एटा में खाद वितरण में अफरातफरी, पुलिस ने किसानों पर किया लाठीचार्ज

उत्तर प्रदेश के एटा से आई एक खबर ने सबको झकझोर दिया है। यहाँ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है, जिसमें साफ़ दिख रहा है कि खाद के लिए सुबह से लाइन में लगे किसानों को पुलिस की लाठियाँ झेलनी पड़ीं। ये घटना शासन और प्रशासन के उन दावों की पोल खोल रही है, जिसमें कहा जाता है कि खाद की कोई कमी नहीं है। आइए, इस दुखद घटना के पीछे की सच्चाई और किसानों की परेशानी को समझें।

खाद के लिए लंबी कतारें, फिर लाठियों की बौछार

एटा ज़िले के रिजोर थाना क्षेत्र में मिर्जापुर नई निधौली खुर्द के केंद्रीय थोक उपभोक्ता सहकारी केंद्र पर 14 अगस्त 2025 को एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ। सुबह से सैकड़ों किसान यूरिया और डीएपी जैसे उर्वरकों की उम्मीद में लाइन में लगे थे। धान की रोपाई और अन्य फसलों के लिए खाद की सख्त ज़रूरत थी, लेकिन सहकारी केंद्र पर खाद की किल्लत ने किसानों का सब्र तोड़ दिया। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, लाइनें लंबी होती गईं और भीड़ बढ़ने से धक्का-मुक्की शुरू हो गई। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने हालात को संभालने की बजाय लाठियाँ चलानी शुरू कर दीं।

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बताया जा रहा है कि ये घटना 12 या 13 अगस्त 2025 की है, लेकिन 14 अगस्त को वीडियो के वायरल होने के बाद पूरे ज़िले में हड़कंप मच गया। सोशल मीडिया पर लोग इस घटना की कड़ी निंदा कर रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा, “जो किसान दिन-रात मेहनत करके देश का पेट भरता है, उसे खाद के लिए लाठियाँ मिलें, ये कहाँ का इंसाफ़ है?” कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या किसानों की समस्याओं का हल सिर्फ़ डंडा है? प्रशासन की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन वीडियो ने स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी हरकत में ला दिया है।

खाद की किल्लत, किसानों की मुसीबत

एटा की ये घटना कोई इकलौती नहीं है। उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों, जैसे लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, और बस्ती, में भी खाद की भारी कमी देखी जा रही है। धान की रोपाई का समय है, और किसानों को यूरिया और डीएपी की सख्त ज़रूरत है। लेकिन सहकारी समितियों पर खाद की आपूर्ति इतनी कम है कि किसान घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौट रहे हैं। कुछ जगहों पर तो हालात इतने खराब हैं कि किसानों ने सड़क जाम कर दी, लेकिन वहाँ भी पुलिस ने बल प्रयोग किया। सरकार बार-बार दावा करती है कि खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन ज़मीन पर हकीकत कुछ और ही है।

प्रशासन की चुप्पी, किसानों का आक्रोश

इस घटना ने न सिर्फ़ एटा, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में माहौल गरमा दिया है। किसानों का गुस्सा इस बात से और बढ़ रहा है कि सरकार और प्रशासन उनकी समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। एक तरफ़ कृषि मंत्री दावा करते हैं कि राज्य में 25 लाख बोरी यूरिया की आपूर्ति हो चुकी है, लेकिन सहकारी समितियों पर खाद की कमी और लंबी लाइनें इस दावे को खोखला साबित करती हैं। किसानों का कहना है कि खाद की कमी से उनकी फसलें सूख रही हैं, और ऊपर से पुलिस का ये व्यवहार उनके घावों पर नमक छिड़कने जैसा है। कई किसान संगठनों ने इस घटना के खिलाफ़ प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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