रबी सीजन 2025-26 के बीच केंद्र सरकार ने खाद की कालाबाजारी, जमाखोरी और सब्सिडी वाले माल की गड़बड़ी पर कमर कस ली है। अप्रैल से नवंबर तक देशभर में 3.17 लाख से ज्यादा निरीक्षण हुए, ताकि किसानों तक खाद समय पर पहुंचे। उर्वरक विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस अभियान में हजारों नोटिस जारी हुए, लाइसेंस कैंसल किए गए और सैकड़ों एफआईआर दर्ज हुईं। द हिंदू बिजनेसलाइन की 13 नवंबर 2025 की रिपोर्ट बताती है कि ये कदम कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ मिलकर चले। किसानों की शिकायतें कम हुईं, बाजार में कृत्रिम कमी का साया हटा।
सरकार का फोकस साफ था खाद की चेन में पारदर्शिता लाना। डिजिटल डैशबोर्ड से रीयल-टाइम मॉनिटरिंग हुई, जब्त माल सीधे सहकारी समितियों से किसानों तक पहुंचा। न्यू केरला की 12 नवंबर की खबर कहती है कि कुल 3,17,054 छापों में ब्लैक मार्केटिंग, होर्डिंग और डायवर्जन पर नकेल कसी गई। ये सब एसेंशियल कमोडिटी एक्ट और फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर के तहत हुआ।
ब्लैक मार्केटिंग पर 5119 नोटिस, 202 लाइसेंस रद्द
अभियान की शुरुआत अप्रैल से हुई। ब्लैक मार्केटिंग के 5119 मामलों में नोटिस भेजे गए। इसके बाद 202 लाइसेंस कैंसल या सस्पेंड हुए, 37 एफआईआर दर्ज की गईं। जमाखोरी पर 667 नोटिस, डायवर्जन पर 2991। डायवर्जन में तो 451 लाइसेंस गए, 92 एफआईआर। फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ये कार्रवाई किसानों को महंगे दामों से बचाने के लिए जरूरी थी।
उत्तर प्रदेश ने लीड किया। वहां 28,273 छापे पड़े, 1957 शो-कॉज नोटिस, 2730 लाइसेंस रद्द और 157 एफआईआर। महाराष्ट्र में 42,566 निरीक्षण, डायवर्जन पर 1000 से ज्यादा लाइसेंस कैंसल। राजस्थान के 11,253 छापों में हर कैटेगरी में सख्ती। बिहार में 14,000 निरीक्षण, 500 से ऊपर लाइसेंस सस्पेंड।
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घटिया खाद पर भी नजर, 1316 लाइसेंस रद्द
सिर्फ कालाबाजारी ही नहीं, घटिया खाद की बिक्री पर भी कार्रवाई हुई। 3544 नोटिस जारी, 1316 लाइसेंस रद्द या सस्पेंड, 60 एफआईआर। सैंपलिंग और टेस्टिंग को सख्त किया गया, ताकि सप्लाई चेन में खराब माल न घुसे। डेली एक्सेलसियर की 13 नवंबर की खबर कहती है कि हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और गुजरात ने भी बड़े स्तर पर टीमें उतारीं। मॉनिटरिंग से कृत्रिम महंगाई रुकी, किसानों को राहत मिली।
राज्यों ने स्पेशल रेस्पॉन्स टीम बनाईं। शिकायत पर तुरंत ऐक्शन। जब्त खाद सहकारियों से बांटी गई। ये सब रीयल-टाइम ट्रैकिंग से संभव हुआ।
कानूनी ढांचा मजबूत, पारदर्शिता बढ़ी
सारी कार्रवाई एसेंशियल कमोडिटी एक्ट और FCO 1985 के तहत। सरकार का मकसद सिर्फ सजा देना नहीं, बल्कि सिस्टम को मजबूत बनाना। डेवडिस्कोर्स की 12 नवंबर की रिपोर्ट बताती है कि ये अभियान खरीफ से रबी तक चला। किसानों को समय पर अच्छी खाद मिले, यही लक्ष्य।
उर्वरक विभाग ने अपील की – किसान, डीलर सब मिलकर काम करें। कोई गड़बड़ी दिखे तो तुरंत बताएं। विभाग कहता है कि किसानों तक गुणवत्ता वाली खाद पहुंचाना प्राथमिकता है।
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