धान के खेत में खरपतवार का खेल खत्म! ये 8 जुगाड़ अपनाइए, उत्पादन में 30% वृद्धि पाइए!

धान की खेती भारत के गाँवों की रीढ़ है, लेकिन खरपतवार इसकी उपज को 20-30% तक कम कर सकते हैं। खरपतवार न केवल पौधों का पोषण और पानी चुराते हैं, बल्कि कीटों और रोगों को भी बढ़ावा देते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की सलाह के आधार पर, धान की रोपाई में खरपतवार नियंत्रण के लिए कई प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। यह आर्टिकल गाँव के किसानों के लिए सरल और प्राकृतिक तरीकों पर केंद्रित है, जो उनकी मेहनत को बचाए और फसल को समृद्ध बनाए। आइए, खरपतवार नियंत्रण के आसान और देसी उपायों को समझते हैं।

खेत की सही तैयारी

खरपतवार नियंत्रण की शुरुआत खेत की तैयारी से होती है। रोपाई से पहले खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें। इससे मिट्टी में छिपे खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं। जुताई के बाद खेत में पानी भरकर पडलिंग करें। यह प्रक्रिया खरपतवारों को उगने से रोकती है और मिट्टी को रोपाई के लिए तैयार करती है। पडलिंग के दौरान खेत को 4-5 इंच पानी से भरें और 2-3 दिन तक ऐसे ही रखें। यह पुराने खरपतवारों को कमजोर करता है और धान की पौध को मजबूत शुरुआत देता है।

हाथ से निराई-गुड़ाई

रोपाई के 20-25 दिन बाद खेत में उगने वाले खरपतवारों को हाथ से निकालना सबसे सुरक्षित और पारंपरिक तरीका है। यह विधि छोटे किसानों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है, क्योंकि इसमें रासायनिक खरपतवारनाशी की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि, इसमें मेहनत ज्यादा लगती है, लेकिन यह मिट्टी और फसल को नुकसान से बचाता है। गाँव की महिलाएँ और परिवार के सदस्य मिलकर इस काम को आसान बना सकते हैं। निराई-गुड़ाई खेत की मेढ़ों और कोनों पर विशेष ध्यान दें, ताकि खरपतवार के बीज न फैलें।

ये भी पढ़ें – खरपतवार से मिलेगा छुटकारा! सरकार के 5 ज़बरदस्त उपाय जो हर किसान को जानने चाहिए

रासायनिक खरपतवार नियंत्रण

बड़े खेतों में रासायनिक खरपतवारनाशी समय और मेहनत बचाते हैं। ICAR की सलाह है कि रोपाई से पहले प्री-इमर्जेंस हर्बिसाइड, जैसे प्रेटिलाक्लोर (सोफिट), 0.5-0.75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें। यह खरपतवारों को उगने से पहले ही रोक देता है। रोपाई के बाद, पोस्ट-इमर्जेंस हर्बिसाइड, जैसे बिस्पायरीबैक सोडियम (नोमिनी गोल्ड), 25-30 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। छिड़काव सुबह या शाम को करें, ताकि हर्बिसाइड का असर बेहतर हो। हर्बिसाइड का उपयोग करने से पहले अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से सलाह लें, ताकि सही मात्रा और समय का पता चल सके।

जैविक और देसी उपाय

जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए खरपतवार नियंत्रण के कई देसी उपाय हैं। खेत में नीम की खली (50-60 किलो प्रति एकड़) डालें। यह खरपतवारों को उगने से रोकता है और मिट्टी को पोषण भी देता है। गोमूत्र का छिड़काव (10 लीटर गोमूत्र को 100 लीटर पानी में मिलाकर) भी खरपतवारों को नियंत्रित करता है। यह पूरी तरह प्राकृतिक और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। इसके अलावा, ढैंचा या सनई जैसी हरी खाद फसलें बोएँ और 45-55 दिन बाद इन्हें खेत में मिला दें। यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और खरपतवारों को दबाता है।

जल प्रबंधन का महत्व

जल प्रबंधन खरपतवार नियंत्रण का एक आसान और प्रभावी तरीका है। रोपाई के बाद खेत में 2-3 इंच पानी भरकर 2-3 दिन तक रखें। इससे कई खरपतवार, जैसे सावाँ और मोथा, डूबकर नष्ट हो जाते हैं। लेकिन, लंबे समय तक जलभराव न करें, क्योंकि इससे धान की जड़ें कमजोर हो सकती हैं। खेत में पानी का स्तर समय-समय पर जाँचें और जल निकासी की व्यवस्था रखें। यह तरीका छोटे और मध्यम खेतों के लिए खास तौर पर उपयोगी है, क्योंकि यह बिना अतिरिक्त खर्च के खरपतवारों को नियंत्रित करता है।

ये भी पढ़ें- कृषि विभाग दे रहा खरपतवार नाशक दवाओं पर 75% सब्सिडी, यहाँ करे रजिस्ट्रेशन

मल्चिंग और अंतरवर्ती खेती

मल्चिंग खरपतवार नियंत्रण का एक और कारगर तरीका है। धान के खेत में पुआल या सूखी घास की मल्च बिछाएँ। यह खरपतवारों को सूरज की रोशनी से रोकता है, जिससे वे उग नहीं पाते। अगर पुआल उपलब्ध न हो, तो प्लास्टिक मल्च का उपयोग करें, लेकिन इसे जैविक खेती में कम ही अपनाएँ। इसके अलावा, धान के साथ मूँग, उड़द, या लोबिया जैसी दलहनी फसलें अंतरवर्ती खेती के रूप में बोएँ। ये फसलें खरपतवारों को दबाती हैं और मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाती हैं, जिससे धान की उपज भी सुधरती है।

नियमित निगरानी और देखभाल

खरपतवारों को पूरी तरह नियंत्रित करने के लिए खेत की नियमित निगरानी जरूरी है। खेत की मेढ़ों और कोनों में उगने वाले खरपतवारों को समय-समय पर साफ करें, क्योंकि ये बीज बनाकर पूरे खेत में फैल सकते हैं। रोपाई के पहले 30-40 दिन खरपतवार नियंत्रण के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान खेत में घूमकर छोटे-छोटे खरपतवारों को निकाल लें। अगर कोई नया खरपतवार दिखे, तो उसे तुरंत हटाएँ, ताकि वह फसल को नुकसान न पहुँचाए।

धान की रोपाई में खरपतवार नियंत्रण फसल की उपज और मुनाफे के लिए बहुत जरूरी है। जैविक, रासायनिक, और भौतिक तरीकों का सही संयोजन अपनाकर आप अपने खेत को खरपतवारों से मुक्त रख सकते हैं। देसी उपाय, जैसे नीम की खली और गोमूत्र, छोटे किसानों के लिए सस्ते और प्रभावी हैं, जबकि बड़े खेतों में हर्बिसाइड का सही उपयोग समय बचाता है। रोपाई के पहले 30-40 दिन विशेष ध्यान दें और अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से सलाह लें। अपनी खेती की कहानी हमारे साथ साझा करें और धान की बंपर फसल के लिए तैयार रहें!

ये भी पढ़ें- ट्रॉपिकल एग्रो का नया धमाका! भारत में लॉन्च किया नया खरपतवारनाशक ‘Tag Proxy

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment