केंद्र सरकार ने जारी कीं बीएचयू की बंपर उपज देने वाली 3 नई फसल किस्में, जानें इनकी खासियत

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है। 13 मई 2025 को भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) द्वारा विकसित तीन नई फसल किस्मों को अधिसूचित और जारी किया है। इनमें दो धान की किस्में मालवीय मनीला सिंचित धान-1 और मालवीय धान 105 सब-1—तथा एक सरसों की किस्म मालवीय निधि शामिल हैं। ये किस्में किसानों की आय बढ़ाने और खेती को अधिक लाभकारी बनाने में मदद करेंगी। मालवीय मनीला सिंचित धान-1 के बीज बाजार में पहले से उपलब्ध हैं, जबकि बाकी दो किस्मों के बीज अगले साल से किसानों को मिलेंगे।

मालवीय मनीला सिंचित धान-1: कम समय, ज्यादा पैदावार

मालवीय मनीला सिंचित धान-1 को BHU और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI), मनीला के सहयोग से विकसित किया गया है। इस किस्म को जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग विभाग के प्रमुख प्रो. श्रवण कुमार सिंह की अगुआई में तैयार किया गया है। यह धान की किस्म सिर्फ 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जो इसे तेजी से उत्पादन देने वाली किस्म बनाती है।

प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल की शानदार उपज के साथ यह किसानों के लिए वरदान है। इसके दाने लंबे, पतले और प्रीमियम क्वालिटी के हैं, जो पकने पर हल्की मिठास और स्वादिष्ट स्वाद देते हैं। यह किस्म उन किसानों के लिए सबसे अच्छी है, जो कम समय में ज्यादा पैदावार और बाजार में अच्छा दाम चाहते हैं।

मालवीय धान 105 सब-1: बाढ़ में भी बचेगी फसल

मालवीय धान 105 सब-1 को BHU के प्रो. पीके सिंह और उनकी टीम ने मालवीय धान 105 का उन्नत संस्करण बनाकर तैयार किया है। इस किस्म में खास सब-1 जीन शामिल है, जो इसे 14 से 15 दिनों तक पानी में डूबे रहने की ताकत देता है। यह खासियत इसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाती है, जहाँ बारिश या बाढ़ से फसल खराब होने का खतरा रहता है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 42 से 46 क्विंटल की औसत उपज देती है। इसके चावल में हल्की सुगंध होती है, जो बाजार में अच्छी माँग रखती है। उत्तर प्रदेश के उन क्षेत्रों के किसानों के लिए यह किस्म बड़ी राहत लेकर आएगी, जहाँ बाढ़ की समस्या आम है।

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मालवीय निधि सरसों: तेल और मुनाफा दोनों

सरसों की नई किस्म मालवीय निधि को प्रो. के. श्रीवास्तव की अगुआई में विकसित किया गया है। यह किस्म 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल की औसत उपज देती है। इसके बीज काले, बोल्ड और चमकदार हैं, जिनमें 39.4% तेल की मात्रा होती है। यह उच्च तेल सामग्री इसे तेल उत्पादन के लिए बेहतरीन बनाती है, जिससे किसानों को बाजार में अच्छा दाम मिल सकता है। यह किस्म सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने का वादा करती है।

इन किस्मों की बुवाई और देखभाल

मालवीय मनीला सिंचित धान-1 और मालवीय धान 105 सब-1 को खरीफ सीजन में बोया जाता है। इनके लिए सामान्य धान की खेती की तरह खेत तैयार करें। खेत में दो बार जुताई करें और गोबर खाद या जैविक खाद डालें। मालवीय मनीला के लिए 30-35 किलो बीज प्रति हेक्टेयर और मालवीय धान 105 सब-1 के लिए 35-40 किलो बीज पर्याप्त हैं। दोनों किस्मों में हर 7-10 दिन में सिंचाई करें, लेकिन मालवीय धान 105 सब-1 बाढ़ वाले क्षेत्रों में पानी की अधिकता को सहन कर लेती है।

मालवीय निधि सरसों के लिए रबी सीजन में बुवाई करें। इसके लिए 4-5 किलो बीज प्रति हेक्टेयर और 60 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस और 20 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। सरसों की फसल में हर 15-20 दिन में हल्की सिंचाई करें। इन फसलों में कीट और रोग कम लगते हैं, लेकिन अगर जरूरत हो, तो नजदीकी कृषि केंद्र से सलाह लें।

किसानों के लिए फायदे

ये नई किस्में उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए कई तरह से फायदेमंद हैं। मालवीय मनीला सिंचित धान-1 कम समय में ज्यादा पैदावार देती है, जिससे किसान जल्दी फसल बेचकर दूसरी फसल की तैयारी कर सकते हैं। मालवीय धान 105 सब-1 बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फसल के नुकसान को रोकती है, जिससे किसानों को बारिश के मौसम में भी निश्चिंतता मिलती है। मालवीय निधि सरसों उच्च तेल सामग्री के साथ तेल मिलों और बाजार में अच्छा दाम दिलाती है। ये तीनों किस्में जलवायु परिवर्तन के असर को झेलने में सक्षम हैं, जिससे आने वाले समय में भी ये किसानों के लिए भरोसेमंद रहेंगी।

BHU का योगदान

प्रो. श्रवण कुमार सिंह बताते हैं कि BHU किसानों की भलाई के लिए लगातार काम कर रहा है। नई फसल किस्मों को विकसित करने में 12 से 15 साल लगते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन को देखते हुए BHU अब और तेजी से काम कर रहा है। ये नई किस्में न सिर्फ पैदावार बढ़ाएँगी, बल्कि किसानों की मेहनत को भी सही दाम दिलाएँगी। BHU की कोशिश है कि ऐसी और किस्में विकसित की जाएँ, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दें और पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हों।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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