किसान भाइयों, च्यूरा भारत के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में उगने वाला एक बेशकीमती पेड़ है। इसके बीजों से निकलने वाला घी, जिसे “वनस्पति घी” या “नैचुरल बटर” कहते हैं, सेहत और कमाई दोनों के लिए फायदेमंद है। उत्तराखंड, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश में इसकी खेती बढ़ रही है। च्यूरा घी की कीमत 800-1200 रुपये/किलो तक है, और एक एकड़ से 5-6 लाख रुपये सालाना कमाई हो सकती है। कम लागत (20,000-30,000 रुपये/एकड़) और 25-30 साल की उपज इसे किसानों के लिए सुनहरा अवसर बनाती है। आइए जानें च्यूरा की खेती कैसे करें।
च्यूरा घी की खासियत और उपयोग
च्यूरा के बीजों से निकला घी सफेद या हल्का पीला, स्वादिष्ट, और पोषक होता है। आयुर्वेद में इसे हृदय रोग, त्वचा, और पाचन के लिए उपयोगी माना जाता है। इसका उपयोग खाने, साबुन, क्रीम, मालिश तेल, और आयुर्वेदिक दवाओं में होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में इसे पारंपरिक भोजन में डाला जाता है। इसकी माँग आयुर्वेदिक कंपनियों (पतंजलि, डाबर), कॉस्मेटिक ब्रांड्स, और निर्यात बाजार (नेपाल, यूरोप) में बढ़ रही है। एक पेड़ 2-3 किलो घी देता है, जो 3000 रुपये तक की कमाई कराता है।
खेती के लिए मिट्टी और जलवायु
च्यूरा ठंडी, पहाड़ी जलवायु (500-1500 मीटर) में सबसे अच्छा उगता है, लेकिन अब मैदानी क्षेत्रों में भी खेती हो रही है। सूखी, पथरीली, या बलुई दोमट मिट्टी (pH 6-7.5) उपयुक्त है। ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, और सूखा सहन करने की क्षमता इसे खास बनाती है। जुलाई-सितंबर (मॉनसून) या फरवरी-मार्च में रोपण करें। एक एकड़ में 200 पेड़ (10×10 मीटर दूरी) लगाए जा सकते हैं। छोटे किसान बंजर जमीन या खेत के किनारे से शुरू कर सकते हैं।
रोपण और देखभाल
च्यूरा के पौधे बीज या कलम से उगाए जाते हैं। नर्सरी या वन विभाग से पौधे (20-30 रुपये/पौधा) लें। 2x2x2 फीट गड्ढों में 5 किलो गोबर खाद और 100 ग्राम नीम खली डालें। मॉनसून में रोपण करें। पहले 2 साल हर 15-20 दिन में सिंचाई करें। बाद में मॉनसून पर निर्भर रहें। साल में एक बार 5 किलो गोबर खाद प्रति पेड़ डालें। कीटों (दीमक) के लिए नीम तेल (5 मिलीलीटर/लीटर) छिड़कें। 3-4 साल में फल शुरू होते हैं। कम देखभाल में 25-30 साल उपज मिलती है।
कमाई और मुनाफे का हिसाब
एक एकड़ में 200 पौधों की लागत: पौधे (4,000-6,000 रुपये), खाद, सिंचाई (20,000-30,000 रुपये)। एक पेड़ से 5-10 किलो बीज, जिनसे 2-3 किलो घी (800-1200 रुपये/किलो) मिलता है। प्रति पेड़ 1600-3600 रुपये कमाई। 200 पेड़ों से 3.2-7.2 लाख रुपये/साल। रखरखाव (10,000 रुपये/साल) घटाकर 3-6 लाख रुपये मुनाफा। प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर मुनाफा 8-10 लाख रुपये तक बढ़ता है। बड़े स्तर (2-3 एकड़) पर 15-20 लाख रुपये सालाना कमाई संभव।
बाजार माँग और सरकारी सहायता
च्यूरा घी की माँग आयुर्वेदिक, कॉस्मेटिक, और खाद्य उद्योगों में है। उत्तराखंड, हिमाचल, नेपाल, और उत्तर-पूर्व में खपत ज्यादा है। ऑनलाइन (Amazon, IndiaMART) और स्थानीय हर्बल दुकानों में बेचें। प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर गाँव के बीज खरीदकर घी बनाएँ। वन विभाग और KVK से नर्सरी, प्रशिक्षण मिलता है। AIF योजना से 2 करोड़ तक लोन और 3% ब्याज सब्सिडी लें। FPO बनाकर सब्सिडी और मार्केटिंग आसान करें। च्यूरा की खेती पहाड़ी और मैदानी किसानों के लिए बेशकीमती खजाना है। इसकी माँग का फायदा उठाएँ और आय बढ़ाएँ।
ये भी पढ़ें – इन खास पेड़ों की खेती से बनेगा पैसा ही पैसा! फल, पत्ते, छाल और जड़ सबकी है डिमांड