरोमोन ट्रैप से शुरुआत करें। ज्यादा प्रकोप पर स्पाइनोशेड का इस्तेमाल करें, लेकिन स्थानीय कृषि केंद्र से सलाह जरूर लें। सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएं, जो कीटनाशक और ट्रैप्स पर सब्सिडी देती हैं। साथ ही, बाजार में फसल बेचते समय साफ और स्वस्थ बैंगन की डिमांड ज्यादा रहती है, जिससे दाम भी अच्छा मिलता है।
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