किसान भाई ध्यान दें! ये धान की किस्में बना सकती हैं लाखपति, रोपाई से पहले जान लें ये एक्सपर्ट के टिप्स

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, और यहाँ की मिट्टी व मौसम धान की खेती के लिए बहुत अनुकूल हैं। खरीफ का सीजन नजदीक है, और मेहनती किसान अपने खेतों की तैयारी में जुटे हैं। लेकिन सवाल ये है कि ऐसी कौन सी धान की किस्में हैं जो कम समय में ज्यादा पैदावार दें और रोगों से भी फसल को बचाएँ? छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी धान की किस्मों और खेती के देसी तरीकों की सलाह दी है, जो किसानों की मेहनत को दोगुना फल दे सकती हैं।

वैज्ञानिक सलाह से बनाएँ खेती को आसान

रायपुर की इंदिरा गांधी कृषि यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हर साल किसानों के लिए नई और उपयोगी सलाह लाते हैं। इस बार बिलासपुर के ठाकुर बैरिस्टर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. दिनेश पांडे ने कुछ ऐसी धान की किस्मों का जिक्र किया है, जो ज्यादा पैदावार देती हैं और सूखा व रोगों से भी लड़ सकती हैं। ये किस्में छत्तीसगढ़ की मिट्टी और मौसम को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं, ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो।

राजेश्वरी: स्वाद और पैदावार का बेहतरीन मेल

अगर ऐसी धान की किस्म चाहिए जो स्वाद में लाजवाब हो और पैदावार में भी कमाल करे, तो राजेश्वरी (IGKV R-1) एकदम सही है। ये मध्यम अवधि की किस्म है, यानी फसल तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता। इसका चावल इतना स्वादिष्ट होता है कि बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। कई गाँवों में किसान बताते हैं कि राजेश्वरी ने उनकी आमदनी को बढ़ाने में बड़ी मदद की है।

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महामाया: सुगंधित चावल, बाजार में बड़ी मांग

महामाया (IGKV R-2) एक ऐसी किस्म है, जिसके चावल की खुशबू आसपास के गाँवों तक फैलती है। आजकल बाजार में सुगंधित चावल की मांग बहुत बढ़ गई है, और महामाया इस मामले में सबसे आगे है। ये किस्म अच्छी पैदावार देती है और इसका चावल बेचने पर अच्छा दाम मिलता है। अगर खेती में कुछ नया आजमाने का मन है, तो महामाया जरूर चुनें।

छत्तीसगढ़ सादा: कम समय में ज्यादा फायदा

कई बार गाँवों में पानी की कमी या छोटे खेतों की वजह से किसानों को ऐसी फसल चाहिए होती है, जो जल्दी तैयार हो और कम संसाधनों में अच्छा रिजल्ट दे। इसके लिए छत्तीसगढ़ सादा (IGKV R-3) बहुत अच्छी किस्म है। ये कम समय में तैयार होती है और सूखे की मार को भी झेल सकती है। जिन किसानों के पास पानी कम है, उनके लिए ये किस्म वरदान साबित हो सकती है।

राजेश्री और भाटापारा: रोगों से लड़ने में माहिर

फसल में रोग लगने का डर रहता है, तो राजेश्री (IGKV R-4) को आजमाएँ। ये किस्म रोगों से लड़ने में माहिर है और साथ ही अच्छी पैदावार भी देती है। इसके अलावा भाटापारा-1 और भाटापारा-2 जैसी किस्में भी छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। ये किस्में मिट्टी और मौसम के हिसाब से शानदार रिजल्ट देती हैं और मुनाफा बढ़ाती हैं।

खेत की तैयारी के पुराने देसी नुस्खे

अच्छी फसल के लिए सिर्फ बीज ही नहीं, खेत की तैयारी भी बहुत मायने रखती है। खरीफ सीजन से पहले खेत को अच्छे से जोत लें और पुरानी फसल के अवशेष हटा दें। अगर गोबर की खाद या जैविक खाद डाल सकें, तो फसल और बेहतर होगी। बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना न भूलें, ताकि रोगों का खतरा कम हो। वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि बुवाई का सही समय जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई के पहले हफ्ते तक है, ताकि बारिश का पूरा फायदा मिले।

वैज्ञानिक तरीकों से बढ़ाएँ मुनाफा

छत्तीसगढ़ में धान की खेती किसानों की रीढ़ है। अगर वैज्ञानिक तरीकों को पुराने देसी अनुभवों के साथ मिला लिया जाए, तो पैदावार भी बढ़ेगी और मुनाफा भी। मिसाल के तौर पर, कम पानी में खेती के लिए ड्रिप इरिगेशन या SRI (सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन) जैसे तरीके आजमाए जा सकते हैं। ये तरीके पानी बचाते हैं और फसल को बढ़ाते हैं। गाँव के कई किसान इन तरीकों से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

मौसम की चुनौतियों

आजकल मौसम का मिजाज बदल रहा है। कभी कम बारिश, तो कभी ज्यादा। ऐसे में ऐसी धान की किस्में चुनें जो इन मुश्किलों का सामना कर सकें। छत्तीसगढ़ सादा और राजेश्री जैसी किस्में इस मामले में बहुत मददगार हैं। साथ ही, खेत में पानी का ठहराव न होने दें, वरना फसल को नुकसान हो सकता है। गाँव के अनुभवी किसान बताते हैं कि खेत के किनारे छोटी-छोटी नालियाँ बना देने से पानी का निकास आसान हो जाता है।

वैज्ञानिकों की सलाह

वैज्ञानिक कहते हैं कि खेती को सिर्फ मेहनत का काम न समझें, इसे स्मार्ट बनाएँ। सही बीज चुनें, खेत की समय पर तैयारी करें, और वैज्ञानिक सलाह को अपने अनुभव के साथ मिलाएँ। अगर बीज या खेती के तरीकों के बारे में और जानना हो, तो नजदीकी कृषि केंद्र या विश्वविद्यालय से संपर्क करें। वहाँ के वैज्ञानिक हर सवाल का जवाब देंगे।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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