Clove Farming in Hindi: मेहनती किसान भाइयों अगर आप परंपरागत फसलों जैसे गेहूं-धान से हटकर लंबे समय तक मुनाफा देने वाली खेती की तलाश में हैं, तो लौंग की खेती आपके लिए सुनहरा मौका है। लौंग एक ऐसी नकदी फसल है, जिसकी बाजार में कीमत इन दिनों 90 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच रही है। सालभर इसकी डिमांड रहती है, और यूपी-बिहार जैसे इलाकों में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है।
एक बार पौधा लगाने के बाद ये सालों तक – यहाँ तक कि 150 साल तक – पैदावार देता है। प्रति एकड़ 2 से 2.5 लाख रुपये सालाना कमाई का रास्ता खोलता है। आइए, इसे समझें और जानें कि लौंग की खेती कैसे करें।
लौंग की खेती क्या है: मसाले का सोना
लौंग एक मसाला फसल है, जिसे मसाले की दुनिया में सोना कहा जा सकता है। इसके छोटे-छोटे फल खाने को स्वाद और सुगंध से भर देते हैं। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में सर्दी-जुकाम के लिए काढ़े में डाला जाता है। आयुर्वेदिक दवाइयों, टूथपेस्ट, दर्दनाशक, और कीटाणुनाशक दवाओं में भी इसका खूब इस्तेमाल होता है।
पूजा-हवन में भी लौंग की खुशबू बिखरती है। ये एक सदाबहार पौधा है, जो एक बार लगाने के बाद कई पीढ़ियों तक फायदा देता है। बाजार में इसकी ऊँची कीमत और मांग इसे मुनाफे की खेती बनाती है। यूपी-बिहार के किसानों के लिए ये खेती आसान और फायदेमंद हो सकती है।
लौंग के लिए सही माहौल- Clove Farming in Hindi
लौंग की खेती के लिए सही जलवायु और मिट्टी का चयन बहुत जरूरी है। ये पौधा उष्ण कटिबंधीय और गर्म-नम मौसम में अच्छा बढ़ता है। बारिश का मौसम इसके लिए बेस्ट है, लेकिन तेज धूप और सर्दी इसे सहन नहीं होती। 30-35 डिग्री तापमान इसके विकास के लिए शानदार है, और 10 डिग्री से कम तापमान में ये मुरझा सकता है।
मिट्टी बलुई दोमट होनी चाहिए, जिसमें नमी अच्छी बनी रहे। जलभराव वाली जगह से बचें, वरना पौधे खराब हो सकते हैं। मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। यूपी-बिहार के कई इलाकों में ऐसी मिट्टी और मौसम मिल सकता है, बस थोड़ी देखभाल चाहिए।
खेत की तैयारी
लौंग की खेती कैसे करें (Clove Farming in Hindi), इसका पहला कदम खेत की तैयारी है। खेत की दो-तीन बार गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और पुरानी फसल के अवशेष-कीट नष्ट हो जाएँ। रोटावेटर का इस्तेमाल करें, इससे मेहनत कम लगती है। जुताई के बाद खेत को पाटा लगाकर समतल करें।
जलनिकासी का सही इंतजाम करें, क्योंकि लौंग को जलभराव बिल्कुल पसंद नहीं। फिर 15-20 फीट की दूरी पर 1 मीटर चौड़े और डेढ़-दो फीट गहरे गड्ढे बनाएँ। हर गड्ढे में 15-20 किलो पुरानी गोबर खाद और 100 ग्राम एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) डालें। मिट्टी डालकर हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी बैठ जाए। ये तैयारी पौधों को मजबूत शुरुआत देगी।
पौधों की तैयारी और बुवाई- Clove Farming in Hindi
लौंग की बुवाई के लिए बीज या तैयार पौधे दोनों इस्तेमाल कर सकते हैं। बीज से पौध तैयार करने के लिए लौंग के पके फल इकट्ठे करें। इन बीजों को रातभर पानी में भिगोएँ और फली हटाकर बोएँ। बीजों को बुवाई से पहले ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें ताकि फफूंद न लगे। नर्सरी में 10 सेमी की दूरी पर बीज बोएँ, लेकिन इसमें 2 साल लगते हैं।
समय बचाने के लिए सरकारी नर्सरी से तैयार पौधे खरीदें। मई-जून (बारिश का मौसम) बुवाई के लिए बेस्ट है, क्योंकि नमी और छाया पौधों को तेजी से बढ़ाती है। तैयार गड्ढों में छोटा गड्ढा बनाकर पौधे लगाएं और मिट्टी से ढक दें। यूपी-बिहार में खेती के लिए मिश्रित खेती (नारियल या अखरोट के साथ) भी आजमा सकते हैं।
देखभाल और सिंचाई
लौंग की खेती में देखभाल का खास ध्यान रखें। रोपाई के बाद पहली सिंचाई तुरंत करें। बारिश में पानी की कम जरूरत होती है, लेकिन गर्मी में हफ्ते में एक बार और सर्दी में 15-20 दिन में पानी दें। जलभराव से बचें। शुरू में कम खाद चाहिए – हर गड्ढे में 15-20 किलो गोबर खाद और 100 ग्राम एनपीके डालें। जैसे-जैसे पौधा बढ़े, खाद की मात्रा बढ़ाएं। खाद डालने के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि पोषण जड़ों तक पहुँचे। छायादार जगह बनाएँ – नारियल या बांस के पेड़ों का सहारा लें। खरपतवार को समय-समय पर निकालें। ये प्यार पौधों को सालों तक तैयार रखेगा।
फसल को रखें सुरक्षित
लौंग की फसल में रोग और कीटों से बचाव भी जरूरी है। प्रमुख रोग पत्ती धब्बा (लीफ स्पॉट) है, जिसमें पत्तियों पर भूरे धब्बे बनते हैं। इसके लिए जैविक उपाय में नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। रासायनिक दवा में मैन्कोजेब (2 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। प्रमुख कीट बड बोरर है, जो कलियों को नुकसान पहुँचाता है। गोमूत्र (10 मिली प्रति लीटर) या नीम तेल छिड़कें। रासायनिक तौर पर इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली प्रति लीटर) इस्तेमाल करें। ये उपाय आपकी फसल को लू और कीटों से बचाएंगे।
कटाई और पैदावार
लौंग की खेती में रोपाई के 4-5 साल बाद पैदावार शुरू होती है। फल गुच्छों में लगते हैं और गुलाबी रंग के होते हैं। फूल खिलने से पहले हरी-लाल कलियाँ तोड़ लें। सूखने पर ये लौंग का रूप लेती हैं। शुरुआत में पैदावार कम होती है, लेकिन पूर्ण विकसित पौधा प्रति साल 2-3 किलो लौंग देता है। एक एकड़ में 100-150 पौधे लगा सकते हैं, यानी 200-450 किलो लौंग। बाजार में 90,000 रुपये प्रति क्विंटल (900 रुपये प्रति किलो) के हिसाब से 1,80,000-4,05,000 रुपये की कमाई। लागत 50,000-70,000 रुपये सालाना, तो मुनाफा 2-2.5 लाख रुपये प्रति एकड़। ये लंबे समय तक मुनाफा देती है।
कई किसानों से बात करके पता चला कि लौंग की खेती (Clove Farming in Hindi) उनकी मेहनत को सालों तक फायदा दे रही है। एक भाई ने बताया कि उसने 5 साल पहले 50 पौधे लगाए, और अब हर साल 2 लाख की कमाई हो रही है। दूसरा बोला कि बारिश में बुवाई और छाया से उसकी फसल तेजी से बढ़ी। यूपी-बिहार के किसानों के लिए ये फसल आसान और फायदेमंद है। इसे आजमाइए, और देखिए कैसे एक बार की मेहनत सालों तक कमाई देती है।
ये भी पढ़ें- अब किसान भी बन सकते हैं करोड़पति! इलायची की खेती से होगा तगड़ा मुनाफा, जानें पूरा तरीका और जरूरी टिप्स