धान में बाली कान्डुक रोग दिखते ही डालें ये चमत्कारी दवा, पैदावार होगी रिकॉर्ड तोड़

इस साल अच्छी बारिश के कारण किसानों की धान की फसल समय से पहले तैयार हो गई है। खरीफ सीजन में धान प्रमुख फसल होती है और बड़े पैमाने पर किसान इसे उगाते हैं। लेकिन बालियां निकलते ही धान के खेतों में एक खतरनाक रोग फैलने लगा है, जिसे कांडुक रोग या स्थानीय भाषा में मछिया रोग कहा जाता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह रोग धान की पैदावार को 30 से 40 प्रतिशत तक घटा सकता है।

कैसे फैलता है कांडुक रोग

हजारीबाग के आईसीआर गोरिया करमा के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आर.के. सिंह बताते हैं कि जैसे ही धान की बालियां निकलती हैं, इस रोग के लक्षण दिखने लगते हैं। शुरुआत में यह रोग छोटे क्षेत्र में दिखाई देता है, लेकिन धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है। प्रभावित बालियों में दाने नहीं बनते और यदि बन भी जाएं तो उनका वजन सामान्य से काफी कम होता है। यह रोग हवा के माध्यम से तेजी से एक खेत से दूसरे खेत में फैलता है, इसलिए किसानों को शुरुआत में ही सतर्क रहने की जरूरत है।

धान में बाली कान्डुक रोग दिखते ही डालें ये चमत्कारी दवा, पैदावार होगी रिकॉर्ड तोड़

लक्षण कैसे पहचानें

इस रोग से प्रभावित बालियों में सबसे पहले नारंगी और काले रंग का फफूंद दिखाई देता है। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, दानों से पीले और काले रंग का पाउडर निकलने लगता है। हाइब्रिड किस्मों की धान पर इसका असर ज्यादा देखा गया है। खासकर उन खेतों में जहां नाइट्रोजन खाद का अधिक उपयोग किया गया है, वहां यह रोग तेजी से फैलता है।

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फसल पर असर

कांडुक रोग का सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। धान की बालियों में दाने नहीं बनते, जिससे किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है। अनुमान है कि इस रोग के कारण पैदावार में 30 से 40 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। यही नहीं, बची हुई बालियों का वजन भी सामान्य से कम होता है, जिससे बाजार में उनकी कीमत घट जाती है।

बचाव और दवा का उपयोग

डॉ. आर.के. सिंह बताते हैं कि जैसे ही इस रोग के शुरुआती लक्षण दिखें, उसी समय इसका उपचार करना जरूरी है। देर करने पर यह पूरे खेत को अपनी चपेट में ले लेता है। इस रोग को रोकने के लिए प्रोपिकोनाज़ोल 25% की दवा का छिड़काव प्रभावी माना गया है। 100 से 150 मिलीग्राम दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करने से रोग का असर काफी हद तक कम हो जाता है और फसल सुरक्षित रहती है।

किसानों के लिए सलाह

धान की फसल में कांडुक रोग से बचने के लिए किसानों को समय-समय पर खेत का निरीक्षण करना चाहिए। नाइट्रोजन खाद का संतुलित उपयोग करें और जैसे ही रोग के लक्षण दिखें, तुरंत विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार दवा का छिड़काव करें। समय पर कदम उठाने से फसल की पैदावार को बचाया जा सकता है और नुकसान कम किया जा सकता है।

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  • Shashikant

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