Cotton Farming Tips : किसान भाइयों, इस बार कपास बोने का मन है तो कान खोलकर सुन लीजिए। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कपास वैज्ञानिक कहते हैं कि अप्रैल में बुवाई से पहले खेत की मिट्टी की जाँच कर लीजिए। रिपोर्ट देखकर ही डीएपी और यूरिया डालिए, वरना मेहनत बेकार हो सकती है। सही तरीके से खेती करिए, तो कपास लहराएगी और जेब भी भरेगी। चलिए, इसकी सारी बातें खोलते हैं।
बुवाई का सुनहरा वक्त
कपास के लिए 15 अप्रैल से मई तक का समय सबसे शानदार है। वैज्ञानिक चेता रहे हैं कि जून में बुवाई मत करिए। जून की गर्मी और बरसात फसल को चौपट कर सकती है। कीटों का डर भी बढ़ेगा, और पैदावार घटेगी। अप्रैल में देसी कपास बोइए, और मई तक बीटी नरमा लगा लीजिए। सही टाइमिंग से फसल की नींव मजबूत होगी।
खेत तैयार करने का जुगाड़
बुवाई से पहले खेत को गहरा पलेवा दीजिए, ताकि मिट्टी नम और ढीली हो जाए। सुबह या शाम को बीज बोइए, दोपहर की तपन पौधों को झुलसा सकती है। खरपतवार को जड़ से उखाड़ फेंकिए। टपका (ड्रिप) विधि से बीटी नरमा बो रहे हैं, तो बीज जमने तक हर सुबह-शाम 10-15 मिनट ड्रिप चलाइए। जमाव के बाद हर चौथे दिन 30-35 मिनट पानी दीजिए। देसी कपास के लिए एक एकड़ में 15 किलो यूरिया और 10 किलो जिंक सल्फेट डालिए।
वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना जाँच खाद डालना पैसा डुबोने जैसा है। हर खेत की मिट्टी की अपनी कहानी होती है। कहीं नाइट्रोजन कम है, कहीं जिंक की कमी। मिट्टी टेस्ट कराइए, जो चाहिए वही डालिए। गाँव के कृषि केंद्र पर सैंपल दीजिए, दो-चार दिन में रिपोर्ट आ जाएगी। इस छोटे कदम से फसल की ताकत दोगुनी हो सकती है।
कीटों से देखभाल
शुरुआती दिनों में जहरीले कीटनाशकों से बचिए। वैज्ञानिक बताते हैं कि शुरू में कीटनाशक डाला तो फसल के दोस्त कीट भी मर जाएँगे। ये दोस्त कीट गुलाबी सुंडी जैसे दुश्मनों को खा जाते हैं। नीम का तेल या जैविक तरीके यूज करिए। कीटनाशक तभी छिड़किए, जब मजबूरी हो। फसल को नेचुरल ढंग से बढ़ने दीजिए, फायदा आपके हाथ में होगा।
फर्जी बीजों का झाँसा मत खाओ
बाजार में कुछ कम्पनियाँ 3G, 4G, 5G नाम से बीज बेच रही हैं, कहती हैं कि गुलाबी सुंडी नहीं लगेगी। मगर सच ये है कि बीटी कॉटन का कोई बीज गुलाबी सुंडी से पूरी तरह नहीं बचाता। वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं – इनके चक्कर में मत पड़िए। सर्टिफाइड बीज लीजिए। खेत में जाल लगाइए, और रोज नजर रखिए। अपनी मेहनत से फसल को संभालिए।
फसल को ताकत देने का तरीका
पलेवा के बाद मिट्टी को ढीला कर लीजिए। बुवाई 60×30 सेमी दूरी पर करिए। ड्रिप के साथ हल्की खाद डालते रहिए। खरपतवार साफ रखिए, ताकि पौधों को पूरा खुराक मिले। गर्मी ज्यादा हो तो पुआल से हल्की छाया करिए। 60-70 दिन में फूल आएँगे, तब कीटों पर पैनी नजर रखिए। सही देखभाल से कपास का ढेर लगेगा।
फसल से जेब तक का रास्ता
एक एकड़ में 8-10 क्विंटल कपास हो सकती है। बाजार में 5,000 रुपये क्विंटल भी मिले, तो 40,000-50,000 रुपये कमाई। खर्च 15,000-20,000 मान लीजिए, तो 25,000-30,000 बचत। जून में बोया तो 2-3 क्विंटल कम होगा। सही वक्त पर बोई फसल मंडी में दाम लाएगी। कोल्ड स्टोरेज का जुगाड़ कर लीजिए, दाम और बढ़ सकता है।
तो भाइयों, अप्रैल में मिट्टी की जाँच कराइए, 15 अप्रैल से बुवाई शुरू करिए। फर्जी बीजों से बचिए, कीटनाशक सोच-समझकर यूज करिए। खेत तैयार करिए, और कपास से फायदा बटोरिए। मेहनत आपकी, कमाई पक्की!
ये भी पढ़ें- चपाता मिर्च की खेती से करें ₹2 लाख तक की कमाई, मिठाई और कॉस्मेटिक्स में जबरदस्त डिमांड!