Dhaan Roapai Ke Baad Kalle Badhane Ka Upay
: धान की रोपाई के बाद कल्ले बढ़ाना हर किसान का सपना होता है, क्योंकि यही कल्ले फसल की पैदावार तय करते हैं। लेकिन रोपाई के बाद अगर कल्ले कमजोर या कम निकलें, तो मुनाफा कम हो जाता है। अपनी फसल को मजबूत करने का। इस लेख में हम केवल धान रोपाई के बाद कल्ले बढ़ाने के लिए खास उपाय, टॉनिक, खाद, दवाओं, और घरेलू तरीकों के बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आपकी मेहनत सोने की बारिश में बदल जाए।
कल्ले क्यों जरूरी हैं और रोपाई के बाद क्या होता है?
धान रोपाई के बाद कल्ले वो शाखाएँ हैं, जो मुख्य तने से निकलकर बालियाँ पैदा करती हैं। एक स्वस्थ पौधे में 10-15 कल्ले होने चाहिए, जो प्रति हेक्टेयर 40-50 क्विंटल तक पैदावार दे सकते हैं। रोपाई के बाद पहला हफ्ता अहम होता है, जब पौधे जड़ें जमाते हैं और कल्ले निकलने शुरू होते हैं। बरसात की नमी से ग्रोथ तेज होती है, लेकिन खरपतवार, कीट, या पोषक तत्वों की कमी से कल्ले कमजोर पड़ सकते हैं। इसलिए रोपाई के बाद सही टॉनिक, खाद, और दवाओं का इस्तेमाल जरूरी है।
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टॉनिक और खाद से कल्लों की ग्रोथ
रोपाई के बाद कल्ले बढ़ाने के लिए टॉनिक और खाद का सही इस्तेमाल करो:
Gibberellic Acid (GA3 0.001%): पौधों की लंबाई, कल्लों की संख्या, और जड़ विकास बढ़ाता है। डोज़: 1 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। समय: रोपाई के 15-20 दिन बाद।
Multi Micronutrient Liquid (जैसे Agromin, Multiplex): पौधे को ज़रूरी सूक्ष्म पोषक तत्व (Fe, Zn, Mn, Cu आदि) देता है, जो कल्लों को बढ़ाता है। डोज़: 2-3 ml प्रति लीटर पानी में। समय: रोपाई के 20-25 दिन बाद स्प्रे करें।
Nitrogen Source (Urea या DAP): कल्ला बढ़ाने में नाइट्रोजन का सबसे बड़ा रोल होता है। डोज़: रोपाई के 20 दिन बाद 35-40 किलो यूरिया प्रति एकड़, पानी सुखाकर हल्का पानी लगाएँ। DAP (18:46:0) को 20 किलो/एकड़ 25 दिन बाद डालें।
PGR Combo (जैसे Vamoz Gold, Booster-X, Amrutha): ये टॉनिक PGR (Plant Growth Regulator) होते हैं, जो टिलरिंग और शाखाएँ बढ़ाते हैं। डोज़: कंपनी अनुसार (आमतौर पर 3-5 ml प्रति लीटर)। समय: 15-25 दिन के बीच छिड़काव करें। बरसात में इनका छिड़काव सुबह या शाम को करें, ताकि बारिश धो न ले। खाद को जड़ों के पास 5-7 सेमी गहराई पर डालकर मिट्टी से ढक दें।
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दवाओं से कीट-रोग से बचाव
कल्ले बढ़ाने के लिए पौधों को कीट और रोगों से बचाना जरूरी है। इस्तेमाल करें:
नीम तेल: स्टेम बोरर और ब्राउन प्लांट हॉपर से बचाव के लिए। डोज़: 2 मिली/लीटर पानी में। समय: रोपाई के 15-20 दिन बाद।
मैनकोजेब: पत्तियों पर पीले धब्बे या सड़न से बचाने वाला फफूंदनाशक। डोज़: 2 ग्राम/लीटर पानी में। समय: लक्षण दिखने पर या 20-25 दिन बाद।
इमिडाक्लोप्रिड: कीट नियंत्रण के लिए। डोज़: 0.5 मिली/लीटर पानी में। समय: 10-15 दिन के अंतराल पर जरूरत पड़ने पर। बरसात में ज्यादा नमी से बचाव के लिए ऊँचे बेड बनाएँ और दवाओं का छिड़काव हल्की हवा में करें, ताकि असर बना रहे।
घरेलू और जैविक उपाय
अगर आप प्राकृतिक तरीका पसंद करते हैं, तो ये आजमाएँ:
गोमूत्र + जड़ी-बूटी अर्क या जीवामृत: पौधे की ग्रोथ और मिट्टी की सेहत बढ़ाता है। डोज़: 10-15 लीटर/हेक्टेयर। समय: रोपाई के 15-20 दिन बाद छिड़काव।
गुड़ + बेसन का घोल: beneficial microbes को बढ़ाता है, जो कल्लों की ग्रोथ में मदद करता है। डोज़: 5 किलोग्राम गुड़ + 5 किलोग्राम बेसन को 200 लीटर पानी में मिलाकर। समय: 20-25 दिन बाद स्प्रे करें। इनका इस्तेमाल सुबह के वक्त करें और खेत को हल्का नम रखें, ताकि माइक्रोब्स सक्रिय रहें।
पानी और खरपतवार का प्रबंधन
रोपाई के बाद कल्ले बढ़ाने के लिए पानी का संतुलन जरूरी है। पहले 10 दिन 2-3 सेमी पानी रखें, फिर 5-7 सेमी बनाए रखें। बरसात में अतिरिक्त पानी नालियों से निकालें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए पेंडीमेथलीन (3 लीटर/हेक्टेयर) का 15-20 दिन बाद छिड़काव करें या गुड़ाई करें। हफ्ते में एक बार खरपतवार हटाएँ, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले। साफ खेत में टॉनिक और खाद का असर दोगुना हो जाता है।
रोपाई के बाद Gibberellic Acid, Urea, मैनकोजेब, और गोमूत्र जैसे उपायों से कल्लों की संख्या 10-15 तक पहुँच सकती है, जो प्रति हेक्टेयर 40-50 क्विंटल पैदावार देगी। 2025-26 में यह तकनीक बिहार, पश्चिम बंगाल, और असम जैसे राज्यों में धान की पैदावार को बढ़ा सकती है। सरकार की सब्सिडी, जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, से यूरिया और DAP पर 50% तक की मदद मिलती है। धान रोपाई के बाद इन टॉनिक, खाद, और दवाओं को अपनाकर आप कल्लों को बढ़ा सकते हैं। जुलाई से शुरू करें और अपने खेत को सोने का खजाना बनाएँ!
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