Emu Palan Kaise Karen: किसान भाइयों, पारंपरिक खेती और पशुपालन के साथ-साथ वैकल्पिक आय के स्रोत तलाश रहे किसानों के लिए ईमू पालन एक आकर्षक और लाभकारी व्यवसाय बन रहा है। यह ऑस्ट्रेलियाई पक्षी अपनी कम वसा वाली मांस, औषधीय तेल, चमड़ी, अंडों, और पंखों के लिए जाना जाता है। कम जगह, कम लागत, और लंबे समय तक उत्पादन देने की क्षमता इसे छोटे और मध्यम किसानों के लिए आदर्श बनाती है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ईमू पालन ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। 2025 में यह व्यवसाय भारत में नीली क्रांति का हिस्सा बन रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा है।
ईमू पक्षी की विशेषताएं
ईमू ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे बड़ा उड़ान रहित पक्षी है, जिसे भारत में 1990 के दशक से व्यावसायिक रूप से पाला जा रहा है। एक प्रौढ़ ईमू की ऊंचाई 5 से 6 फीट और वजन 50 से 60 किलोग्राम होता है। मादा ईमू प्रति वर्ष 25 से 30 अंडे देती है, जिनका वजन 500 से 700 ग्राम तक होता है। ये पक्षी 30 से 40 साल तक जीवित रहते हैं और 25 साल तक उत्पादन दे सकते हैं। इनकी त्वचा मोटी और लचीली होती है, जो चमड़े के उत्पादों के लिए उपयुक्त है। ईमू का मांस कम कोलेस्ट्रॉल और उच्च प्रोटीन युक्त होता है, जो इसे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बनाता है।
ईमू पालन के लाभ
ईमू पालन कई तरह से लाभकारी है। इसका मांस 98% वसा रहित होता है और प्रोटीन, आयरन, और विटामिन C से भरपूर होता है। यह डायबिटीज और हृदय रोगियों के लिए स्वस्थ विकल्प है। ईमू का तेल जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों की सूजन, और त्वचा की देखभाल के लिए उपयोगी है। इसकी चमड़ी से जूते, बैग, और जैकेट जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं, जबकि पंख सजावटी और फैशन उद्योग में उपयोग होते हैं। एक बार चूजे खरीदने के बाद, ईमू लंबे समय तक आय देता है। यह पक्षी भारतीय जलवायु, विशेष रूप से 20-35 डिग्री सेल्सियस तापमान में, आसानी से अनुकूलित हो जाता है। कम रखरखाव और कम बीमारियों के कारण यह छोटे किसानों के लिए उपयुक्त है।
पालन के लिए जरूरी सुविधाएं
ईमू पालन शुरू करने के लिए कुछ बुनियादी सुविधाएं चाहिए। प्रत्येक 50 पक्षियों के लिए कम से कम 1500 वर्ग फीट की खुली जगह जरूरी है, ताकि वे दौड़ सकें और स्वस्थ रहें। बाड़बंदी मजबूत और 6-7 फीट ऊंची होनी चाहिए, क्योंकि ईमू ऊंचा कूद सकते हैं। शेड हवादार और बारिश से सुरक्षित होना चाहिए। साफ पानी की आपूर्ति और संतुलित आहार की व्यवस्था हमेशा रखें। प्रजनन के समय नर और मादा को अलग रखने के लिए छोटे पिंजरे बनाएं। चूजों के लिए इन्क्यूबेटर और ब्रूडर की व्यवस्था करें। 50 पक्षियों के लिए शुरुआती लागत, जिसमें शेड, बाड़, और चूजे शामिल हैं, 7 से 9 लाख रुपये है। सरकारी योजनाओं से सब्सिडी इसे और किफायती बनाती है।
खुराक और पोषण
ईमू की खुराक उनके विकास, अंडा उत्पादन, और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। 0 से 8 सप्ताह की उम्र में चूजों को 20% प्रोटीन और 2750 Kcal/kg ऊर्जा वाला फीड देना चाहिए, जिसकी मात्रा प्रतिदिन 900 ग्राम होती है। 9 से 42 सप्ताह में प्रोटीन 16% तक कम करें, लेकिन ऊर्जा स्तर वही रखें। 42 सप्ताह से अधिक उम्र के प्रौढ़ ईमू को 14% प्रोटीन वाला फीड पर्याप्त है। अंडा उत्पादन से 4 सप्ताह पहले प्रोटीन बढ़ाकर 21% करें, ताकि अंडों की गुणवत्ता और मात्रा बढ़े। फीड में विटामिन A, D, B12, कैल्शियम, जिंक, और अमीनो एसिड (लाइसिन, ट्रिपटोफेन) जरूरी हैं। लूसर्न, मक्का, सोयाबीन, और बाजरा आधारित फीड उपयुक्त है।
बच्चों और प्रजनकों की देखभाल
नवजात ईमू चूजे का वजन 370 से 450 ग्राम होता है। जन्म के बाद पहले 3 हफ्तों तक इन्हें 4 वर्ग फीट के ब्रूडर में रखें। पहले 10 दिनों तक तापमान 32 डिग्री सेल्सियस रखें, फिर हर हफ्ते 2 डिग्री कम करें। चूजों को 2-3 दिन इन्क्यूबेटर में रखें, ताकि वे पूरी तरह सूख जाएं और मजबूत हों। प्रजनन योग्य ईमू 18 से 24 महीने की उम्र में तैयार होते हैं। प्रजनकों को उच्च प्रोटीन (21%) और खनिज युक्त आहार दें। पहले साल में मादा 15 अंडे देती है, जो दूसरे साल से 30-40 तक बढ़ जाता है। अंडों का इन्क्यूबेशन 48-52 दिन लेता है, जिसके लिए 36.5 डिग्री सेल्सियस तापमान और 40-50% नमी जरूरी है।
बीमारियों से बचाव
ईमू में बीमारियां कम होती हैं, लेकिन नियमित टीकाकरण जरूरी है। 1 सप्ताह की उम्र में रानीखेत रोग के लिए लोसेटा स्ट्रेन वैक्सीन दें। 4 सप्ताह में लोसेटा बूस्टर और 8, 15, और 40 सप्ताह में मूकतेश्वर स्ट्रेन वैक्सीन लगाएं। कॉली इन्फेक्शन, पैर की असामान्यता, और कृमि जैसी समस्याओं से बचाने के लिए साफ-सफाई और पशु चिकित्सक की नियमित जांच करवाएं। चूजों को धूल और नमी से बचाएं। पानी और फीड के बर्तनों को रोज़ साफ करें। टीकाकरण और दवाओं की लागत 50-100 रुपये प्रति पक्षी है। स्थानीय पशु चिकित्सालय या KVK से मुफ्त सलाह लें।
मुनाफा और बाजार
ईमू पालन से आय कई स्रोतों से होती है। एक प्रौढ़ ईमू 25 किलो मांस देता है, जिसकी कीमत 300-500 रुपये/किलो है। यह 4-6 लीटर तेल (3000-5000 रुपये/लीटर), 8-12 वर्ग फीट चमड़ी (1000 रुपये/वर्ग फीट), और पंख (200-500 रुपये/पक्षी) देता है। अंडे 600-2000 रुपये प्रति अंडा और चूजे 4000-8000 रुपये प्रति चूजा बिकते हैं। आंध्र प्रदेश में किसानों ने 50 पक्षियों से 5-7 लाख रुपये सालाना कमाए। तमिलनाडु में ईमू तेल की मांग 20% बढ़ी है। स्थानीय रेस्तरां, सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (eNAM, Etsy, Amazon) पर बिक्री से मुनाफा बढ़ाएं। पहले साल में 80% निवेश वापस मिल सकता है। 10 जोड़े से शुरू करने पर 1-2 लाख रुपये सालाना शुद्ध मुनाफा संभव है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति
ईमू पालन ने भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। आंध्र प्रदेश में 300% मुनाफा और तमिलनाडु में 25% रोजगार सृजन दर्ज किया गया। ईमू तेल की मांग सौंदर्य और स्वास्थ्य उद्योग में 15% बढ़ी है। मांस को स्वास्थ्यवर्धक विकल्प के रूप में शहरी बाजारों में स्वीकार किया जा रहा है। 50 पक्षियों से शुरू कर 5-7 लाख रुपये सालाना कमाना संभव है। महिलाएं और युवा SHG के माध्यम से ईमू तेल और चमड़े के उत्पाद बना रहे हैं। किसान अपनी सफलता की कहानियां साझा कर रहे हैं, जिससे नए उद्यमी प्रेरित हो रहे हैं। 2030 तक ईमू पालन भारत में 10 लाख रोजगार सृजित करने की क्षमता रखता है।
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