Cauliflower Top 5 Varieties: फूलगोभी की टॉप 5 उन्नत किस्में जो देंगी 300 क्विंटल/हेक्टेयर तक पैदावार, किसानों की होगी बल्ले-बल्ले

Cauliflower Top 5 Varieties: सर्दियों का मौसम आते ही बाजारों में फूलगोभी की डिमांड आसमान छूने लगती है। अगर सही किस्म चुन ली तो किसान भाई कम मेहनत में तगड़ी कमाई कर सकते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी आईएआरआई ने पूसा हाइब्रिड 2, पूसा शुभ्रा, पूसा फूलगोभी हाइब्रिड-101, पूसा स्नोबॉल हाइब्रिड-1 और पूसा कार्तिकी जैसी किस्में विकसित की हैं, जो न सिर्फ ज्यादा उपज देती हैं बल्कि कम दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। ये किस्में उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी क्षेत्रों तक सफल साबित हो रही हैं। आइए जानते हैं इनकी खासियत और बुवाई का सही तरीका।

पूसा हाइब्रिड 2

यह किस्म उन किसानों के लिए वरदान है जो जल्दी बाजार में फूलगोभी भेजना चाहते हैं। रोपाई के मात्र 60 से 70 दिनों में फूल कटाई लायक हो जाते हैं। एक हेक्टेयर में 250 से 270 क्विंटल तक सफेद, भारी और चमकदार फूल मिलते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब जैसे मैदानी इलाकों में सितंबर-अक्टूबर में नर्सरी तैयार करें और अक्टूबर-नवंबर में खेत में रोपाई करें। मिट्टी अच्छी जल निकासी वाली होनी चाहिए, और हर 15 दिन में एनपीके का बैलेंस्ड स्प्रे करें। कीटों से बचाव के लिए नीम आधारित दवा का छिड़काव शुरू से करें।

पूसा शुभ्रा

अगर आपके पास समय है तो पूसा शुभ्रा चुनें। रोपाई के 90 से 120 दिनों में फूल तैयार हो जाते हैं, लेकिन उपज 270 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच जाती है। फूल बड़े, सफेद और कॉम्पैक्ट होते हैं, जो बाजार में ऊंचे दाम पाते हैं। यह किस्म मध्यम ठंड सहन करती है, इसलिए नवंबर-दिसंबर में रोपाई करें। खेत में गोबर की खाद 20 टन प्रति हेक्टेयर डालें और पोटाश पर ज्यादा जोर दें। फूलों का रंग बनाए रखने के लिए पत्तों से ढककर रखें।

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पूसा फूलगोभी हाइब्रिड-101

यह हाइब्रिड किस्म पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लिए खास तौर पर विकसित की गई है। एक फूल का वजन 600 से 650 ग्राम तक होता है, जो बाजार में प्रीमियम रेट दिलाता है। कुल उपज 18 से 19 टन प्रति हेक्टेयर रहती है। सितंबर में नर्सरी और अक्टूबर में रोपाई करें। यह किस्म हल्की ठंड में अच्छा प्रदर्शन करती है। सिंचाई हर 8-10 दिन में करें और कैल्शियम की कमी न होने दें, वरना फूलों में ब्राउन स्पॉट आ सकता है।

पूसा स्नोबॉल हाइब्रिड-1

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और एनसीआर के किसानों के लिए यह किस्म सोने से कम नहीं। ठंडे मौसम में 55 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। फूल बिलकुल सफेद और स्नोबॉल जैसे गोल होते हैं। सबसे बड़ी खासियत – काला सड़न रोग से पूरी तरह प्रतिरोधी। जुलाई-अगस्त में नर्सरी और सितंबर में रोपाई करें। ठंडी जलवायु में पत्ते खुद फूलों को ढक लेते हैं, इसलिए अलग से मेहनत नहीं करनी पड़ती। जैविक खाद का इस्तेमाल करें तो बाजार में ऑर्गेनिक टैग लगाकर दाम दोगुने हो जाते हैं।

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पूसा कार्तिकी

यह किस्म उन इलाकों के लिए है जहां तापमान 22 से 27 डिग्री सेल्सियस रहता है। रोपाई के 75-85 दिनों में तैयार हो जाती है और 25 टन प्रति हेक्टेयर उपज देती है। फूल मध्यम आकार के लेकिन स्वाद में बेहतरीन। अगस्त-सितंबर में बुवाई करें। ड्रिप सिंचाई अपनाएं तो पानी और खाद की बचत होगी। यह किस्म पत्ती माइनर कीट से कम प्रभावित होती है। फूल बनने के समय बोरॉन का स्प्रे करें तो फूलों की क्वालिटी और बढ़ जाती है।

बुवाई से कटाई तक सामान्य टिप्स

सभी किस्मों के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी चुनें। नर्सरी में बीज 400-500 ग्राम प्रति हेक्टेयर बोएं। रोपाई 45×30 सेमी की दूरी पर करें। गोबर खाद 20-25 टन, यूरिया 120 किग्रा, डीएपी 150 किग्रा और पोटाश 80 किग्रा प्रति हेक्टेयर डालें। कीटों के लिए ट्राइकोडर्मा और नीम तेल का मिश्रण छिड़कें। फूल बनते समय पत्तों से ढकें ताकि सफेदी बनी रहे। कटाई सुबह के समय करें और तुरंत बाजार भेजें। अगर स्टोर करना हो तो 0-4 डिग्री पर रखें।

किसान भाइयों, फूलगोभी की ये पांचों किस्में बाजार में साल भर डिमांड रखती हैं। सही समय पर बुवाई और थोड़ी देखभाल से 2-3 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक की कमाई पक्की। अपने इलाके के कृषि केंद्र से बीज लें और मौसम का पूर्वानुमान देखकर शुरू करें। यह सर्दी आपकी कमाई की सर्दी बनेगी।

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  • Shashikant

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