कीजिए DSR विधि से धान की खेती, अब मजदूरो को ढूढने की झन्झट ख़त्म, पानी भी कम लगेगा

किसान साथियों, धान की सीधी बिजाई (Direct Seeded Rice – DSR) आज का सबसे आसान, किफायती तरीका है, पारंपरिक रोपाई में पानी, मजदूरों की जरूरत ज्यादा होती है, लेकिन DSR से 30-35% पानी की बचत होती है, और मजदूरों की किल्लत की समस्या भी खत्म हो जाती है, गेहूं की तरह ड्रिल से बीज बोया जाता है, जिससे समय, मेहनत कम लगती है, ये तकनीक खासकर उन इलाकों के लिए वरदान है, जहाँ पानी की कमी, बारिश अनियमित है, जून-जुलाई में मानसून शुरू होते ही इसे शुरू कर सकते हैं, वैज्ञानिकों की माने तो ये मिट्टी की सेहत सुधारती है, और पैदावार भी बढ़िया देती है, तो तैयार हो जाइए, इस नई तकनीक से खेती को आसान और मुनाफेदार बनाएँ।

खेत की तैयारी : सही शुरुआत

धान की सीधी बिजाई के लिए खेत को सही तरीके से तैयार करना जरूरी है, गेहूं की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करें, मिट्टी को भुरभुरा बनाएँ, फिर लेजर लेवलर से समतल करें, प्रति हेक्टेयर 4-5 टन गोबर की खाद, 20-25 किलो नाइट्रोजन डालें, दोमट, मध्यम चिकनी मिट्टी इसके लिए बेस्ट है, खेत में हल्का पानी (पलेवा) दें, नमी बनाए रखें, फिर रोटावेटर से दोबारा जुताई करें, और सुहागा फेरें, खरपतवार से बचने के लिए बुआई से पहले प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड (पेंडीमेथालिन 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर) छिड़कें, ये तैयारी पौधों को मजबूत बनाती है, और पैदावार का आधार तैयार करती है, सही खेत से कमाई का रास्ता खुलता है।

बुआई का तरीका, ड्रिल से आसानी

सीधी बिजाई के लिए ड्रिल मशीन का इस्तेमाल करें, प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज काफी है, जो रोपाई से आधा है, बीज को 10 लीटर पानी में 1 किलो नमक के घोल से शोधन करें, तैरने वाले बीज हटाएँ, फिर कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें, कतार से कतार की दूरी 20-22 सेमी, गहराई 2-3 सेमी रखें, जून के आखिरी हफ्ते या जुलाई की शुरुआत में बुआई करें, ड्रिल से बुआई करने से मजदूरों की जरूरत 50-60% कम हो जाती है, एक दिन में 7-10 एकड़ तक बोया जा सकता है, जबकि रोपाई में इतने मजदूरों का खर्चा, समय लगता है, ये तरीका तेज, सटीक है, और पैदावार को बढ़ाता है।

बेस्ट किस्में, सही चयन से फायदा

सीधी बिजाई के लिए कम समय वाली, सूखा सहन करने वाली किस्में चुनें, पूसा बासमती 1509 (90-100 दिन), पीआर 126 (110-120 दिन), पीआर 128 (115-125 दिन), सहभागी धान (90-100 दिन), शुष्क सम्राट (100-110 दिन) बेस्ट हैं, बासमती में पूसा 1121, पूसा 1718 भी उगा सकते हैं, ये किस्में कम पानी में अच्छी पैदावार देती हैं, और रोगों से लड़ने की ताकत रखती हैं, एक हेक्टेयर में 20-30 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है, बीज कृषि केंद्र से लें, प्रमाणित हों, सही किस्म चुनने से पानी की बचत होती है, और मुनाफा बढ़ता है, अपने इलाके के हिसाब से वैज्ञानिकों से सलाह लें।

देखभाल और पानी

सीधी बिजाई में पानी का सही प्रबंधन जरूरी है, बुआई के बाद हल्की सिंचाई करें, फिर 15-20 दिन बाद दूसरी बार पानी दें, खेत को कीचड़ न बनाएँ, नमी बनाए रखें, 20-25 दिन बाद गुड़ाई करें, खरपतवार हटाएँ, पेंडीमेथालिन के बाद पोस्ट-इमर्जेंट हर्बिसाइड (बिस्पाइरिबैक सोडियम 25 ग्राम प्रति हेक्टेयर) छिड़कें, फूल आने पर 20 किलो यूरिया डालें, कीट जैसे तना छेदक दिखें, तो नीम का तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर) इस्तेमाल करें, ये तरीका रोपाई से 30-35% पानी बचाता है, और मजदूरों की मेहनत भी कम करता है, सही देखभाल से फसल 90-120 दिन में तैयार हो जाती है।

मुनाफा और फायदा

धान की सीधी बिजाई से लागत कम, मुनाफा ज्यादा होता है, रोपाई में प्रति हेक्टेयर 15-20 हजार रुपये लगते हैं, जबकि DSR में 8-10 हजार में काम हो जाता है, एक हेक्टेयर से 20-30 क्विंटल धान मिलता है, जो 40-60 रुपये किलो बिकता है, यानी 80,000-1.5 लाख की कमाई संभव है, पानी की बचत से बिजली, डीजल का खर्च कम होता है, मजदूरों की कमी की चिंता खत्म होती है, बासमती की किस्मों से दाम और बढ़ सकता है, सरकार DSR को बढ़ावा दे रही है, सब्सिडी भी मिलती है, ये तकनीक मेहनत को मुनाफे में बदलती है, और खेती को आसान बनाती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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