Dhan Ki Bichai Me Biofertilizer Ka upyog: धान की बुआई का समय आते ही किसान सबसे पहले यूरिया का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ज्यादा यूरिया फसल को फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाता है। खासकर मिट्टी की उर्वरता धीरे-धीरे कम होती जाती है, जिससे लंबे समय में फसल की पैदावार प्रभावित होती है। आज जब जैविक खेती की ओर रुझान बढ़ रहा है, बायोफर्टिलाइज़र किसानों के लिए एक सस्ता, टिकाऊ, और मिट्टी के लिए फायदेमंद विकल्प बनकर सामने आया है।
ये न सिर्फ फसल को जरूरी पोषक तत्व देता है, बल्कि मिट्टी को स्वस्थ और उपजाऊ भी रखता है। इस लेख में बायोफर्टिलाइज़र क्या है, धान की खेती में इसका सही इस्तेमाल कैसे करें, और यूरिया के विकल्प क्या हैं, इसके बारे में बताया गया है।
बायोफर्टिलाइज़र
बायोफर्टिलाइज़र जैविक तत्व हैं, जिनमें छोटे-छोटे सूक्ष्मजीव होते हैं। ये सूक्ष्मजीव मिट्टी में जाकर नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश जैसे जरूरी पोषक तत्वों को पौधों के लिए आसानी से उपलब्ध कराते हैं। इससे फसल की जड़ें मजबूत होती हैं, पौधे स्वस्थ रहते हैं, और पैदावार बढ़ती है। बायोफर्टिलाइज़र का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखता है, जबकि यूरिया जैसे रासायनिक खाद मिट्टी को धीरे-धीरे कमजोर करते हैं। साथ ही, ये जैविक खेती को बढ़ावा देता है और लागत भी कम करता है।
धान की बुआई में बायोफर्टिलाइज़र का इस्तेमाल
धान की खेती में बायोफर्टिलाइज़र का सही इस्तेमाल फसल की पैदावार बढ़ाने और यूरिया की जरूरत कम करने का आसान तरीका है। इसे अलग-अलग चरणों में इस्तेमाल किया जा सकता है। बुआई से पहले बीजों को अजोटोबैक्टर, एजोस्पिरिलम, या फॉस्फेट सोल्यबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) जैसे बायोफर्टिलाइज़र से उपचारित करें। इससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और जड़ें मजबूत बनती हैं।
बिचड़े लगाने से पहले पौधों की जड़ों को बायोफर्टिलाइज़र के घोल में 20 से 30 मिनट तक डुबोएं। ये तरीका पौधों की शुरुआती बढ़ोतरी में मदद करता है और पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाता है। फसल के 25 से 30 दिन बाद, जब पौधे बढ़ रहे हों, बायोफर्टिलाइज़र के घोल को सिंचाई के पानी के साथ खेत में डालें। इससे यूरिया की जरूरत काफी हद तक कम हो जाती है।
बायोफर्टिलाइज़र के प्रकार और उनके फायदे
बायोफर्टिलाइज़र कई प्रकार के होते हैं, और हर एक का अपना खास फायदा है। अजोटोबैक्टर हवा से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में जमा करता है, जो पौधों की बढ़ोतरी के लिए जरूरी है। एजोस्पिरिलम जड़ों को मजबूत करता है और पौधों को ताकत देता है। फॉस्फेट सोल्यबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) मिट्टी में मौजूद फॉस्फोरस को घुलनशील बनाता है, जो जड़ों के विकास के लिए बहुत जरूरी है। कैलीस्पेरिलम (KSB) पोटाश को उपलब्ध कराता है, जिससे धान के दानों की गुणवत्ता बढ़ती है। ट्रायकोडर्मा एक रोगनिरोधक बायोफर्टिलाइज़र है, जो जड़ सड़न जैसे रोगों से फसल को बचाता है। इनका सही इस्तेमाल करने से फसल स्वस्थ रहती है और पैदावार में इजाफा होता है।
यूरिया के बजाय ये विकल्प अपनाएं
यूरिया पर पूरी तरह निर्भरता कम करने के लिए जैविक और प्राकृतिक विकल्पों का इस्तेमाल किया जा सकता है। वर्मीकम्पोस्ट और गोबर की खाद मिट्टी को पोषक तत्व देती हैं और उसकी संरचना को बेहतर बनाती हैं। नीम की खली न सिर्फ पोषण देती है, बल्कि कीटों से भी बचाव करती है। पंचगव्य और जीवामृत का छिड़काव फसल को प्राकृतिक रूप से ताकत देता है। बीजों को बोने से पहले बीजामृत से उपचार करने से अंकुरण बेहतर होता है। फार्म यार्ड मैन्योर (FYM) भी मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का पुराना और भरोसेमंद तरीका है। इन विकल्पों के साथ बायोफर्टिलाइज़र का इस्तेमाल करने से न सिर्फ पैदावार बनी रहती है, बल्कि खेती की लागत में भी भारी कमी आती है।
बायोफर्टिलाइज़र इस्तेमाल करने की सावधानियां
बायोफर्टिलाइज़र का सही फायदा लेने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इन्हें हमेशा ठंडी और छायादार जगह पर रखें, क्योंकि धूप या गर्मी से इनके सूक्ष्मजीव नष्ट हो सकते हैं। बायोफर्टिलाइज़र को रासायनिक कीटनाशकों या खाद के साथ मिलाकर इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे इनका असर कम हो सकता है। हमेशा भरोसेमंद कंपनी का बायोफर्टिलाइज़र खरीदें और उसकी एक्सपायरी डेट जरूर जांच लें। सही मात्रा और समय पर इस्तेमाल करने से ये यूरिया की तुलना में कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं।
जैविक खेती का नया रास्ता
बायोफर्टिलाइज़र धान की खेती में यूरिया की जरूरत को कम करने और मिट्टी की सेहत को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है। ये न सिर्फ लागत घटाता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखता है। जैविक खेती की ओर बढ़ते कदमों में बायोफर्टिलाइज़र एक मजबूत साथी है। धान की बुआई के समय इसका सही इस्तेमाल करके किसान न सिर्फ अपने खेत को स्वस्थ रख सकते हैं, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग से संपर्क करके बायोफर्टिलाइज़र की सही जानकारी और उपलब्धता के बारे में पता किया जा सकता है।
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