DW R-162 गेहूं, NSC की नई वैरायटी से 45 क्विंटल तक बंपर उपज, यहाँ से खरीदें बीज

रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही देशभर के किसान गेहूं की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं। इस बीच राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) ने किसानों के लिए एक नई उम्मीद पेश की है DW R-162 गेहूं की किस्म। यह वैरायटी कम समय में तैयार होती है, रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है और छोटे-बड़े सभी किसानों के लिए बेहद किफायती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बीज सिर्फ़ ₹475 में 5 किलो पैक के रूप में उपलब्ध है, और यह ट्रुथफुल लेबल के तहत प्रमाणित है।

NSC की यह पहल किसानों के लिए दोहरी राहत लाती है एक तरफ़ सस्ते दामों में उन्नत बीज, दूसरी तरफ़ उच्च गुणवत्ता की गारंटी। अक्टूबर का आखिरी हफ्ता और नवंबर की शुरुआत बुवाई के लिए सबसे सही समय मानी जाती है, जब तापमान 20–25 डिग्री सेल्सियस रहता है। ऐसे में DW R-162 गेहूं रबी 2025 के लिए एक समझदारी भरा विकल्प साबित हो सकता है।

DW R-162: DWR करनाल की भरोसेमंद उपज

DW R-162 किस्म को डायरेक्टोरेट ऑफ व्हीट रिसर्च (DWR), करनाल ने विकसित किया है। यह वैरायटी मुख्य रूप से समय पर बुवाई वाले क्षेत्रों के लिए बनाई गई है और इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। इसके दाने सुनहरे एम्बर रंग के होते हैं, जो मुलायम और स्वादिष्ट चपाती बनाने के लिए आदर्श हैं। यही वजह है कि यह किस्म बाजार में भी पसंद की जा रही है।

इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं और इनमें फसल गिरने (लॉजिंग) की संभावना बेहद कम होती है। यह बुवाई के बाद 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जो छोटे किसानों के लिए सुविधाजनक है। औसतन 42–45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह पारंपरिक गेहूं किस्मों से 10–15 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन करती है।

सबसे अहम बात यह है कि DW R-162 पत्ती जंग (लीफ रस्ट), तना जंग (स्टेम रस्ट) और पट्टी जंग (स्ट्राइप रस्ट) जैसे खतरनाक रोगों के खिलाफ बेहद मजबूत है। हाल के वर्षों में जब इन रोगों ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के गेहूं खेतों को प्रभावित किया, तब DW R-162 जैसी किस्मों ने फसल को बचाए रखा।

इसके दाने मोटे और भरे हुए होते हैं, जिनमें प्रोटीन की मात्रा अधिक रहती है। यह किस्म न केवल उत्तरी भारत में बल्कि दक्षिण भारत के कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे इलाकों में भी सफल रही है।

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किसानों के लिए किफायती ऑफर

राष्ट्रीय बीज निगम ने किसानों की सुविधा के लिए DW R-162 को ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया है। किसान mystore.in या NSC की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर DW R-162 सर्च करके इसे आसानी से ऑर्डर कर सकते हैं। 5 किलो का पैक मात्र ₹475 में घर तक डिलीवर होता है।

हर पैक पर QR कोड होता है, जिससे उसकी प्रमाणिकता की जांच की जा सकती है। यह बीज ट्रुथफुल लेबलिंग के तहत प्रमाणित है और इसकी अंकुरण दर 85–90 प्रतिशत तक रहती है। NSC-धारवाड़ (कर्नाटक) से निकलने वाले ये बीज राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरते हैं।

बाजार में निजी ब्रांडों के समान बीज 600–700 रुपये प्रति 5 किलो तक बिक रहे हैं, ऐसे में NSC का यह ऑफर किसानों के लिए बड़ा फायदा है। प्रति हेक्टेयर 50–60 किलो बीज पर्याप्त रहता है, इसलिए 10 पैक से एक हेक्टेयर खेत की बुवाई हो सकती है। कुछ राज्यों में कृषि विभाग की सब्सिडी योजनाओं के तहत बीज पर अतिरिक्त रियायत भी मिल सकती है।

बुवाई और खेत की तैयारी

DW R-162 की बुवाई अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर के पहले सप्ताह तक करनी चाहिए। इस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी रहती है और तापमान अनुकूल होता है। दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी रहती है। खेत की गहरी जुताई करें और 8–10 टन गोबर की सड़ी खाद मिलाएँ।

बीज बोने से पहले कार्बेन्डाजिम या थीरम (2–3 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचार करें, ताकि कंडवा और अन्य बीज जनित रोगों से बचाव हो सके। बीज को 4–5 सेंटीमीटर गहराई पर बोएँ और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20–22 सेंटीमीटर रखें। प्रति हेक्टेयर 50–60 किलो बीज पर्याप्त है।

फसल को संतुलित पोषण देने के लिए नाइट्रोजन 120 किलो, फॉस्फोरस 60 किलो और पोटाश 40 किलो प्रति हेक्टेयर दें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और बाकी फूल आने पर दें। पहली सिंचाई बुवाई के 20–25 दिन बाद करें और कुल 5–6 सिंचाइयाँ पर्याप्त हैं।

छोटे किसान ड्रिप इरिगेशन अपनाकर पानी की बचत कर सकते हैं। फूल आने और दाने भरने के समय सिंचाई पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि यही फसल की उपज तय करती है।

रोग प्रबंधन और फसल सुरक्षा

हालांकि DW R-162 में रस्ट रोगों के प्रति अच्छी प्रतिरोधकता है, फिर भी जैविक सुरक्षा अपनाना जरूरी है। खेतों में नीम घोल या बायो-फफूंदनाशी का छिड़काव फायदेमंद रहता है। जरूरत पड़ने पर मैन्कोजेब या प्रोपिकोनाजोल का उपयोग कर सकते हैं। समय पर निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 25 दिन बाद हल्की निराई जरूर करें।

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बाजार में मांग और मुनाफे का हिसाब

DW R-162 गेहूं के एम्बर रंग के दाने बेकरी, ब्रेड और चपाती के लिए उपयुक्त हैं, जिससे इसका बाजार भाव सामान्य गेहूं से अधिक मिलता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2600 प्रति क्विंटल तय है, लेकिन प्रीमियम क्वालिटी के कारण किसान इसे ₹2800–₹3000 तक बेच पा रहे हैं।

प्रति हेक्टेयर औसतन 42 क्विंटल उपज पर यह आय ₹1.15 लाख से ₹1.25 लाख तक पहुंच सकती है। खेती की कुल लागत लगभग ₹25–30 हजार रुपये आती है, इसलिए शुद्ध मुनाफा एक लाख रुपये से अधिक संभव है। रोग प्रतिरोधकता के कारण कीटनाशकों पर होने वाला खर्च भी 20–30 प्रतिशत कम होता है।

क्यों चुनें DW R-162

रबी सीजन में गेहूं किसानों की सबसे बड़ी पूंजी है, और DW R-162 जैसी किस्में इस खेती को और मजबूत बनाती हैं। कम लागत, कम जोखिम और ज्यादा उपज इसे स्मार्ट चॉइस बनाती है। NSC के भरोसेमंद बीज किसानों को सुरक्षित शुरुआत देते हैं, जबकि सरकार की किसान कल्याण योजनाओं से बीज सस्ता और सुलभ बनता है।

अगर आप इस रबी सीजन में नई शुरुआत करना चाहते हैं, तो DW R-162 गेहूं अपनाना समझदारी भरा कदम होगा। सही बुवाई और समय पर देखभाल से यह किस्म आपके खेतों को हरा-भरा और आपकी जेब को समृद्ध बना देगी।

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  • Rahul

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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