सिंचाई का नया तरीका, बस एक बार लगाईये कई साल इस्तेमाल कीजिये, कम लागत में बम्पर उत्पादन

किसान भाइयों, खेती में पानी की हर बूंद कीमती है, और लागत कम करना हर किसान का सपना है। हीरा रेन पाइप एक ऐसा आधुनिक उपकरण है, जो बारिश की तरह पानी छिड़कता है, और फसलों को सही मात्रा में नमी देता है। ये सस्ता, टिकाऊ है, और पारंपरिक सिंचाई की तुलना में पानी, मेहनत दोनों बचाता है। बाजार में इसकी डिमांड बढ़ रही है, क्योंकि ये छोटे से बड़े खेतों के लिए कारगर है। तो चलिए, जानते हैं कि हीरा रेन पाइप से सिंचाई कैसे करें, और इसके लाभ क्या हैं।

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हीरा रेन पाइप की खासियत

हीरा रेन पाइप एक लचीली, मजबूत पाइप होती है, जिसमें छोटे-छोटे छेद होते हैं। ये पाइप पानी को बारीक फुहारों में छिड़कती है, जैसे बारिश होती है। इसका डिजाइन ऐसा है, कि ये कम दबाव में भी काम करता है, और 10-15 मीटर तक पानी फैलाता है। ये पीवीसी या पॉलीथिन से बना होता है, जो हल्का, सस्ता, और लंबे समय तक चलता है। एक एकड़ में इसे आसानी से बिछाया जा सकता है, और ये 20-30% पानी की बचत करता है। फसलों को एकसमान पानी मिलता है, जिससे पैदावार बढ़ती है।

खेत की तैयारी और बिछाने का तरीका

हीरा रेन पाइप से सिंचाई शुरू करने के लिए खेत को तैयार करें। मिट्टी समतल करें, ताकि पानी हर जगह बराबर पहुँचे। पाइप को नजदीकी दुकानों, कृषि केंद्रों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से खरीदें, कीमत 2000-3000 रुपये प्रति रोल (50-100 मीटर) होती है। खेत में पाइप को 5-10 मीटर की दूरी पर लाइन में बिछाएं, इसे पंप या ट्यूबवेल से जोड़ें। पानी का दबाव कम रखें, ताकि फुहारें बारीक निकलें। हर 2-3 दिन में 20-30 मिनट चलाएँ, फसल की जरूरत के हिसाब से समय बढ़ाएँ। शुरू में टेस्ट करें, कि पानी पूरे खेत में पहुँच रहा है।

देखभाल और इस्तेमाल के टिप्स

हीरा रेन पाइप की देखभाल आसान है, इस्तेमाल के बाद इसे साफ पानी से धोएँ, ताकि छेद बंद न हों। धूप में ज्यादा न छोड़ें, नहीं तो पाइप सख्त हो सकती है। छोटे छेदों को सुई से साफ करें, अगर कहीं रिसाव हो, तो टेप से पैच करें। इसे पंप के साथ जोड़ते वक्त प्रेशर रेगुलेटर लगाएँ, ज्यादा दबाव से पाइप फट सकती है। फसलों के हिसाब से ऊँचाई तय करें, सब्जियों के लिए जमीन से 1-2 फीट ऊपर, अनाज के लिए थोड़ा नीचे। मौसम गर्म हो, तो सुबह-शाम चलाएँ, पानी कम बर्बाद होगा।

पानी और लागत की बचत

हीरा रेन पाइप का सबसे बड़ा फायदा है, पानी की बचत। नालियों से सिंचाई में 50% पानी रिस जाता है, पर ये पाइप सीधे फसलों पर पानी डालता है, जिससे 20-30% पानी बचता है। एक एकड़ में 5000-6000 लीटर पानी कम लगता है। लागत भी कम होती है, पारंपरिक पाइप या ड्रिप सिस्टम से सस्ता है, और बिजली की खपत भी घटती है। शुरूआती खर्च 5000-7000 रुपये है, जो एक सीजन में वसूल हो जाता है। लंबे समय तक चलता है, तो बार-बार खरीदने की जरूरत नहीं।

फसलों को बंपर लाभ

रागी, मक्का, गेहूं, सब्जियाँ जैसे टमाटर, मिर्च, भिंडी में हीरा रेन पाइप कमाल करता है। एकसमान पानी मिलने से जड़ें मजबूत होती हैं, फसलें हरी-भरी रहती हैं। पैदावार 10-15% तक बढ़ सकती है, क्योंकि पानी बर्बाद नहीं होता। कीट, बीमारियाँ कम लगती हैं, क्योंकि पत्तियाँ ज्यादा गीली नहीं रहतीं। बाजार में अच्छी क्वालिटी की फसल बिकती है, जिससे दाम बढ़ता है। छोटे किसानों के लिए ये वरदान है, जो कम पानी में ज्यादा कमाई चाहते हैं।

सावधानियाँ और सुझाव

पाइप बिछाते वक्त नुकीले पत्थर हटाएँ, नहीं तो छेद हो सकता है। इस्तेमाल के बाद रोल करके छाया में रखें, ताकि धूप से खराब न हो। पानी में कचरा हो, तो फिल्टर लगाएँ, छेद बंद होने से बचेंगे। बिजली से चलने वाले पंप हों, तो बिजली कटौती का ध्यान रखें। शुरू में छोटे खेत में आजमाएँ, फिर बड़े स्तर पर बिछाएँ। कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें, कि आपके खेत में कितना पानी सही रहेगा। सरकार की सब्सिडी योजनाएँ चेक करें, कुछ राज्यों में 50% तक छूट मिलती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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