धान की नर्सरी लगाते समय कितनी खाद डालें, कि पौधा करे जबरदस्त ग्रोथ, हो बम्पर उत्पादन

धान भारत की सबसे महत्वपूर्ण खरीफ फसल है, जो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और बिहार जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। धान की अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का स्वस्थ और मजबूत होना जरूरी है। नर्सरी में सही खाद का उपयोग पौधों की जड़ों को मजबूत करता है, पीलापन रोकता है, और रोपाई के बाद बेहतर कल्ले बनाता है। सही खाद और वैज्ञानिक प्रबंधन से पौधे घने, चमकदार, और रोग-मुक्त रहते हैं। यह लेख गाँव के किसानों को धान की नर्सरी में जैविक और रासायनिक खाद के उपयोग की पूरी जानकारी देगा, ताकि आप कम लागत में स्वस्थ पौधे तैयार कर सकें और बंपर पैदावार पाएँ।

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धान की नर्सरी में खाद क्यों जरूरी है?

धान की नर्सरी में खाद पौधों को आवश्यक पोषक तत्व, जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, और सूक्ष्म पोषक तत्व (जस्ता, सल्फर), प्रदान करती है। ये तत्व जड़ों के विकास, पत्तियों की वृद्धि, और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। बिना खाद के पौधे कमजोर, पीले, और रोगग्रस्त हो सकते हैं, जिससे रोपाई के बाद पैदावार 20-30% तक कम हो सकती है। जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद और नीम खली, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, जबकि रासायनिक खाद, जैसे यूरिया और DAP, त्वरित पोषण देती हैं। सही समय पर संतुलित खाद का उपयोग नर्सरी को हरी-भरी और रोपाई के लिए तैयार करता है।

खाद की मात्रा और समय

धान की नर्सरी में खाद की मात्रा और समय का विशेष ध्यान रखें, ताकि पौधे स्वस्थ रहें। प्रति 1000 वर्ग मीटर (लगभग 1/4 एकड़) नर्सरी क्षेत्र के लिए निम्नलिखित खाद प्रबंधन अपनाएँ:

खेत की तैयारी के समय, 10 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद या 5 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएँ। इसके साथ 2.5 किलो नीम खली और 2.5 किलो जिंक सल्फेट डालें। बुवाई से पहले 10 किलो DAP और 3 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश मिट्टी में मिलाएँ। DAP जड़ों के विकास को बढ़ावा देता है, जबकि पोटाश पौधों को मजबूती देता है। बुवाई के 10-15 दिन बाद, जब पौधे 2-3 पत्तियों के हो जाएँ, 10 किलो यूरिया डालें। यदि पौधों में पीलापन दिखे, तो 7 दिन बाद फिर से 10 किलो यूरिया डालें। रोपाई से 5-6 दिन पहले 3 किलो नाइट्रोजन (लगभग 6-7 किलो यूरिया) डालें, ताकि पौधे मजबूत और रोपाई के लिए तैयार हों।

जैविक खाद का उपयोग: पर्यावरण और मिट्टी के लिए फायदेमंद

जैविक खाद धान की नर्सरी में मिट्टी की संरचना को सुधारती है और दीर्घकालिक उर्वरता बनाए रखती है। गोबर की खाद को बुवाई से पहले 2-3 बार जुताई के दौरान मिट्टी में मिलाएँ। यह मिट्टी को भुरभुरी बनाती है और नमी बनाए रखती है। नीम खली को 2.5 किलो प्रति 1000 वर्ग मीटर की दर से उपयोग करें, जो मिट्टी जनित कीटों और फंगस से बचाव करती है। वर्मीकम्पोस्ट को 5 क्विंटल प्रति 1000 वर्ग मीटर की दर से डालें, जो सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। नील हरित शैवाल (एजोला) या सायनोबैक्टीरिया का उपयोग भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए करें।

रासायनिक खाद: त्वरित और प्रभावी

रासायनिक खाद त्वरित पोषण प्रदान करती हैं, लेकिन इनका उपयोग संतुलित मात्रा में करें। यूरिया (46% नाइट्रोजन) को दो चरणों में डालें—पहला 10-15 दिन बाद और दूसरा 7 दिन बाद, यदि पीलापन हो। DAP (18% नाइट्रोजन, 46% फॉस्फोरस) को बुवाई से पहले उपयोग करें, जो जड़ों और तने की ग्रोथ को बढ़ाता है। सिंगल सुपर फॉस्फेट (16% फॉस्फोरस, 11% सल्फर) प्रारंभिक चरण में सल्फर की कमी को पूरा करता है। जिंक सल्फेट (2.5 किलो प्रति 1000 वर्ग मीटर) खैरा रोग से बचाव करता है। अधिक यूरिया डालने से बचें, क्योंकि यह पौधों को नरम और कीटों के प्रति संवेदनशील बनाता है।

खाद डालने का सही तरीका

खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएँ, ताकि पौधों की जड़ें इसे आसानी से अवशोषित कर सकें। गोबर की खाद और नीम खली को जुताई के दौरान मिट्टी में फैलाएँ। DAP, SSP, और जिंक सल्फेट को बुवाई से पहले क्यारियों में बराबर छिड़कें और मिट्टी में मिलाएँ। यूरिया को मिट्टी की ऊपरी सतह पर छिड़कें और हल्की सिंचाई करें, ताकि यह जड़ों तक पहुँचे। नर्सरी में पानी का स्तर 2-3 सेंटीमीटर रखें, लेकिन जलभराव से बचें। अधिक पानी जड़ों को सड़ा सकता है। ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें, जो खाद और पानी की 30-40% बचत करता है।

खाद प्रबंधन में सावधानियाँ

अधिक रासायनिक खाद, खासकर यूरिया, डालने से पौधे नरम और रोगग्रस्त हो सकते हैं। मिट्टी की जाँच करवाएँ, ताकि पोषक तत्वों की कमी का सटीक पता लगे। जैविक खाद को पूरी तरह सड़ा हुआ उपयोग करें, वरना यह कीटों को आकर्षित कर सकती है। नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के लिए कार्बोफूरान 3G (150 ग्राम प्रति 100 वर्ग मीटर) का उपयोग करें। खैरा रोग से बचाव के लिए जिंक सल्फेट का 2% घोल (2 किलो जिंक सल्फेट + 1 किलो बुझा चूना 450 लीटर पानी में) छिड़कें।

लागत और लाभ विश्लेषण

प्रति 1000 वर्ग मीटर नर्सरी की खाद लागत लगभग 2000-3000 रुपये है। इसमें गोबर की खाद (1000 रुपये), नीम खली (500 रुपये), यूरिया (300 रुपये), DAP (600 रुपये), और जिंक सल्फेट (200 रुपये) शामिल हैं। स्वस्थ नर्सरी से रोपाई के बाद 20-30% अधिक पैदावार मिलती है, जो 1 हेक्टेयर में 10-15 क्विंटल अतिरिक्त धान (20,000-30,000 रुपये) दे सकती है। जैविक खाद का उपयोग लागत कम करता है और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखता है।

सब्सिडी और सरकारी सहायता

केंद्र सरकार की कृषि यांत्रिकरण उप योजना जैविक खाद और ड्रिप सिंचाई पर 40-50% सब्सिडी देती है। उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत बीज और खाद पर अनुदान मिलता है। अपने कृषि विभाग या ऑनलाइन पोर्टल (upagriculture.com, agriculture.bih.nic.in) से जानकारी लें। नीम खली और वर्मीकम्पोस्ट पर स्थानीय सहकारी समितियों से छूट मिल सकती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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