देश का पहला जीनोम एडिटेड चावल तैयार मिलेगा 19% ज्यादा पैदावार, जानिए इसकी खासियत

DRR Dhan 100 kamla Variety: भारत की खेती में एक नया इतिहास रचा गया है। हैदराबाद के राजेंद्रनगर में स्थित भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान ने दुनिया की पहली जीनोम-संपादित चावल की किस्म डीआरआर धान 100 कमला विकसित की है। 4 मई 2025 को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस किस्म और दूसरी जीनोम-संपादित किस्म पूसा डीएसटी राइस 1 को लॉन्च किया। ये उपलब्धि भारतीय कृषि के लिए गेम-चेंजर है। अगर आप खेती से जुड़े हैं, तो ये खबर आपके लिए बड़ी खुशखबरी है। ये नई किस्म ना सिर्फ पैदावार बढ़ाएगी, बल्कि पानी और खाद की बचत भी करेगी।

जीनोम एडिटिंग: क्या है खास

डीआरआर धान 100 कमला की सबसे बड़ी खासियत है इसका जीनोम-संपादित होना। ये सामान्य जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों से अलग है, क्योंकि इसमें कोई बाहरी जीन नहीं डाला गया। भारतीय वैज्ञानिकों ने सीआरआईएसपीआर-कैस तकनीक का इस्तेमाल कर चावल के अपने डीएनए में सटीक बदलाव किए। इस किस्म को सांबा महसूरी के आधार पर तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों ने साइटोकाइनिन ऑक्सीडेज 2 जीन को टारगेट कर दानों की संख्या बढ़ाई। इससे पैदावार में 19 फीसदी तक इजाफा हुआ है। ये तकनीक इतनी सटीक है कि फसल की मूल खूबियाँ बरकरार रहती हैं, जैसे सांबा महसूरी का स्वाद और गुणवत्ता।

ज्यादा पैदावार, कम खर्च

डीआरआर धान 100 कमला ने फील्ड ट्रायल में शानदार नतीजे दिए हैं। ये किस्म सांबा महसूरी से 19 फीसदी ज्यादा उपज देती है और 20 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है। इससे पानी और खाद की खपत कम होती है। खास बात ये है कि इसके तने मजबूत हैं, जो तेज हवा या भारी बारिश में भी गिरते नहीं। ये किस्म सूखा और खारेपन को भी झेल सकती है। भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सतेंद्र कुमार मंगरौठिया और उनकी टीम ने तीन साल की मेहनत से इसे तैयार किया। अगर आप इसे अपने खेत में उगाते हैं, तो कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

पर्यावरण और किसानों के लिए फायदेमंद

ये नई किस्म पर्यावरण के लिए भी वरदान है। सरकार के मुताबिक, अगर 50 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हो, तो 45 लाख टन अतिरिक्त चावल पैदा होगा। साथ ही, 7500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचेगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 20 फीसदी कमी आएगी। कम पानी और खाद की जरूरत की वजह से ये किस्म बारिश आधारित खेती और चक्रीय खेती के लिए भी बढ़िया है। ये किस्म आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए उपयुक्त है।

वैज्ञानिकों की मेहनत

डीआरआर धान 100 कमला को विकसित करने में भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान की टीम ने दिन-रात मेहनत की। 2018 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में सांबा महसूरी और एमटीयू 1010 जैसी लोकप्रिय किस्मों को चुना गया। दो साल तक कई जगहों पर फील्ड ट्रायल हुए। इस किस्म को साइट डायरेक्टेड न्यूक्लियस 1 तकनीक से बनाया गया, जिसमें कोई बाहरी डीएनए नहीं डाला जाता। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का कहना है कि अगले दो साल में ये बीज किसानों तक पहुँच जाएँगे। पूसा डीएसटी राइस 1 भी एमटीयू 1010 के आधार पर बनाई गई है, जो सूखा और खारेपन को सहन करती है।

किसानों के लिए मौका

अगर आप धान की खेती करते हैं, तो डीआरआर धान 100 कमला आपके लिए बड़ा मौका है। ये किस्म ना सिर्फ ज्यादा पैदावार देगी, बल्कि पानी और खाद की बचत भी करेगी। इसके मजबूत तने और जल्दी पकने की खूबी इसे गहन खेती के लिए शानदार बनाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने तिलहन और दालों जैसी दूसरी फसलों पर भी जीनोम एडिटिंग शुरू कर दी है। आने वाले सालों में ये तकनीक खेती को और आसान और मुनाफेदार बनाएगी। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और इस नई किस्म की जानकारी लें।

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  • Shashikant

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